म्यांमार में फंसा कल्याणपुर का शिवेंद्र सिंह सैटेलाइट फोन के माध्यम से अपने परिवार से संपर्क में है। परिजनों का कहना है कि पूरे दिन में चंद मिनटों के लिए बात हो पा रही है। हर बार यही कहता है कि दस लाख रुपये का इंतजाम करो, वर्ना ये लोग नहीं छोड़ेंगे। हाल ही में शिवेंद्र ने अपने पिता राजेंद्र सिंह को बताया कि वहां पर खाने के लिए कुछ नहीं है। ब्रेड खाकर वह जिंदा है।
वहां सब मांसाहार खाना मिलता है और शिवेंद्र व उसका परिवार मांसाहार खाना नहीं खाता। राजेंद्र सिंह ने बताया कि उनके बेटे का रविवार को फोन आया था। वह फोन पर रो रहा था। बताया कि स्थानीय लोग जेल में डालने की धमकी देते हैं। जहां वह फंसा है वहां पर हर तरफ सिर्फ पहरेदार और सुरक्षा कर्मी ही है। राजेंद्र ने बताया कि एंजेंट ने जिन लोगों को बेटे को सौंपा है, उन्होंने उसका पासपोर्ट ले लिया है।
भाई ने दूतावास में बात की
शिवेंद्र का भाई दीपेंद्र सिंह आईटी सेक्टर में काम करता था। वह कुछ समय पहले तक बंगलुरू की एक कंपनी में नौकरी करता रहा, फिर तबीयत खराब होने पर घर आ गया। राजेंद्र बताते हैं कि इस घटना के बाद से बेटे ने ऑस्ट्रेलिया में अपने कुछ साथियों से संपर्क किया था। वहां से उसे थाईलैंड, म्यांमार और वर्मा के राजदूतों का नंबर मिला। उसने भी से बात की है। उन्हीं लोगों ने कहा कि पहले एक एफआईआर दर्ज कराओ। उसकी कॉपी भेजो तभी हम यहां से कुछ कर सकेंगे।
एफआईआर लिखने में पुलिस ने लगा दिए छह दिन राजेंद्र ने बताया कि उनका बेटा 31 अक्तूबर की रात को श्रमशक्ति से निकल गया था। उसे दिल्ली में एक बैठक में शामिल होना था। वहां जाकर उसका कैसे थाईलैंड जाने का इरादा बन गया। इसकी जानकारी राजेंद्र को भी नहीं है। बेटे ने फोन पर सिर्फ इतना कहा कि दूसरी कंपनी है थाईलैंड में बहुत अच्छा पैसा मिलेगा इसलिए जा रहा हूं। उसने कहा था कि 9 नवंबर को वापस आ जाएगा। जब वह 9 को नहीं आया, तब उन्होंने पुलिस से संपर्क किया मगर पुलिस ने पहले एफआईआर दर्ज करने से इंकार कर दिया। बहुत भाग दौड़ के बाद 15 नवंबर को एफआईआर दर्ज हो सकी।
क्राइम ब्रांच ने संभाला मामला घटना की गंभीरता को देखते हुए इस मामले को पुलिस अधिकारियों ने क्राइम ब्रांच को दे दिया है। एडीसीपी क्राइम मनीष सोनकर इस पूरे मामले को देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि युवक को वापस लाने के सारे प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।
यह है मामला हरि सिंह बगिया कल्याणपुर निवासी दीपेंद्र सिंह द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट अनुसार उनका भाई शिवेंद्र दादानगर की एक जूते की कंपनी में मार्केटिंग की नौकरी करता था। इसी दौरान शिवेंद्र की संदीप नाम के एक युवक से मुलाकात हुई। संदीप ने शिवेंद्र को थाईलैंड में एक लाख रुपए महीने की नौकरी दिलाने का झांसा दिया। वर्क वीजा के नाम पर दो लाख रुपये भी ले लिए। 31 अक्तूबर को संदीप शिवेंद्र को अपने साथ दिल्ली ले गया। जहां पर छल से वर्क की जगह टूरिस्ट वीजा बनवाकर उसे थाईलैंड भेज दिया गया। थाईलैंड से शिवेंद्र को बर्मा के जंगल में भेज दिया गया, जहां वह अब भी फंसा हुआ है।
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