दुनियां – जिस सम्मेलन में पहुंचे पीएम मोदी, जानिए उसके बारे में सभी अहम बातें – #INA

दुनिया में 195 देश हैं. जिनके अपने बॉर्डर हैं, और जो दूसरे देशों से अपनी सीमाएं साझा करते हैं. मगर इनके आपसी जुड़ाव केवल बॉर्डर तक ही सीमित नहीं है. अपने-अपने हितों को साधने और बड़े मुद्दों पर एकजुटता दिखाने के लिए इनमें से कुछ देश कई तरह के समूह बनाते हैं.
G7, ब्रिक्स, आसियान, सार्क ऐसे ही कुछ समूह हैं. जहां एक नहीं कई देश साथ आते हैं, बैठते हैं और भविष्य को लेकर एक रणनीति बनाते हैं. ऐसा ही एक ताकतवर ग्रुप है- G20. वो मंच जहां दुनिया की 20 बड़ी और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करती हैं.
इनकी ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि G20 के सदस्य देश दुनिया की 85% जीडीपी, 75% ग्लोबल ट्रेड और दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं. 2023 में इसी समूह की मेजबानी भारत ने की थी. इस बरस सदारत ब्राजील के हाथों में है.
ब्राजील – साउथ अमेरिका के इस देश में 18-19 नवंबर को G20 की 19वीं बैठक हो रही है. इसमें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग शरीखे दिग्गज हिस्सा ले रहे हैं. आइये, इस खास मौके पर जानें कि G20 का इतिहास क्या रहा है, और वो सब कुछ जो इसे खास बनाता है.
G20 क्या है और क्यों बना?
जैसा कि नाम से ही साफ है, G20 मानें 20 देशों का एक समूह. 19 देश जो इस ग्रुप का हिस्सा है- अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किए, यूनाइटेड किंगडम, अमरिका. ग्रुप का 20वां सदस्य है यूरोपियन यूनियन यानी यूरोप के देशों का मजबूत समूह.
इस समूह को बनाने का विचार 1999 में एशिया में आए आर्थिक संकट से आया था. उस वक्त तमाम देशों के वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक के गवर्नरों ने मिलकर एक ऐसा प्लैटफॉर्म बनाने के बारे में सोचा जहां पर ग्लोबल इकॉनमिक और फाइनैंशियल मुद्दों पर चर्चा की जा सके.
2007 तक केवल सदस्य देशों के वित्त मंत्री इसकी बैठकों में शामिल होते हैं. मगर 2008 के आर्थिक संकट को देखते हुए तय हुआ कि अब जी20 की बैठक में सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों की जगह हेड ऑफ स्टेट यानी सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी समिट में हिस्सा लेंगे.
पहली बैठक कब हुई थी?
जी-20 की पहली बैठक साल 2008 में अमेरिका के वॉशिंगटन में हुई थी. ये वो दौर था जब दुनिया वैश्विक आर्थिक संकट से जूझ रही थी. अब तक इस ग्रुप की कुल 18 बैठकें हो चुकी है. दूसरी बैठक साल 2009 में ब्रिटेन में हुई थी.
हालांकि शुरुआती दौर में एक साल 2 बार G20 के आयोजन हुए. 2011 से इसका आयोजन साल में एक बार हो रहा है. इसलिए तीसरी बैठक दोबारा अमेरिका में हुई साल 2009 में. इस तरह अमेरिका इकलौता ऐसा देश है जो दो बार में G20 की मेजबानी कर चुका है.
साल 2010 में कनाडा में चौथी बैठक हुई, उसके बाद फ्रांस, मेक्सिको, रूस, ऑस्ट्रेलिया, तुर्की, चीन, जर्मनी, अर्जेंटीना, जापान, सऊदी अरब, इटली, इंडोनेशिया में आयोजन हुआ. भारत ने 18वीं बैठक की मेजबानी की थी.
एक और बात, G20 में मेंबर देशों के अलावा हर साल अध्यक्ष देश, कुछ देशों और संगठनों को मेहमान के तौर पर भी आमंत्रित करते हैं. जैसे G20 2024 के मेहमान देश हैं- अंगोला, मिस्त्र, नाइजीरिया, नॉर्वे, पुर्तगाल, सिंगापुर, स्पेन और UAE.
किन मुद्दों पर होती है चर्चा?
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि इस ग्रुप को बनाने का मकसद ही अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करना था. मगर समय के साथ इसका दायरा बढ़ता गया. अब इस समिट में केवल अर्थव्यवस्था पर ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर भी विचार विमर्श होता है.
मिसाल के तौर पर साल 2015, जब तुर्की में जी20 का आयोजन हुआ था. ऐसा पहली बार हो रहा था जब 20 सदस्य देशों ने प्रवासन और शरणार्थी संकट पर ध्यान केंद्रित किया था. इसके अलावा वित्तीय क्षेत्र में सुधार और जलवायु परिवर्तन से निपटने की योजनाओं के समर्थन पर भी सहमति हुई.
जी20 कैसे काम करता है?
दरअसल जिस भी देश को G20 की अध्यक्षता मिलती है वह उस साल इसकी बैठकें आयोजित करवाता है. वह बैठक का एजेंडा पेश करता है. इसके अलावा G20 दो ट्रैक के जरिए काम करता है.
पहला होता है फाइनेंस ट्रैक यानी वित्त ट्रैक और दूसरा बोता है शेरपा ट्रैक. फाइनेंस ट्रैक वित्तीय और आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित है. जिसमें सभी देशों के वित्त मंत्री और सेंट्रल बैंक के गर्वनर मिलकर काम करते है.
शेरपा ट्रैक में सदस्य देशों के राजनयिक प्रतिनिधियों के स्तर पर चर्चा शामिल है. शेरपा असल में उन्हें कहा जाता है जो किसी भी मिशन को आसान करने का काम करते हैं. शेरपा ट्रैक में कृषि, संस्कृति, डिजिटल अर्थव्यवस्था, शिक्षा, उर्जा और पर्यटन जैसे विषय शामिल हैं.
जी 20 की अध्यक्षता कैसे मिलती है?
अब इस बार ब्राजील G20 की मेजबानी कर रहा है मगर सवाल है कि ये तय कैसे होता है कि कब किस देश को समिट लीड करना है? दरअसल G20 के अध्यक्ष का फैसला ट्रोइका यानी एक तिकड़ी से तय होता है. इसमें पिछले, वर्तमान और भविष्य के अध्यक्ष शामिल होते हैं.
इस बार का उद्हारण लें तो भारत, ब्राजील और साउथ अफ्रीका का एक ट्रोइका है. 2023 में भारत में G20 समिट का आयोजन हुआ. 2024 में ब्राजील में आयोजन हो रहा है. 2025 में दक्षिण अफ्रीका में G20 के आयोजन के साथ ही इस तिकड़ी का समापन हो जाएगा.दक्षिण अफ्रीका में इसके आयोजन के साथ हर देश को G20 की अध्यक्षता मिल चुकी होगी. इसके बाद 2026 से फिर से अमेरिका को G20 की अध्यक्षता मिल जाएगी.
जी20 की बैठक से क्या फ़ायदा?
इस सम्मेलन के दौरान लिए गए फैसलों को मानने की कोई कानूनी बाध्यता नहीं होती. बैठक के अंत में G20 देशों के साझा बयान पर आम सहमति भी बनाई जाती है, जिसकी जिम्मेदारी आमतौर पर अध्यक्ष देश के ऊपर ही होती है.
हालांकि इंडोनेशिया के बाली में जब 2022 में G20 की मीटिंग हुई थी तब ये पहली बार हुआ था जब सभी राष्ट्र प्रमुखों का एक साथ फोटो नहीं लिया जा सका. दरअसल अमेरिका और रूस के बीच यूक्रेन जंग को लेकर तनातनी हो गई थी. 15 दौर की बाद भी घोषणा पत्र जारी करने पर सहमति नहीं बन पाई. इसके बाद पश्चिमी देशों ने अपने मुताबिक बाली घोषणा पत्र जारी किया.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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