सीरिया का नया 'रॉबिनहुड'…जुलानी के बारे में जानकर हैरान रह जाएंगे जिसने किया Syria में तख्तापलट #INA

Syria Civil War : जब भी किसी सरकार का तख्तापलट होता है तो उस समय सारी दुनिया की नजर उस शख्स पर रहती है, जिसने यह हौसले वाला काम किया होता है. सभी लोग उसके बारे में जानना चाहते हैं कि कैसे और क्यों वह एक मजबूत और ताकतवर सरकार का कुछ ही दिनों में उखाड़ने में सफल रहा है. 53 साल से सीरिया देश की सत्ता संभाल रही फैमिली को जब एक अनाम से शख्स ने उखाड़ फेंका तो यह चौंकाने वाली बात थी. जानते हैं उसी शख्स के बारे में.
सीरिया में 10 दिनों में तख्तापलट की घटना को अंजाम देने वाले शख्स का नाम है अबू मोहम्मद अल-जुलानी (Abu Mohammad Al Julani) और उनके संगठन का नाम है हयात तहरीर अल-शाम यानी HTS. यह दो नाम आज सीरिया की पहचान बन चुके हैं और बशर अल असद को एक गुजरा हुआ समय बता रहे हैं.
अलेप्पो के ऐतिहासिक किले की सीढ़ी चढ़ते हुए नजर आया था जुलानी
दरअसल , जुलानी ही वह शख्स है जो तख्तापलट की प्रक्रिया में सबसे पहली बार अलेप्पो के ऐतिहासिक किले की सीढ़ी चढ़ते हुए नजर आया था और कुछ ही दिनों में हमा, होम्स औरआखिरकर सीरिया की राजधानी दमिश्क पर अधिकार कर लिया. सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद की सेना पहले ही खस्ता हो चुकी थी जबकि उसे रूस और ईरान का सपोर्ट था लेकिन जुलानी के जंग और सियासत के अनुभव ने पांसा पलट दिया. जिस शख्स के संगठन को अमेरिका ने आतंकी घोषित कर रखा है और उसके सिर पर 83 करोड का ईनाम भी रखा है, वह अब सीरिया का नया मसीहा है.
जुलानी ने किए अल-कायदा के नेताओं के साथ संबंध मजबूत
गौरतलब है कि जुलानी का जन्म 1982 में सीरिया की राजधानी दमिश्क में एक सुन्नी मुस्लिम परिवार में हुआ था.बशर अल-असद के पिता हाफिज अल-असद की सरकार ने मुस्लिम ब्रदरहुड के खिलाफ 1982 में होम्स और हमा में एक बड़ा नरसंहार किया था जिसमें हजारों लोगों की मौत हुई. इस एक घटना ने जुलानी को बदल कर रख दिया . यही वो वक्त था जब जुलानी के परिवार और उनके जैसे कई अन्य सुन्नी मुसलमानों के बीच असद सरकार के खिलाफ गुस्सा पैदा हो गया था. 1990 के दशक में जुलानी का परिवार दमिश्क लौटा तो उनका जीवन बदलने वाला था. साल 2000 में फिलिस्तीन में दूसरा इंतिफ़ादा यानी फिलिस्तीन का विद्रोह शुरू हुआ जिसने जुलानी के मन में एक लड़ाका बनने की ललक पैदा की. उसके बाद आया साल 2003. उस समय अमेरिका ने इराक पर हमला किया तो जुलानी बगदाद में जाकर विद्रोही गुटों में शामिल हो गया. अमेरिकी फौज ने जुलानी को पकड़ा और कैंप बुका में बंद कर दिया. यह जेल बहुत खतरनाक थी जहां जहां ISIS, अल-कायदा और अन्य जिहादी गुटों के बड़े-बड़े नेता कैद थे. यहां पर जुलानी ने अपने दिमाग और अपने विचारों को और धारदार बनाया और उसने अल-कायदा के नेताओं के साथ अपने संबंध मजबूत किए, खासकर अबू बक्र अल-बगदादी के साथ.
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आतंकवादी संगठन से एक ‘राजनीतिक ताकत’में बदलाव
2011 में सीरिया में गृहयुद्ध शुरू हुई जुलानी ने कैंप बुका से रिहा होकर सीरिया लौटने का फैसला किया. सीरिया लौटने के बाद जुलानी ने अल-कायदा के समर्थन से एक नए संगठन की नींव रखी. इस गुट का नाम था अल-नुसरा फ्रंट. इस गुट का साफ मकसद था असद सरकार को गिराना और सीरिया में इस्लामिक शासन की स्थापना करना. आत्मघाती हमलों से लेकर सीरियाई सेना पर घातक हमलों के जरिये अल-नुसरा फ्रंट ने पूरे देश में खौफ पैदा कर दिया. लेकिन जुलानी ने जल्द ही महसूस किया कि सिर्फ आतंक से वो अपना मिशन पूरा नहीं कर सकता. उसके बाद जुलानी ने अल-कायदा और ISIS से खुद को दूर कर लिया और 2013 में अबू बक्र अल-बगदादी से भी दूरी बना ली. अब उसने अपना मेकओवर करना शुरू कर दिया और कट्टरपंथी की जगह अब उसने नेशनलिज्म का चेहरा लगा लिया. सीरिया के सियासी नक्शे पर बड़ा उलटफेर तब हुआ जब 2017 में जुलानी ने एक बड़ा कदम उठाया और उसने अपने संगठन को पूरी तरह से नया रूप दिया. अब उसने अपने गुट का नाम बदलकर हयात तहरीर अल-शाम यानी HTS रख दिया. इसका मकसद था इस गुट को एक आतंकवादी संगठन से एक ‘राजनीतिक ताकत’ में बदलना. उसने सीरिया के विद्रोही इलाकों में स्कूल, अस्पताल और लोकल प्रशासन की स्थापना की.
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इस तरह जुलानी बन गया सीरिया का ‘रॉबिनहुड’
HTS ने रूस और पश्चिमी देशों के साथ सीधा संवाद शुरू किया और जुलानी ने ये संदेश दिया कि वो अब सिर्फ एक ‘आतंकी’ नहीं बल्कि एक ‘राजनीतिक नेता’ है. जुलानी ने जब अलेप्पो का किला फतह किया, तो ये एक इशारा था कि अब असद सरकार की गिनती के दिन बचे हैं. आज रविवार की सुबह दमिश्क का पतन हो गया तो असद सरकार, जिसे रूस और ईरान जैसे ताकतवर देश समर्थन दे रहे थे, वो महज़ कुछ घंटों में ढेर हो गई.
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