दुनियां – अमेरिका चुनाव में यूपी के हस्तिनापुर जैसा है इस राज्य का पॉलिटिकल राशिफल, समझिए कैसे और क्यों? – #INA

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस और रिप्ब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप के बीच कांटे की टक्कर है. रुझानों के मुताबिक, ट्रंप कमला हैरिस पर बढ़त बनाए हुए हैं. कई राज्यों में दोनों के बीच रोमांचक मुकाबला देखने को मिल रहा है, जिसमें से खासतौर से स्विंग स्टेट के तौर पर जाने जाने वाला पेंसिल्वेनिया भी है. ये वो राज्य है जिसे अमेरिकी चुनाव में उत्तर प्रदेश की हस्तिनापुर विधानसभा सीट से भी जोड़कर देखा जा रहा है, क्योंकि जैसे हस्तिनापुर में जिस पार्टी की जीत होती है वही सरकार बनाती है. वैसे ही पेंसिल्वेनिया में जिसकी जीत होती है वही देश का राष्ट्रपति बनता है. यहां कई बार के चुनावी नतीजे इस बात की गवाही दे रहे हैं.
जो जीता पेंसिल्वेनिया वो बना राष्ट्रपति
अमेरिका में राष्ट्रपति का पहला चुनाव 1789 में हुआ था. पेंसिल्वेनिया में जीत जॉर्ज वाशिंगटन की हुई थी और वही देश के राष्ट्रपति भी बने थे. इसके बाद 1792 में भी उन्होंने पेंसिल्वेनिया में जीत हासिल की और राष्ट्रपति बने. लेकिन 1796 में ये सिलसिया टूट गया. यहां से जीत मिली थॉमस जेफरसन को और राष्ट्रपति बने जॉन एडम्स.
1800 के चुनाव में भी थॉमस जेफरसन ने जीत दर्ज की थी और वही देश के राष्ट्रपति भी बने थे. 1804 में उन्होंने फिर यहां से जीत दर्ज की और राष्ट्रपति भी बने. 1808 में यहां से जेम्स मेडिसन को जीत मिली. वही देश के राष्ट्रपति भी बने. 1812 में पेंसिल्वेनिया से जेम्स मेडिसन को फिर जीत मिली. राष्ट्रपति भी वही बने.
गजब का रहा है इतिहास
1816 के चुनाव की बात करें तो इस बार यहां से जेम्स मॉनरोये को जीत मिली. वही देश के राष्ट्रपति भी बने. इसके बाद 1820 में उन्होंने फिर जीत दर्ज की और राष्ट्रपति बने. 1824 में यहां से एंड्रूयू जैकसन को जीत मिली, लेकिन राष्ट्रपति जॉन एडम्स बने थे. 1828 में एंड्रूयू जैकसन ने फिर बाजी मारी. वही राष्ट्रपति भी बने. 1832 में भी उन्होंने जीत दर्ज की. इस बार फिर वही देश के राष्ट्रपति बने.
1836 में यहां से मॉर्टिन वेन बुरेन ने जीत दर्ज की. राष्ट्रपति भी वही बने. 1840 में पेंसिल्वेनिया से विलियन हैरिसन को जीत मिली. लेकिन राष्ट्रपति जॉन टायलर बने. 1844 में जेम्स पोल्क ने यहां से बाजी मारी थी और वही राष्ट्रपति भी बने थे. 1848 में जे टेलर यहां से चुनाव जीते थे. लेकिन राष्ट्रपति वो नहीं बन पाए थे. 1852 में फ्रैंकलिन पीयर्स ने बाजी मारी थी. वही राष्ट्रपति भी बने थे.
1856 में जेम्स बुकानन ने यहां से जीत दर्ज की थी. वही देश के राष्ट्रपति बने थे. 1860 में यहां से अब्राहम लिंकन ने जीत हासिल की थी. वही देश के राष्ट्रपति भी बने थे. 1864 में फिर उन्होंने बाजी मारी. लेकिन इस बार सिलसिला टूटा और राष्ट्रपति बने एंड्रूयू जॉनसन.
1872 में इस राज्य में जीत यू ग्रांट को मिली. वही राष्ट्रपति भी बने. 1876 में भी ऐसा ही हुआ, लेकिन इस बार चेहरा अलग था. पेंसिल्वेनिया में ऐसा कई चुनाव में देखने को मिला. हाल के चुनाव को देखें तो 2008 में यहां से बराक ओबामा को जीत मिली थी और वही राष्ट्रपति भी बने थे. 2012 में भी वैसा ही हुआ था. 2016 में यहां से डोनाल्ड ट्रंप ने बाजी मारी थी और वही देश के राष्ट्रपति भी बने. 2020 में इस राज्य से डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बाइडेन ने जीत हासिल की थी. राष्ट्रपति की कुर्सी पर वही विराजमान हुए थे. अब देखना है इस बार क्या होगा.
हस्तिनापुर विधानसभा सीट का भी ऐसा रहा है हाल
पिछले कुछ चुनाव के लिहाज से देखें तो यूपी के हस्तिनापुर का अलग ही किस्सा रहा है. जिस पार्टी का विधायक हस्तिनापुर से चुनाव जीतता है उसी पार्टी की सरकार प्रदेश में बनती है चाहे वह पूर्ण बहुमत की सरकार हो या फिर गठबंधन की सरकार हो.
बात पिछले कुछ चुनाव की करें तो यहां से 2022 में बीजेपी के दिनेश खटीक चुनाव जीते थे और प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी. 2017 में भी ऐसा ही हुआ था. उससे पहले सपा के प्रभु दयाल वाल्मीकि जीते तो प्रदेश में सपा की सरकार बनी. इससे पहले यहां से बीएसपी के योगेश वर्मा जीते तो प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सरकार बनी.इस सीट पर जब तक कब्जा कांग्रेस के हाथों में रहा, तब तक प्रदेश की सत्ता कांग्रेस के हाथों में रही थी.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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