सेहत – पैर बर्फ की तरह रहते हैं ठंड? इस मौसम का असर नहीं, बीमारी हो सकती है

अंग्रेजी में एक मुहावरा है ‘कोल्ड फीट’ (कोल्ड फीट) यानी किसी डर के कारण वादा ना करना। लेकिन मेडिकल क्षेत्र में कोल्ड फीट एक ऐसी बीमारी है जिसमें पैर में हमेशा सर्दी रहती है। बार-बार ठंड के मौसम में कुछ लोग हमेशा यही दलील देते हैं कि उनके पैर हमेशा ठंडे रहते हैं। रजाई या कंबल में रहते हुए भी ऐसा होता है. वहीं कुछ लोगों के पैर गर्मी में भी ठंडे रहते हैं। स्वाद का ठंडा होना ठीक नहीं है. इसे वैध नहीं किया जाना चाहिए. यह लक्षण किसी प्रकार की बीमारी की ओर संकेत भी हो सकता है।

मौसम का असर हो सकता है
ठंड के मौसम में कान, गला और पैर को हमेशा ढक कर रखना चाहिए। पुराने ज़माने में लोग कहते थे कि ठंड़ा ज्वालामुखी से शरीर सबसे ज़्यादा पाया जाता है। पैर ठंडा होने का कारण यह हो सकता है। गुड़गांव के पारस अस्पताल में चिकित्सीय चिकित्सा विभाग में डॉ. संजय गुप्ता कहा जाता है कि जब पैर बिना ढंके चले जाते हैं तो आदिवासियों के नसें सिद्धांत चलते हैं, जहां पर आदिवासियों में खून का प्रवाह कम हो जाता है और पैर ठंडा हो जाता है। अगर शरीर में ब्लड सर्कोलाइन ठीक है तो शरीर को गर्माहट मिलती है। खून का प्रवाह कम होता है तो त्वचा टिश्यू होने से ऑक्सीजन तक नहीं पहुंच पाता है, जिससे युवाओं तक पहुंच नहीं होती है, जिससे पैर सर्दी के साथ-साथ योनी भी पैदा होते हैं।

लंबे समय तक सिगरेट या सिगरेट पीना
स्वास्थ्यरेखा दोस्तों के अनुसार भोजन का ठंडा बुरा स्वाद लाइफस्टाइल से भी खाया जा सकता है। इनमें से तीनों का कारण खराब ब्लड सरकुलेशन होता है इसलिए जो लोग लंबे समय तक एक ही जगह पर काम करते हैं, वह ऑफिस में हो या घर पर तो खून का बहाव कम हो जाता है। इससे उनके पैर कोल्ड रहते हैं। अगर वह हिलते-डुलते रहें. बीच-बीच में चलें तो ब्लड सार्क मानक ठीक रहता है। इसके अलावा धूम्रपान या सिगरेट के सेवन से भी रक्त का संतुलन खराब होता है।

बाकी का स्तर सबसे ज्यादा हो तो दिल की धमनियों से आदिवासियों तक खून नहीं पहुंचता पाता जिससे पैर ठंडे रहते हैं (छवि-कैनवा)

जहर की करवाएं जांच
अगर में बेरोजगार हार्मोन कम बन रहे हैं तो इसे हाइपोथायरायडिज्म या अंडर रिकवरी बॉडी कहा जाता है। इससे शरीर के मेटाबोलिज्म पर असर पड़ता है। जब मेटाबोलिज्म ठीक नहीं रहता है तो ब्लड सर्कोलेट, हार्ट बीट और बॉडी टेम्परेचर भी ठीक रहता है। जिन लोगों को यह बीमारी होती है, उनके पैर तो ठंडे ही रहते हैं, साथ में थकान, वजन बढ़ना और याददाश्त ख़राब होना जैसी स्थिति होती है।

खून की कमी
मेडिकल न्यूज़ टुडे के अनुसार जिन लोगों में खून की कमी होती है यानी वह शिकार का काम करता है तो फिर भी ऐसा हो सकता है। इसके अलावा जिन लोगों में आयरन, फोलेट या विटामिन बी 12 की कमी होती है, उनके साथ भी ऐसा होता है। जिन लोगों को किडनी की बीमारी होती है या डायरिया होता है, इस कारण से पैर ठंडे रह सकते हैं।

नर्व डिसऑर्डर कारण बन सकता है
कुछ लोगों की नाक में चोट लगने की वजह से उनकी हालत बहुत खराब हो जाती है। कई बार फ़ोर्सबेबी की वजह से भी नसें होने वाले डैमेज दिखते हैं। यह एक ऐसी त्वचा है जिसमें ठंड के कारण शरीर के ऊतक खराब हो जाते हैं। इस वजह से व्यक्ति के पैर ठंडे रहते हैं और दांतों में दर्द रहता है। जिन लोगों को किडनी या लिवर से जुड़ी बीमारी होती है, उनके भी नसें डैमेज होने लगते हैं। यह सब कंडीशन तंत्रिका विकार विकार पैदा करते हैं और इस कारण से ठंडे पैरों की समस्या शुरू हो जाती है।

तनाव और एंजाइटी से दूर रहें
जो लोग हद से ज्यादा तनाव में रहते हैं और एंजाइटी भी रखते हैं तो उन्हें भी कोल्ड स्ट्रेस की समस्या से जूझना पड़ता है। वास्तविक हद से ज्यादा स्ट्रेस हो रहा है पर पार्ट में ब्लड का फ्लो कम हो रहा है और लेवल लेवल ही पैर कोल्ड हो रहे हैं।

पर्यटकों को हमेशा गर्म जुराबों से कवर करके रखें (Image-Canva)

पुरातात्विक सक्रियता
अगर कॉन्स्टैंट रह रहे हैं और हर शरीर के अंगों की हालत बनी हुई है तो ब्लड एस बॉडीर्क स्केल अच्छा रहता है। जिन लोगों को कोल्ड फ़ीट की समस्या होती है उन्हें कार्डियोवस्कुलर सलाह दी जानी चाहिए। ऐसे लोगों को वॉक, जॉगिंग, जंपिंग या साइक्लिंग जैसी एक्टिविटी हर रोज करनी चाहिए ताकि पैर गर्म बने रहें। इसके अलावा यात्रा को 10 से 15 मिनट तक गर्म पानी में घोलकर रखें। इस फुटबाथ से ब्लड सरकुलेशन अच्छा रहेगा। इसे रात को सोने से पहले करना चाहिए। ऐसा करने से तनाव भी दूर रहता है. कुछ लोग सोने के दौरान स्ट्रेंथ पर गर्म पानी की बोतल या फिर स्केटबोर्ड पैड भी सो सकते हैं।

अंतर्वस्तु में बदलाव आवश्यक
कोल्ड फीट की समस्या से संबंधित सभी चीजों में कुछ न कुछ शामिल करना जरूरी है जिससे खून का प्रवाह अच्छा रहे और पेट को ऑक्सीजन क्षेत्र तक पहुंचाया जा सके। खाने में हरी पत्तेदार साख, खजूर, टेल्गेरिअन, अनार जैसी लौह से भरपूर सामग्रियाँ शामिल हैं। उत्पाद, मछली, अंडों में विटामिन बी 12 होता है जिससे इमीनियम सिस्टम अच्छा रहता है। इसके अलावा अलसी, चिया सीड, अखरोट, लहसुन, प्याज, संतरा, आलू और प्याज भी रोज खाना चाहिए।


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