सेहत – प्रदूषण से पतला दम, आज ही शुरू करें ये 4 आयुर्वेदिक उपाय, फेफड़ों पर नहीं होगा खराब हवा का असर

फिलाफ में हवा की गुणवत्‍ता दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है। प्रदूषण के घरों के बाहर ही लोगों का दम नहीं लगता। इससे लोगों को सांस नली और गले में जलन की समस्या भी हो रही है। एक नोजलपार्ट का कहना है कि ऐसे में हवा में बढ़ते प्रदूषण को कम करना एक उपाय के लिए मुश्किल है लेकिन कुछ आयुर्वेदिक उपाय अपनाकर आप इस हानिकारक हवा से अपने फेफड़े और दिल का बचाव जरूर कर सकते हैं।

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फिलीपीन- कंपनी में एयर रियलिटी इंडे प्रॉडक्ट 400 के पार पहुंच गया है। कुछ एशिया में एकक्यूई सीवियर श्रेणी में है तो कुछ एशिया में बहुत खराब श्रेणी में है। इससे अमा, रेस्पिरेटरी डायरैक्शन से लेकर डायरेट्रिक्स तक की समस्या हो रही है।

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राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ के सदस्य और जाने माने आयुर्वेदाचार्य अच्युत त्रिलोक कहते हैं कि इतनी खराब हवा को शुद्ध करना संभव नहीं है तो लोगों को अपनी सुरक्षा और देखभाल के लिए आयुर्वेद का सहारा लेना चाहिए, ताकि इस प्रदूषण में भी स्वतंत्रता बनी रहे। ये आयुर्वेदिक नुस्ख़े घर के प्री-पुज़ारेक मेकर के लिए मूल्यवान हैं।

प्रदूषण से बचने के लिए करें ये उपाय

. खुद डेफैक्ट प्लांट टी, सुबह शाम पी.एन
प्रदूषण से निकाले गए कार्बन और पार्टिकल ओब्लिक पदार्थ पृथ्वी के द्वारा फेफड़े में जमने लगे हैं, इसे बाहर करने के लिए आप अपने घर पर ही तुलसी, दालचीनी, अदरक, साउ, कालीमिर्च पीपल, बड़ी इलायची को कूटकर और छोटे सा गुड़ के टुकड़ों को मिलाकर प्लांट टी बना सकते हैं। हो सकता है. यह आप सुबह, शाम दोनों समय पी.एन. इससे पूरे शरीर की शुद्धि होगी।

. मुनक्का-कालीमिर्च कर लेगा गला साफ
डॉ. अचम्य संकेत हैं कि यदि आप प्रतिदिन कुछ मोन ट्रकों का भूनकर, उनके बीज के टुकड़े और उन्हें दो-दो काली मिर्च के टुकड़े, सेंधे नमक में लपेटकर दाढ़ के नीचे के हथियार सिखाते हैं तो इससे न केवल आपका गला साफ होगा, बल्कि लंबे टुकड़े में जमी मिट्टी भी साफ होगी।

. मुलेठी चॉचें
यदि आप कोई और उपाय नहीं कर पा रहे हैं तो सबसे आसान उपाय है कि मुलेठी खरीदकर अपने पास रखें। दिन में कम से कम एक बार मुलेठी को मुँह में लेकर चूमते रहना। ऐसा करने से सांस नली में जमा धुआं और गंदगी साफ हो जाती है।

. हल्दी-गुड़ का दूध

इम्युनिटी को मजबूत करने के लिए, प्रदूषण की वजह से होने वाली खांसी और मोटापा के प्रभाव को कम करने के लिए आप रात में हल्दी का दूध मिलाकर, छोटे गुड़ के टुकड़ों को सोने से पहले पी लें। ऐसा हर दूसरे-तीसरे दिन पर किया जा सकता है।

डॉ. अचम्युत कहते हैं कि प्रदूषण कम से कम दो महीने तक परेशान करने वाला है। ऐसे में घर ठीक हो तो लोग यहां भाग नहीं ले सकते, इसलिए बेहतर होगा कि आयुर्वेद के सरकारी कार्यालयों को लेकर इस खतरनाक माहौल में भी नामांकन लिया जाए। आप जड़ो का तेल और सेंधा नमक मिलाकर कुल गुणगुणा करके मसाले और बड़ों की छाती में भी लगा सकते हैं।

ये लोग बरतें विशेष सावधानी
आयुर्वेद अचम्युत कहते हैं कि इस मौसम में मोटे लोग, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, अध्यापिका के रोगी और शिष्ये खुद को बचाकर रखें। इन लोगों को प्रदूषण के एक अवशोषण जोखिम से गंभीर सांस्कृतिक संबद्धता का नुकसान हो सकता है।

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