दुनियां – पुतिन का जोश हाई करने वाली है BRICS समिट की ये तस्वीर, पश्चिमी देशों को ऐसे दिया झटका – #INA

यूक्रेन जंग को शुरू हुए तीन साल होने वाले हैं, रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से अमेरिका और पश्चिमी देश रूस को अलग-अलग तरीके से घेरने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले साल साउथ अफ्रीका में हुए ब्रिक्स के 15 वें सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए थे. तब उनके साउथ अफ्रीका न आने की वजह अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के गिरफ्तारी वारंट को बताया गया था.
ब्रिक्स का 16 वां समिट रूस के कजान शहर में हो रहा है और यहां दुनिया के 30 से ज्यादा देशों के नेता जुटे हैं. ब्रिक्स समिट के तहत पुतिन अपनी ताकत पूरी दुनिया को दिखा रहे हैं, खासकर उन पश्चिमी देशों को जो रूस को अलग-थलग करने के लिए लगातार प्रतिबंधों का दायरा बढ़ा रहे हैं.
ग्लोबल साउथ की बड़ी ताकत माने जाने वाले चीन, भारत, UAE और ईरान समेत दर्जनों देशों के नेताओं के साथ पुतिन मीटिंग कर रहे हैं. इस समिट से पुतिन की कोशिश है कि विकासशील देशों को पश्चिमी वर्चस्व से बाहर निकाला जाए और इसमें वे काफी हद तक कामयाब होते भी दिख रहे हैं. इस साल के शुरू में ब्रिक्स में UAE, मिस्र, ईरान और इथोपिया शामिल हुए थे. इस समिट में भी 6 से 8 देशों के शामिल होने की उम्मीद है.
पश्चिमी देशों को स्पष्ट संदेश
ब्रिक्स सम्मेलन की तस्वीर अपने आप में काफी कुछ कहती है. जिस रूस को अमेरिका और पश्चिमी देशों ने अलग-थलग करने की कोशिश की, वह ब्रिक्स के जरिए उन्हें संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि रूस अकेला नहीं है. ग्लोबल साउथ की दो सबसे बड़ी ताकत भारत और चीन समेत दुनियाभर के कई विकासशील देश रूस के साथ हैं, वहीं ब्रिक्स से ठीक पहले भारत-चीन के बीच सीमा विवाद सुलझाने में भी रूस की भूमिका का जिक्र हो रहा है, जो रूस के लिए बड़ी कामयाबी मानी जा सकती है.
पुतिन के लिए गिफ्ट है ब्रिक्स
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन पुतिन के लिए किसी उपहार से कम नहीं है. इस सम्मेलन के जरिए वह ये संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि रूस पश्चिमी देशों की लाइन से हटकर भी खड़े रह सकता है और ऐसा ही इसमें शामिल और देश भी कर सकते हैं. रूस ब्रिक्स को G7 के बदल के रूप में दिखाना चाह रहा है, जो विश्व को एक न्यायपूर्ण व्यवस्था की ओर ले जाए. जिसके फैसले में छोटे देशों का भी हिस्सा हो.
डॉलर की जगह ब्रिक्स करेंसी
ब्रिक्स सम्मेलन का सबसे अहम और बड़ा मुद्दा इस वक्त ब्रिक्स करेंसी बनी हुई है. रूसी राष्ट्रपति पुतिन का कहना है कि अमेरिकी डॉलर या यूरो के जगह दूसरे मोड ऑफ पेमेंट इस्तेमाल करने से आर्थिक विकास को राजनीति से मुक्त रखने में मदद मिलेगी.
विश्व व्यापार से डॉलर के प्रभुत्व को खत्म करने के लिए रूस ने ब्रिक्स देशों के सामने ब्रिक्स करेंसी पेश की है. ये डॉलर के मुकाबले वैकल्पिक व्यवस्था होगी, जिसके जरिए ब्रिक्स देशों के बीच लेन-देन को आसान और सुरक्षित बनाया जा सकेगा. अगर इसको इस सम्मेलन में लांच किया जाता है, तो ये अमेरिका के लिए बड़ा झटका और रूस के लिए कामयाबी होगी.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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