यूपी – Varanasi : सिय पिय विवाह महोत्सव का प्रथम दिन, शबरी के चरित्र से सामाजिक वैमनस्य होगा समाप्त – INA

55 वें श्री सिय पिय मिलन महा-महोत्सव का शुक्रवार को शुभारंभ सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के दीक्षांत मैदान में शिव विवाह के पावन प्रसंग से हुआ। नौ दिवसीय महोत्सव के प्रथम दिवस मंगल गीतों के साथ अखण्ड संकीर्तन से प्रारंभ हुआ। अयोध्या से पधारे संत प्रवर नरहरि दास महाराज ने व्यासपीठ से सबरी भक्ति (नवधा भक्ति) की महिमा का बखान करते हुए कहा कि प्रभु सिर्फ भक्त के भाव देखते है ना कि उसकी जाति।

भगवत वरण चारों वर्णों के अधिकार है। शबरी का चरित्र चारों वर्णों के लिए अनुकरणीय है कहा यदि उनके चरित्र को सही ढंग से समझे तो समाज से आपसी वैमनस्य ही समाप्त हो जाएगा। संत नरहरि दास महाराज ने कहा कि भगवान श्रीराम को शबरी के भाव ने निहाल कर दिया, प्रभु ने उसकी जाति देख उसके झूठे बेर नहीं खाये बल्कि उसके भक्ति भाव से प्रभावित होकर उनके भेंट को स्वीकार किया।
बोले प्रभु स्वयं कहते है कि नर हो, नारी हो, जड़ हो या चेतन हो, वे सब उन्हें स्वीकार है बस उसका भाव सच्ची श्रद्धा और भक्ति से भरा हो। ऐसा निश्छल भक्त उन्हें प्राणों से प्रिय होता है।
श्री शिव विवाह प्रसंग का हुआ मंचन- सिय पिय विवाह महोत्सव के अवसर पर शुक्रवार को नौ दिवसीय रामलीला का भी शुभारंभ हुआ। पहले दिन शिव विवाह लीला का दिव्य मंचन हुआ। लीला में शिव बारात के अत्यंत मनमोहक प्रसंग को देख प्रांगण में उपस्थित श्रद्धालु भावविभोर हो उठे।
देवाधिदेव महादेव अपने गणो, भूत-पिशाचों, देवता, गंधर्व सबके साथ बारात लेकर पहुँचते है। जिसके बाद माता पार्वती संग उनके विवाह का दृश्य देख श्रद्धालु स्वयं को धन्य करते रहे। लीला क्रम में माता पार्वती की बाल्यावस्था से लेकर उनकी कठोर तपस्या आदि का भी मंचन हुआ। 


Credit By Amar Ujala

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