यूपी – Kanpur: कोरोना काल से बंद पड़े मदरसे में मिला बच्चे का कंकाल, ब्लैक बोर्ड पर पड़ी तारीख पुलिस के लिए बनी पहेली – INA

जाजमऊ के पोखरपुर फार्म रोड पर चार साल से बंद पड़े मदरसे में बुधवार को एक कंकाल बरामद हुआ। सूचना पर फॉरेंसिक टीम संग मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच पड़ताल कर साक्ष्य एकत्रित किए। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। साथ ही डीएनए सैंपल भी लिया जाएगा।

नई सड़क निवासी परवेज अख्तर ने वर्ष 2015 में मदरसा कदरिया उलूम का संचालन शुरू किया था। इसमें आसपास के प्राइमरी स्तर के करीब 70 से 80 बच्चे पढ़ते थे। 100 वर्गगज में बना दो मंजिला मकान परवेज ने बेकनगंज निवासी अपने ससुर शब्बीर अहमद से लिया और उसे कदरिया उलूम नाम देकर मदरसा संचालन शुरू किया। करीब चार साल पहले कोरोना काल में मदरसे का संचालन बंद कर दिया गया था। इसके बाद परवेज की कैंसर की चपेट में आने से जून 2022 में मौत हो गई थी।
परवेज के बेटे हमजा ने बताया कि दो साल पहले भी मकान का ताला टूटा होने की जानकारी पर आए थे। उस दौरान उन्होंने दूसरा ताला बंद कर दिया था। हमजा के अनुसार केडीए निवासी उनका ममेरा भाई अनस सड़क से निकला तो मकान का ताला टूटा देख वह आसपास के लोगों के साथ मकान में दाखिल हुआ। पीछे के कमरे में एक बच्चे का कंकाल पड़ा देख पुलिस को सूचना दी। बच्चे का कंकाल मिलने की सूचना पर फॉरेंसिक टीम संग मौके पर पहुंचे एडिशनल डीसीपी राजेश श्रीवास्तव, एसीपी कैंट अजय मिश्रा ने जांच पड़ताल कर साक्ष्य जुटाए।


चार साल से मदरसा बंद, फिर 20 मई 2023 को कौन पढ़ा गया
मदरसे की बिल्डिंग में बाहर लोहे का गेट लगा है। अंदर प्रवेश करने से पहले लोहे का चैनल है। इसके अंदर एक ओर प्रथम तल जाने के लिए जीना बना है। वहीं, दूसरी ओर एक क्लास रूम है, जिसमें धूल से सनी कुछ सीटें व बेंच पड़ी हुई थीं। चौंकाने वाली बात यह है कि ब्लैक बोर्ड में क्लास वर्क में 20/05/2022 की तारीख लिखी है, जबकि परिवार और रिश्तेदारों का दावा है कि कोरोना काल से पढ़ाई बंद है। ऐसे में सवाल उठता है कि उस दिन कौन पढ़ा गया।


किचन के सामने बने कमरे में मिला कंकाल
मदरसे में क्लास रूम के पीछे एक किचन बना है। इसके सामने छोटा सा कमरा है जिसमे बच्चे का कंकाल मिला है। इस छोटे कमरे पर खिड़की भी लगी है। इसके अलावा मदरसे में पीछे खुले मैदान की ओर एक दरवाजा भी है लेकिन, इसमें अंदर से ताला बंद है।


अक्सर आती है दुर्गंध, इसलिए नहीं हुआ शक
मदरसे के नजदीक ही विजय सिंह रहते हैं। उन्होंने बताया सामने जंगल है, जिसमें लोग मरे जानवर बोरी आदि फेंक जाते हैं। इसलिए घरों में दुर्गंध आया करती है। यही वजह है कि पड़ोस के मकान में शव की दुर्गंध का आभास ही नहीं हुआ। कंकाल के शरीर पर हाफ पैंट जो खुला पड़ा था। ऊपर के कपड़े भी चढ़े थे।


Credit By Amar Ujala

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