देश- मुंबई की सियासत पर उत्तर भारतीय मुस्लिमों का दबदबा, क्या 2024 में कायम रहेगा वर्चस्व?- #NA
मुंबई की सियासत पर उत्तर भारतीय मुस्लिमों का दबदबा
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का औपचारिक ऐलान अभी नहीं हुआ, लेकिन सियासी सरगर्मियां तेज हैं. ऐसे में मुंबई की सियासत में गैर मराठियों की राजनीति में उत्तर भारतीय मुसलमानों का दबदबा है. उत्तर भारतीय मुस्लिम के राजनीतिक वर्चस्व को तोड़ने की कोशिश मराठी और अन्य राज्यों से आकर बसे मुस्लिम नेताओं ने कई बार कवायद की, लेकिन अभी तक सफल नहीं हो सके. इस बार के विधानसभा चुनाव में भी उत्तर-भारतीय मुसलमान नेता मुंबई की मुस्लिम बहुल सीटों से किस्मत आजमाने की कवायद में है. ऐसे में देखना है कि कांग्रेस से लेकर एनसीपी और सपा कितने उत्तर भारतीय मुस्लिम को प्रत्याशी बनाते हैं?
महाराष्ट्र में 12 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं, जो चुनावी मैदान में सियासी खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं. उत्तरी कोंकण, मराठवाड़ा, पश्चिमी विदर्भ और मुंबई के इलाके में करीब 40 से 45 विधानसभा सीटों पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. 2019 चुनाव में 10 मुस्लिम विधायक जीते थे, जिसमें छह विधायक मुंबई इलाके से हैं. इससे ही मुंबई में मुस्लिम सियासत को समझा जा सकता है और 2024 में भी इन्हीं छह सीटों पर उत्तर भारतीय के मुस्लिम चुनावी मैदान में उतरने की कोशिश में जुटे हैं.
2024 के विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों में सीटों और उम्मीदवारों को लेकर लगातार मंथन और बैठकों का दौर जारी है. ऐसे में सभी की निगाहें मुंबई की 36 सीटों में से कितनी सीटों पर मुस्लिम चेहरे को चुनावी मैदान में सियासी दल उतारते हैं. सूबे की सत्ता पर काबिज बीजेपी और सीएम एकनाथ शिंदे की शिवसेना से मुंबई में किसी सीट पर मुस्लिम को टिकट मिलने की संभावना कम है, लेकिन अजीत पवार की एनसीपी से दो से तीन सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार को उतारने का दांव चल सकती है.
अजीत पवार की पार्टी से तीनों मुस्लिम उत्तर भारतीय
अजीत पवार की पार्टी से जिन तीन मुस्लिमों के मुंबई से चुनाव लड़ने की चर्चा है, वो तीनों ही उत्तर भारतीय मुस्लिम चेहरे हैं. पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी का बेटा जीशान बांद्रा पश्चिमी विधानसभा सीट अजित पवार की एनसीपी से उम्मीदवार हो सकते हैं. इसके अलावा अणुशक्ति नगर सीट से विधायक नवाब मलिक को इस बार चुनाव में मानखुर्द शिवाजी नगर सीट से चुनाव में उतर सकते हैं. अणुशक्ति नगर सीट से नवाब मलिक अपनी बेटी सना मलिक को चुनाव लड़ाने की तैयारी में है. जीशान बिहार से हैं तो नवाब मलिक उत्तर प्रदेश से आकर मुंबई में बसे हैं.
वहीं, कांग्रेस और शरद पावर की एनसीपी से लेकर समाजवादी पार्टी तक उत्तर भारत के मुस्लिमों को टिकट देने का दांव चल सकती है. कांग्रेस मुंबई से जीते तीनों ही मुस्लिम विधायकों को फिर से प्रत्याशी बना सकती है. उत्तर भारतीय मुस्लिम चेहरे के रूप में कांग्रेस एक बार फिर चांदिवाली सीट से नसीम खान और मालाड से असलम शेख को प्रत्याशी बना सकती है. इसके अलावा गुजरात से आने वाले मुंबादेवी से अमीन पटेल कांग्रेस फिर से टिकट दे सकती है. इस तरह कांग्रेस मुंबई की तीन सीटों में से दो सीट पर उत्तर भारतीय और एक सीट पर गैर-उत्तर भारतीय प दांव खेलेगी.
सपा की पूरी सियासत उत्तर भारतीय मुस्लिमों पर टिकी
सपा की पूरी सियासत उत्तर भारतीय मुस्लिमों पर ही टिकी है. मानखुर्द शिवाजी नगर विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक अबू आसिम आजमी खुद चुनाव लड़ेंगे और अणुशक्ति नगर सीट से फिल्म अभिनेत्री स्वरा भाष्कर पति फहाद अहमद को प्रत्याशी बनाया जा सकता है. इसके अलावा सपा मुंबई से बाहर भिवंडी और मालेगांव की सीट पर भी उत्तर भारतीय मुस्लिम को अपने उम्मीदवार उतारने के मूड में है. इसी तरह असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM भी मुंबई की सीटों मुस्लिम दांव खेलने के मूड में है.
नवाब मलिक पहली बार सपा से विधायक चुने गए थे और अबू आजमी के खास हुआ करते थे, लेकिन आगे चलकर आजमी और मलिक के बीच ऐसी दुश्मनी हुई कि सालों तक दोनों एक दूसरे से दूर हैं. मानखुर्द शिवाजी नगर से मलिक और आजमी आमने-सामने उतरेंगे तो अणुशक्ति सीट पर उनकी बेटी का मुकाबला यूपी से ही आने वाले फहाद अहमद के बीच होगा. यह चारों ही नेता उत्तर प्रदेश से हैं. फहाद बरेली के बहेड़ी से आते हैं तो अबु आसिम आजमगढ़ से हैं.
मुंबई में उत्तर भारतीय मुस्लिमों की सियासी पकड़ को देखते हुए सभी प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस-एनसीपी भी उत्तर-भारतीय मुस्लिम नेतृत्व को ही न केवल सत्ता और संगठन में प्रमुख स्थान देती रही है. इसके अलावा चुनाव लड़ने का भरपुर अवसर प्रदान करते हैं. हालांकि. उत्तर भारतीय मुसलमानों की परिस्थितयों में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है. मुंबई में खान, शेख, आजमी और मलिक उत्तर-प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं. बाबा सिद्दीकी को मुस्लिम उत्तर-भारतीय नेता स्वीकार नहीं करते, लेकिन वह बिहार से हैं. अमीन पटेल गुजराती मुसलमान हैं.
जाने माने वकील माजीद मेमन को एनसीपी ने राज्यसभा में भेजा और मुनाफ हकीम को अल्पसंख्यक आयोग की लालबत्ती दी. मुनाफ हकीम एनसीपी का मराठी मुस्लिम चेहरा है जबकि माजीद मेमन को गुजराती मुस्लिम हैं. उत्तर-भारतीय मुस्लिम के दबदबे के सामने मराठी मुस्लिमों की एक नहीं चलती हैं. उत्तर-भारतीय मुस्लिम लॉबी को सियासी तौर पर कमजोर करने के लिए अमीन पटेल, यूसुफ अब्राहनी और हुसैन दलवई अपना सियासी गठजोड़ बनाते रहे हैं, लेकिन अब तक ये नाकाम रहे हैं.
मुंबई में मुस्लिम आबादी का 70 फीसदी उत्तर-भारतीय
मुंबई से रहने वाले मुसलमानों की कुल आबादी का करीब 70 फीसदी उत्तर-भारतीय हैं, बाकी के 30 प्रतिशत में मराठी, दक्षिण भारतीय, गुजराती और दूसरे अन्य राज्यों के मुसलमान शामिल हैं. कांग्रेस ने मुंबई में पांच सीट पर मुस्लिम कैंडिडेट देती रही, जिनमें से चार उत्तर-भारतीय चेहरे रहते हैं. बाबा सिद्दीकी एक समय में कांग्रेस के दिग्गज नेता हुआ करते थे, लेकिन अब अजीत पवार की पार्टी में शामिल हो चुके हैं. फैजाबाद जिले से आने वाले नसीम खान, सुहैया अशरफ और सैयद अहमद कांग्रेस के उत्तर भारतीय चेहरा हुआ करते थे, लेकिन अब असलम शेख और नसीम अहमद बचे हैं. ऐसे में देखना है कि 2024 के चुनाव में उत्तर भारतीय मुस्लिम क्या अपना सियासी वर्चस्व बनाए रख पाते हैं?
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