Entertainment: किशोर कुमार को बैन, मजरूह सुल्तानपुरी को जेल, कांग्रेस ने फिल्मी कलाकारों पर क्यों की थी कार्रवाई? – #iNA

प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने गुरुवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दिया. इस मौके पर पीएम मोदी कांग्रेस पार्टी पर जमकर बरसे. उन्होंने अपने भाषण के दौरान राज्यसभा में किशोर कुमार, लता मंगेशकर के भाई हृदयनाथ मंगेशकर, मजरूह सुल्तानपुरी और दिग्गज एक्टर बलराज साहनी के खिलाफ की गई कांग्रेस सरकार की कार्रवाइयों का जिक्र किया. उन्होंने इन हस्तियों को बैन करने और जेल भेजने पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा. सिनेमा और संगीत जगत की इन हस्तियों पर उस जमाने में क्या कार्रवाई हुई थी? क्यों हुई थी? आइए जानते हैं.

किशोर कुमार पर पीएम ने क्या कहा?

संसद के उच्च सदन में अपने भाषण के दौरान किशोर कुमार का नाम लेकर पीएम मोदी ने कहा, “किशोर कुमार जी ने कांग्रेस के लिए गाना गाने से मना कर दिया. इस एक गुनाह के लिए आकाशवाणी पर किशोर कुमार के सभी गानों को प्रतिबंधित कर दिया गया था.”

पीएम ने किशोर कुमार का जो मुद्दा आज संसद में उठाया वो सालों पुराना है. ये इमरजेंसी के दिनों की बात है. केंद्र सरकार ने फिल्मी हस्तियों से कहा था कि वो भारत सरकार के 20 सूत्री कार्यक्रम और इंदिरा गांधी की रैली में शामिल हों. इसमें किशोर कुमार को भी बुलाया गया था. उनसे स्टेज पर गाने के लिए कहा गया था. मगर मशहूर सिंगर ने ये कहते हुए शामिल होने से इनकार कर दिया कि उनकी सेहत ठीक नहीं.

किशोर कुमार का कहना था कि उन्हें दिल की बीमारी है, ऐसे में वो भीड़ के बीच स्टेज पर चढ़कर गाना नहीं गा सकते हैं. किशोर के इनकार करने से कई नेता नाराज हो गए. उस वक्त के सूचना एवं प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ल ने बड़ा कदम उठाते हुए किशोर कुमार के गानों को आकाशवाणी और दूरदर्शन पर बैन करने का आदेश दे दिया था. अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक विद्याचरण शुक्ल ने खुद आपातकाल के दौर की जांच के लिए बैठी आयोग के सामने इस बात को कबूल किया था. ये बैन तीन महीने के लिए था.

हृदयनाथ मंगेशकर को क्यों निकाला?

पीएम मोदी ने गुरुवार को हृदयनाथ मंगेशकर का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, “लता मंगेशकर जी के भाई हृदयनाथ मंगेशकर जी ने वीर सावरकर पर एक कविता लिखी थी और इसे आकाशवाणी पर पढ़ना चाहते थे. उन्हें हमेशा के लिए आकाशवाणी पर बैन कर दिया गया था.”

हृदयनाथ मंगेशकर ने एबीपी माझा को एक इंटरव्यू दिया था, जिसमें उन्होंने आकाशवाणी से जुड़ा पूरा किस्सा सुनाया था. 1955 में हृदयनाथ मंगेशकर की 17 साल की उम्र में आकाशवाणी में नौकरी लगी थी. उस वक्त उन्हें 500 रुपये तन्ख्वाह मिला करती थी. इस बात से वो बहुत खुश थे. एक दिन वो विनायक दामोदर सावरकर के पास गए और उनसे उनकी एक कविता मांगी, जिसका इस्तेमाल वो संगीत के साथ आकाशवाणी पर करना चाहते थे.

हृदयनाथ मंगेशकर और लता मंगेशकर

हृदयनाथ मंगेशकर की बात सुनकर सावरकर ने उनसे कहा, “तुम्हें जेल जाना है क्या?” पर हृदयनाथ नहीं माने और जिद करके एक कविता उनसे ले ली. इस कविता को हृदयनाथ ने गाने की शक्ल दी और आकाशवाणी में इस्तेमाल किया. हृदयनाथ के मुताबिक इसके अगले दिन ही उन्हें आकाशवाणी से कारण बताओ नोटिस मिला. इस पर हृदयनाथ ने जवाब में लिखा, “बहुत बड़ी कविता और बहुत बड़ा कवि.” इसके बाद हृदयनाथ को आकाशवाणी से बाहर कर दिया गया.

मजरूह और बलराजन पर पीएम ने क्या कहा?

पीएम मोदी ने कहा, “जब नेहरू जी प्रधानमंत्री थे, तब मुंबई में मजदूरों की एक हड़ताल थी. उसमें मशहूर गीतकार, मजहूर सुल्तानपुरी जी ने एक गीत गाया था. कॉमनवेल्छ का दास है. ये कविता उन्होंने गाई थी. कविता गाने मात्र के गुनाह में नेहरू जी ने देश के एक महान कवि को जेल में ठूस दिया था. मशहूर एक्टर बलराज साहनी जी सिर्फ एक जुलूस में शामिल हुए थे. आंदोलन करने वालों के जुलूस में शामिल हुए थे. इसलिए बलराज साहनी जी को जेल में बंद कर दिया गया था.” इस बहाने आज पीएम ने कांग्रेस को जमकर घेरा. उन्होंने देवानंद की फिल्मों को भी बैन करने का जिक्र किया. बलराज साहनी को धरती के लाल, दो बीघा जमीन, छोटी बहन, काबुलीवाला और गरम हवा जैसी फिल्मों में दमदार अदाकारी के लिए जाना जाता है.

मजरूह सुल्तनापुरी और बलराज साहनी के जेल जाने का किस्सा

मशहूर शायद और गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी अपनी क्रांतिकारी अदा के लिए जाने जाते थे. देश की आजादी के बाद उन्होंने मजदूरों की हड़ताल में शामिल होकर एक कविता पढ़ी थी. कविता में सीधा तौर पर प्रधानमंत्री नेहरू की तीखी आलोचना थी. उस वक्त पंडित जवाहर लाल नेहरू की सरकार को उनकी ये अदा पसंद नहीं आई. नतीजा ये हुआ कि उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी कर दिया गया. पहले वो कुछ दिन छिपे रहे, फिर उन्हें गिरफ्तार कर आर्थर रोड जेल में बंद कर दिया गया. रिपोर्ट के मुताबिक उनसे कहा गया कि वो माफी मांग लें, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया.

इस कविता के लिए जेल गए थे मजरूह?

मन में ज़हर डॉलर के बसा के,

फिरती है भारत की अहिंसा।

खादी की केंचुल को पहनकर,

ये केंचुल लहराने न पाए।

ये भी है हिटलर का चेला,

मार लो साथी जाने न पाए।

कॉमनवेल्थ का दास है नेहरू,

मार लो साथी जाने न पाए।

बलराज साहनी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े हुए थे. एक बार वो एक जुलूस में शामिल हुए जहां पर हिंसा हो गई. इसके बाद सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था. रिपोर्ट के मुताबिक जेल में रहने के दौरान ही उन्होंने के आसिफ की फिल्म हलचल की शूटिंग की थी. इसके लिए आसिफ ने जेलर से स्पेशल परमिशन ली थी. वो शूटिंग करते थे और फिर जेल लौट जाया करते थे.

किशोर कुमार को बैन, मजरूह सुल्तानपुरी को जेल, कांग्रेस ने फिल्मी कलाकारों पर क्यों की थी कार्रवाई?


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