National-'गंजापन वायरस' की जांच शुरू! जानें लक्षण और बचाव, अचानक से बाल झड़ने से कई गांवों में दहशत – #INA
Baldness virus in Maharashtra: महाराष्ट्र में दर्जनों गांवों में कई लोगों के रहस्यमयी तरीके से बाल झड़ रहे हैं। पिछले एक सप्ताह के दौरान बुलढाणा जिले के गांवों के लोगों ने अचानक बाल झड़ने और कुछ ही दिनों में गंजापन होने की शिकायत की है। अधिकारियों ने संभावित ‘गंजापन वायरस’ का पता लगाने के लिए स्थानीय पानी के स्रोतों की जांच शुरू कर दी है। कई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस अजीब स्थिति को अनौपचारिक रूप से ‘गंजापन वायरस’ कहा जाता है। इसमें तेजी से बाल झड़ने लगते हैं। कुछ लोग तो तीन दिन के भीतर ही पूरी तरह से गंजे हो जाते हैं।
रिपोर्ट बताती है कि अब तक 250 से ज्यादा लोग इससे प्रभावित हुए हैं। वे लोग पूरे तरह से कुछ ही दिनों के अंदर गंजे हो गए हैं। साथ ही शेगांव तहसील के 15 गांवों में कम से कम 600 अन्य लोगों में भी इसके लक्षण देखे गए हैं। शेगांव की स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दीपाली बहेकर ने बताया कि मामला प्रकाश में आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांवों में सर्वेक्षण शुरू कर दिया है। प्रभावित लोगों का इलाज शुरू कर दिया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि जिला परिषद के स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए गए सर्वेक्षण के दौरान शेगांव तालुका के कलवाड़, बोंडगांव और हिंगना गांवों के दर्जनों लोग बाल झड़ने और गंजेपन की समस्या से पीड़ित पाए गए। बहेकर ने कहा कि विभाग ने लक्षण के आधार पर मरीजों का इलाज शुरू कर दिया है। डर्मेटोलॉजिस्ट की भी सलाह ली जा रही है। जिला परिषद के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि इन गांवों से पानी के सैंपल भी जांच के लिए भेजे जा रहे हैं। ताकि पानी में संभावित संदूषण की जांच की जा सके।
जिला परिषद (ZP) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय टीम ने 11 जनवरी को प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया। इस टीम में अकोला और बुलढाणा मेडिकल कॉलेजों के मेडिकल एक्सपर्ट शामिल थे। उन्होंने स्थानीय निवासियों से उनकी चिंताओं को दूर करने और इस संकटपूर्ण समय में उन्हें आश्वस्त करने के लिए भी संपर्क किया।
लक्षण और प्रभाव क्या हैं? (What are the Baldness virus symptoms)
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि यह स्थिति कथित तौर पर सिर के आसपास खुजली की भावना से शुरू होती है, जिसके तुरंत बाद काफी बाल झड़ने लगते हैं। वायरस से प्रभावित लोगों में हिंगना, बोंडगांव, भोटा और पाहुर पूर्णा जैसे गांवों के पुरुष, महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। इस विचित्र वायरस से कई गांवों के लोग डर गए हैं। पहले कई मीडिया रिपोर्टों ने संकेत दिया था कि यह स्थिति दूषित पानी, फंगल संक्रमण, कुपोषण या सौंदर्य के प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं से जुड़ी हो सकती है।
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, बाल, खोपड़ी और नाखून के सैंपल की प्रारंभिक जांच ने इस रहस्यमय ‘गंजा वायरस’ के कारण के रूप में ‘फंगल संक्रमण’ को खारिज कर दिया है। हालांकि, एक्सपर्ट ने चेतावनी दी है कि ये निष्कर्ष प्रारंभिक हैं। एक निश्चित निदान तक पहुंचने के लिए आगे की जांच जरूरी है। पूरी समझ के लिए आवश्यक माइक्रोबायोलॉजी रिपोर्ट जल्द ही सामने आने की उम्मीद है।
बालों के सैंपल की जांच के अलावा, स्वास्थ्य अधिकारी प्रभावित गांवों के पानी का भी विश्लेषण कर रहे हैं। एक हालिया रिपोर्ट ने संकेत दिया है कि परीक्षण किए गए पानी के सैंपल में आर्सेनिक या सीसा जैसे हानिकारक पदार्थों नहीं थे। हालांकि, कई स्थानों पर नाइट्रेट का उच्च स्तर पाया गया। एहतियाती उपाय के तौर पर स्थानीय ग्राम पंचायतों को अगली सूचना तक उच्च नाइट्रेट सामग्री वाले पानी के स्रोतों का उपयोग करने से बचने की सलाह दी गई है।
ICMR अलर्ट, एक्सपर्ट ने शुरू की जांच
स्वास्थ्य संकट से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए प्रभावित लोगों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज शुरू हो गया है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने इस भयावह स्वास्थ्य संकट की गहन जांच करने के लिए प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने का कार्यक्रम बनाया है। बुलढाणा जिले में सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए आगे आवश्यक उपाय तय करने में इसका परिणाम महत्वपूर्ण होगा।
स्कीन एक्सपर्ट ने मरीजों की जांच की है। बालों के झड़ने के कारण की आगे की जांच के लिए स्कीन बायोप्सी के लिए सैंपल भेजे हैं। माइक्रोबायोलॉजिस्ट और स्कीन एक्सपर्ट की एक स्वतंत्र टीम ने भी क्षेत्र में सर्वे किया है। 65 से अधिक ग्रामीणों के खून के सैंपल लिए गए हैं। उन्हें जांच के लिए लैब में भेजा गया है। प्रारंभिक निष्कर्षों में खून के सैंपल और बालों के झड़ने के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया। इसके अलावा, खाद्य सुरक्षा अधिकारी प्रकोप के लिए संभावित कॉस्मेटिक-उत्पाद लिंक की चल रही जांच के हिस्से के रूप में स्थानीय शैंपू, हेयर ऑयल और साबुन के सैंपल ले रहे हैं।
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बचाव
सुरक्षित पेयजल और स्नान के पानी को सुनिश्चित करने की आवश्यकता के बारे में सार्वजनिक जागरूकता पैदा करने के लिए अभियान शुरू किए गए हैं। जिला अस्पतालों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। स्थानीय और राज्य प्राधिकरण इस असामान्य स्थिति को व्यापक रूप से प्रबंधित करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
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