भारतीय ग्रिड से बांग्लादेश  में अंधेरा मिटेगा, संबंधों में खटास के बावजूद भारत ने पूरा किया अपना वादा #INA

बांग्लादेश के साथ भारत के सम्बन्ध भले हीं बेपटरी हो लेकिन भारत अपना पड़ोसी धर्म निभाने से गुरेज नहीं कर रहा है. भारत, नेपाल और बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक त्रिपक्षीय बिजली लेन-देन की शुरुआत हुई है जिसे  केंद्रीय ऊर्जा मंत्री और आवास एवं शहरी कार्य मंत्री श्री मनोहर लाल ने बांग्लादेश के ऊर्जा मंत्रालय के सलाहकार मोहम्मद फौजुल कबीर खान और नेपाल के ऊर्जा, जल संसाधन एवं सिंचाई मंत्री दीपक खडका के साथ संयुक्त रूप से  किया. यह वर्चुअल कार्यक्रम नेपाल के ऊर्जा, जल संसाधन एवं सिंचाई मंत्रालय द्वारा आयोजित किया गया. गौरतलब है नेपाल की मौजूदा सरकार चीन के इन दिनों काफी करीबी है वहीं बांग्लादेश में हसीना सरकार के गिरने के बाद वहां हिन्दू अल्पसंख्यक खतरे में है जबकि भारत के साथ संबंधों में तल्खियां है.

यह पहला मौका है जब भारत के ग्रिड के माध्यम से नेपाल से बांग्लादेश तक बिजली की आपूर्ति की गई है. इस ऐतिहासिक परियोजना में 40 मेगावाट बिजली का निर्यात किया जाएगा, जो भारत, नेपाल और बांग्लादेश के बीच क्षेत्रीय सहयोग को मजबूती प्रदान करने में अहम भूमिका निभा सकता है.

त्रिपक्षीय समझौते की पृष्ठभूमि

भारत ने नेपाल से बांग्लादेश तक बिजली आपूर्ति के इस पहले त्रिपक्षीय लेन-देन को साकार करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की थी. इसकी घोषणा नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री श्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ की 31 मई से 3 जून 2023 तक भारत यात्रा के दौरान की गई थी. इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने ऊर्जा क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई थी.

इसके बाद, 3 अक्टूबर 2024 को काठमांडू में एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम, नेपाल विद्युत प्राधिकरण और बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड के बीच त्रिपक्षीय बिजली बिक्री समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.

क्षेत्रीय सहयोग को मिलेगा प्रोत्साहन

इस बिजली प्रवाह की शुरुआत न केवल ऊर्जा क्षेत्र में क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को मजबूती प्रदान करेगी, बल्कि भारत, नेपाल और बांग्लादेश के बीच आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को भी सुदृढ़ करेगी. यह परियोजना इन तीनों देशों के बीच परस्पर लाभकारी सहयोग का उदाहरण है और क्षेत्रीय विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

नेपाल से बांग्लादेश तक बिजली आपूर्ति की यह पहल दक्षिण एशिया में ऊर्जा सहयोग का एक नया अध्याय है. इससे न केवल ऊर्जा क्षेत्र में संबंध मजबूत होंगे, बल्कि तीनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भी लाभ मिलेगा. यह परियोजना क्षेत्रीय स्थिरता और विकास में एक मील का पत्थर साबित होगी.


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