देश- योगी सरकार ने DMS को लेकर लिया ऐतिहासिक फैसला, निवेश को दिया महत्व, क्या होगा असर?- #NA

ब्रिटेश काल में वारेन हेस्टिंग ने साल 1772 में जिस मकसद को ध्यान में रख कर “डीएम” का पद बनाया था, उसी को ध्यान में रखकर 252 साल बाद यूपी की योगी सरकार ने सूबे के डीएम और कमिश्नर के एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट के लिए उसे अनिवार्य कर दिया है.

यूपी में डीएम के लिए 252 साल बाद एक बार फिर रेवेन्यू फर्स्ट प्रायोरिटी बनने जा रहा है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में निवेश को बढ़ावा देने और आर्थिक गतिविधियों को मजबूत करने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाया है. योगी सरकार के नए निर्णय की जानकारी देते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि अब जिलाधिकारी (डीएम) और मण्डलायुक्त (कमिश्नर) के कार्यक्षेत्र में निवेश की प्रगति और उनके प्रयासों को मॉनिटर किया जाएगा.

योगी सरकार ने क्या ऐलान किया?

डीएम और कमिश्नर की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) में उनके कार्यक्षेत्र में हुए निवेश और लोन संबंधी ग्रोथ को भी शामिल करना अनिवार्य होगा. इसके आधार पर अधिकारियों को ग्रेडिंग दी जाएगी, जिससे उनकी परफॉर्मेंस का निष्पक्ष मूल्यांकन हो सके.

यह कदम प्रदेश में रोजगार और विकास के नए अवसरों को पैदा करेने और निवेश को भी बढ़ावा देने के मकसद से उठाया गया है. इस प्रक्रिया को लागू करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य होगा. ये निर्णय इसीलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अब डीएम के लिए लॉ एंड ऑर्डर और डेवलपमेंट से ज्यादा रेवेन्यू पर निवेश महत्व रखता है. जिलाधिकारी के स्तर पर कानून व्यवस्था, विकास और राजस्व ये तीन महत्वपूर्ण काम थे.

ब्रिटिश काल से क्या जुड़ाव?

ब्रिटिश काल में जहां राजस्व महत्वपूर्ण था तो आजाद हिंदुस्तान में कानून एवं व्यवस्था. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन का मानना है कि आजादी के बाद से ही जिलाधिकारी जिले के विकास कार्यों के लिए जिम्मेदार होता है. जिले में उद्योग लगाने के लिए बिजली, सड़क, पानी और कानून व्यवस्था जैसी परिस्थिति जिलाधिकारी ही तैयार करता है ताकि निवेश आए.

उन्होंने आगे कहा, जब आप निवेश लाने को एसीआर से जोड़ देंगे तो फिर मुश्किल होगी. डीएम तब लॉ एंड आर्डर और डेवलपमेंट की जगह फिर इन्वेस्टमेंट को ही महत्व देंगे. पूरब और पश्चिम में भी अंतर दिखेगा. नोएडा का डीएम जो निवेश ला सकता है क्या श्रावस्ती का डीएम वो निवेश ला पाएगा?

क्या होगा असर?

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ने कहा, निवेश लाने का काम सरकार का होता न की डीएम और कमिश्नर का , डीएम और कमिश्नर सिर्फ जमीन पर उतरने में मदद कर सकता हैं, जैसे विभागों से एनओसी, जमीनी विवाद, बिजली व्यवस्था , उद्योग को बढ़ावा देने के बेहतर समन्वय को स्थापित करना और बेहतर कानून व्यवस्था देना. डीएम को तहसील प्रशासन, ब्लॉक प्रशासन, ग्रामीण विकास, भूमि सुधार सहित कई मामले देखने होते हैं लिहाजा उसको इससे अलग रखना ही चाहिए.

पूर्व मुख्य सचिव ने कहा, अब योगी सरकार के सामने ज़्यादा से ज़्यादा निवेश लाने की चुनौती है और ये काम बिना डीएम और डिवीजनल कमिश्नर के इन्वॉल्व हुए नहीं हो सकता. लिहाजा सरकार ने राजस्व जुटाने के लिए जिला प्रशासन के वारेन हेस्टिंग मॉडल को अपनाने का निर्णय लिया है.

Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.

यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link

Back to top button
Close
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science
Eng News