दुनियां – पाकिस्तान क्या कभी पोलियो से मुक्त हो पाएगा? भारत में आखिरी केस 2011 में आया था… – #INA

पोलियो—एक ऐसा नाम जिसने दशकों तक दुनिया के लाखों लोगों को विकलांगता की गिरफ्त में जकड़ा. जहां भारत और पड़ोसी देश इसे मिटाने में कामयाब हो चुके हैं, वहीं पाकिस्तान अभी भी पोलियो के खिलाफ जंग लड़ रहा है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक दुनियाभर में दो ऐसे देश ही हैं जहां पोलियो का खात्मा नहीं हो पाया है. एक है पाकिस्तान और दूसरा अफगानिस्तान.
4.5 करोड़ बच्चों को पोलियो से बचाने के लिए पाकिस्तान में इस साल का अंतिम वैक्सीनेशन अभियान शुरू हो चुका है. इस साल जनवरी से अब तक पाकिस्तान में पोलियो के 63 मामले सामने आए हैं. लेकिन यहां चुनौती सिर्फ बीमारी नहीं, बल्कि वो हमले भी हैं, जो इस अभियान को बार-बार पटरी से उतार रहे हैं
पाक में पोलियो कितनी बड़ी समस्या?
पोलियो का वायरस ज्यादातर पांच साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि पोलियो के हर 200 मामलों में से एक मामले में हमेशा के लिए लकवा मार देता है. अमूमन टांगों में. पैरालाइज होने वाले बच्चों में करीब 10 फीसदी बच्चे सांस लेने की मांसपेशियों के भी पैरालाइज हो जाने की वजह से मर जाते हैं.
पोलियो से मुक्ति के लिए सबसे ज्यादा जोर इसलिए टीकाकरण को ही दिया जाता है. इसकी मदद से ही दुनिया के ज्यादातर इलाकों में इस बीमारी को मिटाने में कामयाबी मिली है.भूटान 1986, श्रीलंका 1993, बांग्लादेश और नेपाल साल 2000 और भारत साल 2011 में पोलियो मुक्त हो चुका है. भारत को मार्च 2014 में पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया था. पोलियो का आखिरी मामला 13 जनवरी 2011 में मिला था.
पाक में पोलियो को जड़ से खत्म करने के लिए 1994 में प्रोग्राम चलाया. उस वक्त सालभर में 20 हजार केस रिपोर्ट होते थे. तब से लेकर अब तक पाक 30 करोड़ से ज्यादा, करोड़ों पैसे खर्च हो चुके हैं लेकिन हर साल पोलियो के केस दर्ज होते रहते हैं.
इससे निजात पाने के तमाम उपाय नाकाम ही होते जा रहे हैं. इस समस्या की जड़ में पोलियो वैक्सीन को लेकर फैले अंधविश्वास और कट्टरपंथियों का दुष्प्रचार है. इस वजह से न सिर्फ वैक्सीन कैंपन ठप्प हो रहा है बल्कि पोलियो कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमले और हिंसक घटनाओं के मामले भी बढ़ रहे हैं.अधिकारियों का दावा है कि वो देश से पोलियो को मिटाने के आखिरी पड़ाव पर हैं.
वैक्सीनेशन कैंपन पर लगातार होते हमले
वैक्सीनेशन प्रोग्राम को चलाने में 3 लाख 50 हजार से ज्यादा हेल्थ वर्कर्स शामिल हैं. ये सभी स्वास्थ्य कर्मचारी घर घर जाकर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को टीका लगाने का काम करते हैं. मगर इस प्रोग्राम को पाकिस्तान में चलाना इतना आसान भी नहीं है. वहां पोलियो की खुराक पिलाने वाली टीम पर हमले की खबरे भी अक्सर देखने सुनने को मिलती रहती है.
स्वास्थ्य कर्मियों और उनके साथ आए सुरक्षा अधिकारियों को शारीरिक रूप से परेशान किया जाता है. 16 दिसंबर सोमवार को ही खैबर पख्तूनख्वा के करक में पोलियो अभियान टीम पर हमला हुआ, जिसमें एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई और एक स्वास्थ्यकर्मी घायल हो गया.
स्वास्थ्य अधिकारियों और प्रशासन के मुताबिक, 1990 के बाद से पोलियो टीमों के 200 से अधिक सदस्य और उनकी सुरक्षा के लिए नियुक्त पुलिसकर्मी चरमपंथियों के हमलों में मारे गए हैं.
वैक्सीनेशन को लेकर अफवाह
पाकिस्तान में दश्कों से वैक्सीनेशन का विरोध चला आ रहा है. कुछ इस्लामिक कट्टरपंथी ग्रुप अक्सर पोलियो कैंपन को ठप्प करने की कोशिश करते रहते हैं. वहां के लोगों के मन में पोलियो वैक्सनी को लेकर ये डर बैठ गया है कि पोलियो वैक्सीनेशन यहां के बच्चों को स्टेरिलाइज यानी नपुंसक बनाने की पश्चिमी देशों की साजिश है. वैक्सीन में हराम चीजें शामिल होने की भी अफवाह उड़ाई जाती है.
पाकिस्तान में पोलियो टीकाकरण का विरोध तब 2011 के बाद और बढ़ गया. 2011 ओसामा को अमेरिका की एजेंसी सीआईए ने ऑपरेशन कर मार गिराया था. लेकिन इस ऑपरेशन से पहले सीआईए ने एबटाबाद में एक फर्जी मेडिकल अभियान चलाया, हेपेटाइटिस बी.
जब अमेरिका की स्पाई एजेंसी सीआईए की तरफ से अल-कायदा नेता ओसामा बिन लादेन को ट्रैक करने के लिए नकली हेपेटाइटिस टीकाकरण अभियान चलाया गया. जिसे 2011 में अमेरिकी विशेष बलों ने पाकिस्तान में मार गिराया था.
भारत ने पोलियो को कैसे हराया?
भारत को मार्च 2014 में पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया था. पोलियो का आखिरी मामला 13 जनवरी 2011 में मिला था. सर्विलांस के जरिए लोगों को ढूंढ़ा, मामलों की पड़ताल की और वैक्सीनेशन शुरू किया. जब भारत में पोलियो का संक्रमण चरम पर था तब यहां 6 लाख से ज्यादा पोलियो बूथ बनाए गए थे.
पोलियो से मुक्ति अभियान में करीब 23 लाख लोग काम कर रहे थे. सरकार को पोलियो उन्मूलन में अभियान में कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों और एजेंसियों की मदद भी मिली जिनके जरिए लोगों के बीच जागरूकता फैलाई गई.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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