यूपी – Sambhal Violence: आरएसएस के प्रचारक बोले- चुनाव में हारे लोगों की देन है संभल हिंसा; सपा सांसद पर भी बरसे – INA

संभल हिंसा पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ प्रचारक और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक डॉ. इंद्रेश कुमार ने कहा कि मस्जिद प्रकरण में दोनों पक्षों ने सर्वे स्वीकार कर लिया। इससे जो नेता वोट की खरीद-फरोख्त करते हैं, वोटों का ध्रुवीकरण करते हैं। उनकी पोल खुल रही थी। ऐसे में जो चुनाव हार गए, यह हिंसा उनकी देन है। 

भारतीय सद्भावना मंच की ओर से राजकीय इंटर कॉलेज ऑडिटोरियम में सोमवार को आयोजित ‘आओ जुड़ें अपनी जड़ों से’ कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में संघ के वरिष्ठ प्रचारक डॉ. इंद्रेश ने कहा कि मुस्लिम अगर वोटों की राजनीति का सच जान गया तो कई नेताओं की दुकान बंद हो जाएगा। उन्होंने संभल के मुस्लिमों से अपील करते हुए कहा कि वे आईना देखें कि उनका दुश्मन और दोस्त कौन है। 
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डॉ. इंद्रेश कुमार ने कहा कि मंदिर या मस्जिद का प्रकरण लंबे समय से चल रहा है। दोनों पक्षों ने अमन-चैन के साथ समझौता करने के लिए कोर्ट का रुख किया। इसमें कोर्ट या सरकार उनके पास नहीं आई। कोर्ट ने कहा कि जांच के बाद असलियत पता चलने पर फैसला लिया जाएगा। दोनों पक्षों के वार्ता के बाद विशेषज्ञों का समूह बनाया गया। सर्वे की तारीख निर्धारित की गई। रविवार को पुलिस बल, दोनों पक्ष व वीडियोग्राफी करते हुए सर्वे की टीम ने मस्जिद में प्रवेश किया। 


‘कानून से चलेगा देश’
सवाल उठाते हुए कहा कि मुस्लिमों को इससे नाराजगी थी तो उन्होंने पत्थरबाजी क्यों की? वे अपने पक्ष या सांसद से कह सकते थे कि उन्हें कोर्ट पर भरोसा नहीं। छह महीने प्रक्रिया चल रही थी। विरोध करना था तो पार्टी का गिरेबां पकड़ते कि वे कोर्ट क्यों गए? पत्थर बरसाने, हिंसा करने की क्या जरूरत थी? हिंदुस्तान दंगों से नहीं कानून से चलेगा। संभल हिंसा में पांच लोग मर गए हैं। कहा कि कोर्ट पसंद नहीं था तो वहां (कोर्ट) क्यों गए? सर्वे क्यों माना? सर्वे का समय निर्धारित कर ज्वाइंट कमेटी क्यों बनाई?

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सपा सांसद पर बरसे 
डॉ. इंद्रेश ने संभल के सांसद जिया उर रहमान बर्क पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें इतनी समझ नहीं थी कि कानून के दायरे में सब चल रहा था। उन्होंने मुस्लिमों को भड़काकर शैतान के रास्ते पर डाला। उनका काम था कि इंसान के रास्ते पर चलने के लिए कहें। बायकॉट कर देते। एक तरफ बर्क कानून पर भरोसा करते हैं, दूसरी तरफ दंगा कराएं। यह कौन सी इंसानियत है? पत्थर मारने थे तो कमेटी और अपने नेताओं को मारते। 


Credit By Amar Ujala

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