Nation: गाजियाबाद से महाकुंभ पहुंचा परिवार, तीन पीढ़ियों ने साथ लगाई डुबकी, व्यवस्थाओं को देखकर सरकार की सराहना की – INA NEWS
Ghaziabad News :
“गंगा तव दर्शनात् मुक्ति” अर्थात गंगा तेरे दर्शन मात्र से ही मुक्ति मिलेगी। संगम नगरी प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का पवित्र संगम होता है। करीब 12 साल के बाद 13 जनवरी 2025, पौष पूर्णिमा से महाकुंभ (Maha Kumbh) शुरू हो गया है। महाकुंभ सबसे बड़ा और प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान माना जाता है। कुंभ मेले में लाखों-करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। कहते हैं कि जो भी व्यक्ति कुंभ स्नान कर लेता है उसके सभी पाप धुल जाते हैं। इतना ही नहीं उसकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। महाकुंभ दौरान विशेष पूजा-अर्चना, यज्ञ, और अन्य धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। महाकुंभ के पहले दिन गाजियाबाद से पहुंचे राम खेलावन शुक्ला ने अपने परिवार के साथ त्रिवेणी संगम में स्नान कर एक अनूठा अनुभव साझा किया। तीन पीढ़ियों के इस परिवार ने एक साथ आस्था की डुबकी लगाकर इस पवित्र अवसर को यादगार बना दिया।
तीसरी बार का विशेष अनुभव
राम खेलावन शुक्ला ने बताया “यह मेरा तीसरा कुंभ स्नान है, लेकिन इस बार यह अनुभव विशेष है क्योंकि मेरे बेटे, पत्नी, बहू और पोते ने भी मेरे साथ स्नान किया,” उन्होंने बताया कि ट्रेन टिकट न मिलने पर भी परिवार ने कार से यात्रा कर महाकुंभ में पहुंचने का दृढ़ संकल्प दिखाया। राम खेलावन शुक्ला ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा की गई व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए कहा कि सुरक्षा प्रबंधन विशेष रूप से प्रभावशाली है। स्नान के पश्चात परिवार ने प्रयागराज की पवित्र गलियों में पैदल यात्रा कर आध्यात्मिक अनुभव का आनंद लिया।
आस्था का महासंगम
उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि महाकुंभ केवल एक मेला नहीं है, यह आस्था, परंपरा और हिंदू संस्कृति का संगम है। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से इस दिव्य अनुभव का हिस्सा बनने का आग्रह किया। इस वर्ष का महाकुंभ विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह 144 वर्षों के बाद एक दुर्लभ ज्योतिषीय संयोग में आयोजित हो रहा है। करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का यह महासंगम प्रारंभ हो गया है। इस प्रकार, राम खेलावन शुक्ला के परिवार की यह यात्रा महाकुंभ में आस्था और परिवारिक एकता का एक सुंदर उदाहरण बन गई।
महाकुंभ से जुड़ी पढ़िए पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ था तब समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कुंभ यानी कलश लेकर प्रकट हुए। देवताओं के संकेत पर इंद्र पुत्र जयंत अमृत से भरा कलश लेकर बड़े भागने लगे और असुर जयंत के पीछे भागने लगे। अमृत कलथ की प्राप्ति के लिए देवताओं और दैत्यों के बीच बारह दिन तक भयंकर युद्ध हुआ। माना जाता है कि देवताओं का एक दिन मनुष्य के बारह वर्षों के बराबर होता है। इस युद्ध के दौरान जिन-जिन स्थानों पर कलश से अमृत की बूंदे गिरी थी वहां कुंभ मेला लगता है। अमृत की बूंदे इन चार जगहों पर गिरी थी प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। इन चारों स्थान पर कुंभ मेला का आयोजन किया जाता है।
गाजियाबाद से महाकुंभ पहुंचा परिवार, तीन पीढ़ियों ने साथ लगाई डुबकी, व्यवस्थाओं को देखकर सरकार की सराहना की
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