Nation- Kabutar Wale Baba: महाकुंभ में छाए कबूतर वाले बाबा, साए की तरह रहते हैं ‘हरिपुरी जी’; मिलने आ रहे श्रद्धालु- #NA
महाकुंभ में आए कबूतर वाले बाबा.
कहते हैं कि भक्त और भगवान का संबंध सबसे अटूट होता है. नागा साधुओं की ऐसी दुनिया है, जो महाकुंभ को कई मायनों में अलग बनाती है. महाकुंभ में उनके कई-कई रूप देखने को मिल रहे हैं. जूना अखाड़े में एक नागा साधू हैं. इन नागा साधु के पास श्रद्धालु तो आ रहे हैं, लेकिन उनसे कम मिलकर उनके सिर पर बैठे हरिपुरी जी से ज्यादा मिल रहे हैं.
अब आप भी सोच रहे होंगे कि आखिरकार ये हरिपुरी जी कौन हैं, जो नागा साधू के सिर पर बैठे हैं. चलिए हम आपको बताते हैं इनके बारे में. दरअसल, महंत राजपुरी जी महाराज ने राजस्थान के मेवाड़ में अपना आश्रम बना रखा है. वहां उनका सबसे प्रिय यदि कोई है तो वह हैं हरिपुरी जी. दरअसल, हरिपुरी जी कोई इंसान नहीं बल्कि एक पक्षी हैं, जो हमेशा राजपुरी जी महाराज के सिर पर बैठे रहते हैं.
कबूतर वाले बाबा के नाम से पहचान
महंत राजपुरी जी बताते हैं कि उन्हें यह कबूतर लगभग नौ साल पहले मिला था, तब यह काफी छोटा था. तब से लेकर अब तक ऐसा कोई वक्त नहीं आया, जब वह इस कबूतर के बिना रहे हों. उन्होंने बताया कि चूंकी यह एक दैवीय घटना थी. इसलिए इस कबूतर का नाम उन्होंने हरिपुरी जी रख दिया. तब से लेकर अब तक सभी इस कबूतर को हरिपुरी जी के नाम से ही पुकारते हैं. उन्होंने कहा कि जब से यह मेरी जिंदगी में आया है, तब से उनका नाम अब महंत राजपुरी की जगह लोगों ने कबूतर वाले बाबा रख दिया है.
महंत राजुपरी बताते हैं कि इस कबूतक का वह विशेष ख्याल रखते हैं. इसके लिए अलग से मावा प्रसाद बनवाते हैं, जिसमें खास किस्म का ड्रायफ्रूट्स होता है. दो बार अपने हाथों से इस कबूतक को खिलाते हैं. इसके साथ ही जब इसे पानी पीने की इच्छो होती है तो इसे स्वंय वह पानी भी पिलाते हैं.
तीन बार के कुंभ में शामिल
महंत राजपुरी बताते हैं कि महाकुंभ में पूरी दुनियां से लोग आ रहे हैं. बात यदि हरिपुरी जी की करें तो उनके साथ तीन बार कुंभ वह कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि उम्र का प्रभाव इस कबूतर पर भी अब दिखता है. उन्होंने कहा कि संगत में श्रद्धालु मुझसे कम और हरिपुरी जी से अधिक मिलने आते हैं.
क्या है दिनचर्या
महंत राजपुरी बताते हैं कि दिनभर हरिपुरी जी उनके माथे पर ही विराजमान रहते हैं. उन्होंने कहा कि यदि बीच में कहीं उड़कर चला जाए तो थोड़ी देर बाद वह वापस आ जाता है. रात को सोने के समय भी वह महंत के पास ही सोता है. महंत राजपुरी ने कहा कि सुबह से ही स्नान ध्यान से लेकर सभी दिनचर्या में वह मेरे साथ रहता है.
Kabutar Wale Baba: महाकुंभ में छाए कबूतर वाले बाबा, साए की तरह रहते हैं ‘हरिपुरी जी’; मिलने आ रहे श्रद्धालु
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