लैंड फॉर जॉब मामले में अहम मोड़, CBI को मिली लालू समेत 30 अधिकारियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी #INA
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Land for Job case: (रिपोर्ट- सुशील पांडेय) जमीन के बदले रेलवे में नौकरी घोटाले के मामले में अब अहम मोड़ आ गया है. दरअसल, सीबीआई ने राउज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल सीबीआई जज को बताया कि भ्रष्टाचार के मामले में 30 सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अपेक्षित मंजूरी गृह मंत्रालय से ले ली है.
सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि मामले में 1 सरकारी और अन्य आरोपी भी है. जिनके लिए अभियोजन मंजूरी की प्रतीक्षा की जा रही है. स्पेशल जज ने सीबीआई को अन्य आरोपियों पर मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही मामले की अगली सुनवाई 23 दिसंबर को तय की गई है.
CBI के मामले में जमानत पर हैं तेजस्वी-लालू
बता दे कि रॉउज एवन्यू कोर्ट ने अधिकारियों से पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव सहित 32 सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी पर फैसला लेने को कहा था. हालांकि इसी साल सात जून को सीबीआई ने पूर्व रेल मंत्री लालू यादव और 77 अन्य आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. इसी मामले में 38 उम्मीदवार भी शामिल है.
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4 अक्टूबर 2023 को रॉउज एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव व अन्य को नए चार्जशीट के संबंध में जमानत दे दी थी. दूसरे चार्जशीट में 17 आरोपी शामिल हैं जिनमें लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, पश्चिम मध्य रेलवे के तत्कालीन महाप्रबंधक, दो मुख्य कार्मिक अधिकारी और अन्य लोग शामिल हैं.
सरकारी कर्मचारियों पर ऐसे चलता है मुकदमा
दरअसल, पुलिस किसी भी सरकारी अधिकारी या संसद के सदस्यों को ऐसे ही गिरफ्तार नहीं कर सकती हैं. अगर कोई सरकारी पद पर रहते हुए सरकारी कार्य में गड़बड़ी करता है तो कानूनी कार्रवाई करने से पहले उसके संबंधित विभाग से परमिशन लेनी होती है. तभी उस संबंधित अधिकारी या सांसद के खिलाफ मुकदमा आगे चलाया जा सकता है.जमीन के बदले नौकरी मामले में अब केंद्र ने लालू यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है साथ ही 30 अधिकारियों के खिलाफ भी मुकदमा चलाने की अनुमति दी है.
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जानें क्या है पूरा मामला
बता दें कि इस मामले में सेलेक्ट किए गए पटना के लोग मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर सहित विभिन्न रेलवे जोन में ग्रुप-डी पदों पर रखे गए थे. हालांकि आरोपियों ने सहयोगियों के माध्यम से उम्मीदवारों से आवेदन व दस्तावेज प्राप्त किए. उसके बाद उन्हें पश्चिम मध्य रेलवे को भेज दिया. पश्चिम मध्य रेलवे के महाप्रबंधकों ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी. इसके लिए अप्रत्यक्ष तरीका अपनाया. उम्मीदवारों को शुरू में वैकल्पिक तौर पर रखा और बाद में नियमित कर दिया.
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इस मामले में सीबीआई ने 18 मई 2022 को तत्कालीन रेल मंत्री, उनकी पत्नी, दो बेटियों और अज्ञात सरकारी कर्मचारियों और अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. इस मामले में आरोप है कि साल 2004 से 2009 के दौरान रेल मंत्री रहते लालू प्रसाद यादव ने अलग अलग रेलवे जोन में ग्रुप-डी पदों पर उम्मीदवारों की नियुक्ति के बदले में परिवार के सदस्यों के नाम पर जमीन ट्रांसफर करने के माध्यम से फायदा हासिल किया था. दरअसल पटना के निवासी उम्मीदवार या उनके परिवार के सदस्यों ने अपनी जमीन मंत्री के परिवार के लोगों और उनके नियंत्रण वाली एक निजी कंपनी को बेच दी या गिफ्ट के रूप में दे दी थी. ऐसी नियुक्तियों के लिए कोई विज्ञापन या सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया था.
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