दुनियां – क्या नए साल पर ईरान करेगा एटमी टेस्ट? वॉशिंगटन से लेकर पेरिस तक मची है खलबली – #INA

कल तक जो ईरान अपना परमाणु कार्यक्रम IAEA से छिपाता आ रहा था. उसने अब IAEA को एक रिपोर्ट सौंपकर यूरोपीय देशों की फिक्र बढ़ा दी है. दरअसल इस रिपोर्ट में ईरान ने कहा है कि वो यूरेनियम संवर्धन के लिए 6000 नए सेंट्रीफ्यूज लगाने पर विचार कर रहा है. सिर्फ इतना ही नहीं ईरान के अपने परमाणु सिद्धांत तक में बदलाव की बात कही है. सवाल है कि क्या नए साल पर ईरान एटमी टेस्ट करने वाला है. आइए इस रिपोर्ट से समझने की कोशिश करते हैं.
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने में अब महज डेढ महीने का वक्त बचा है लेकिन उससे पहले ईरान से ऐसी खबरें सामने आ रही हैं, जिसने वॉशिंगटन से लेकर पेरिस तक खलबली मच गई है. दरअसल ईरान से 2 बड़ी खबरें सामने आ रही हैं. पहली खबर तो ये है कि ईरान 6000 नए सेंट्रीफ्यूज लगाएगा और दूसरी ईरान अपने परमाणु सिद्धांत में बदलाव कर सकता है. ईरान से आ रही ये खबरें किसी सूत्र या मीडिया आउटलेट के हवाले से नहीं हैं बल्कि इसका ऐलान खुद ईरान ने किया है, जो बताता है कि अब वो परमाणु शक्ति संपन्न देश बनने की दहलीज पर खड़ा है.
दरअसल, ईरान ने IAEA को एक रिपोर्ट सौंपी है. इस रिपोर्ट में उसने 6000 नए सेंट्रीफ्यूज लगाने की बात कही है. ईरान के पास पहले से 10 हजार सेंट्रीफ्यूज मौजूद हैं. 6000 नए सेंट्रीफ्यूज़ के बाद उसके पास कुल 16 हजार सेंट्रीफ्यूज हो जाएंगे, जिसके बाद ईरान यूरेनियम को और तेजी से संवर्धित कर सकेगा और तेजी से परमाणु हथियार बनाने के करीब पहुंच जाएगा. ईरान के यूरेनियम एनरिचमेंट फैसिलिटी का विस्तार और इसका खुला ऐलान अमेरिका और यूरोपीय देशों को सीधा मैसेज माना जा रहा है कि अब ईरान हर हाल में परमाणु शक्ति हासिल करके रहेगा.
ईरान के खिलाफ डोनाल्ड ट्रंप का बेहद सख्त रुख
ईरान ने ये ऐलान बीते हफ्ते हुई IAEA बोर्ड की उस बैठक के बाद किया है, जिसमें उसके खिलाफ प्रस्ताव लाया गया था. ऐसे में ईरान के इस कदम को IAEA और यूरीपीय नीतियों का खुला विरोध माना जा रहा है. दरअसल, इस बैठक में ईरान ने अपने संवर्धित यूरेनियम भंडार को 60% तक सीमित रखने की बात कही थी. इसके लिए ईरान ने शर्त रखी थी कि बोर्ड उसके खिलाफ कोई प्रस्ताव पारित नहीं करेगा लेकिन इसके बाद भी यूरोपीय देशों के अनुरोध पर ईरान के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया. अब ईरान ये मान चुका है कि यूरोपीय देश उसके खिलाफ उदार रुख कभी नहीं अपनाने वाले और ना ही उसे प्रतिबंधों में ढील मिलने वाली है. खासकर डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद.
दरअसल डोनाल्ड ट्रंप का हमेशा से ईरान के खिलाफ बेहद सख्त रुख रहा है. 2018 में ट्रंप ने अमेरिका को न्यूक्लियर समझौते से बाहर करके ईरान पर नए प्रतिबंध लगाए थे. अब ट्रंप एक बार फिर अमेरिका की सत्ता संभालने वाले हैं. ऐसे में ईरान को डर है कि अमेरिका की सख्ती उसके खिलाफ और बढ़ने वाली है इसलिए ईरान ट्रंप की ताजपोशी से पहले परमाणु टेस्ट कर ट्रंप पर दबाव बनाना चाहता है.
ईरान में परमाणु सिद्धांत को बदलने की उठी मांग
ईरान ना सिर्फ तेजी से यूरेनियम संवर्धन की तरफ बढ़ रहा है बल्कि उसके विदेश मंत्री ने ईरान के परमाणु सिद्धांत में भी बदलाव के संकेत दिए हैं. अब्बास अरागची ने अपने बयान में कहा, ईरान में अपने परमाणु सिद्धांत को बदलने की मांग उठ रही है. अगर यूरोपीय देश UNSC में ईरान पर फिर से प्रतिबंध लगाते हैं तो हमें सोचना पड़ेगा कि अपने परमाणु सिद्धांत को बदलना चाहिए या नहीं. दरअसल अभी तक ईरान दुनिया को ये दिखाता आया है कि उसने इस्लामी सिद्धांतों के मुताबिक मास डिस्ट्रक्शन यानी सामूहिक विनाश के हथियार बनाने पर रोक लगा रखी है. इसे लेकर साल 2003 में खामेनेई ने एक मौखिक फतवा जारी किया था. इस फतवे में सामूहिक विनाश के हथियार बनाने और इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी. इस फतवे का ईरान ने अगस्त 2005 में वियना में IAEA की बैठक के दौरान भी उल्लेख किया गया था.
वॉशिंगटन से लेकर पेरिस तक मची है खलबली
अभी तक इसी फतवे को ईरान का परमाणु सिद्धांत माना जाता रहा है, जिसे अब बदलने की मांग उठ रही है. हालांकि ईरान को रोकने के लिए ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने बातचीत की कोशिशें शुरू कर दी हैं. 24 घंटे पहले ही जेनेवा में इन देशों के प्रतिनिधियों के साथ ईरानी प्रतिनिधियों की मुलाकात हुई लेकिन इसके बाद जो बयान सामने आए वो विनाश का संकेत दे रहे हैं. ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी के प्रमुख रिचर्ड मूर ने कहा कि ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाएं एक बड़ा वैश्विक खतरा पैदा करती हैं. वहीं फ्रांस की खुफिया एजेंसी के प्रमुखा निकोलस लर्नर ने कहा कि भविष्य में हमारे सामने सबसे बड़ा खतरा ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम है. साफ है यूरोप में ईरानी न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर डर है. डर है कि अगर ईरान ने परमाणु शक्ति हासिल कर ली तो इजराइल ही नहीं डोनाल्ड ट्रंप के लिए भी उसपर काबू पाना असंभव हो जाएगा.
ब्यूरो रिपोर्ट, टीवी 9 भारतवर्ष

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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