देश- ममता सरकार सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोल रही है, डॉक्टरों ने लगाया हड़ताल को बदनाम करने का आरोप- #NA

पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल जारी. (पीटीआई)

पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन की वजह से अब तक 23 लोगों की मौत हो चुकी है. जिसके बाद जूनियर डॉक्टरों ने अपने प्रेस वार्ता में कहा कि हमने देखा कि राज्य सरकार और सरकारी वकील कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में हमारे आंदोलन और हड़ताल को रोकने के लिए शर्मनाक भूमिका निभा रहे हैं.

प्रदर्शनकारी डॉक्टर देबाशीष हलदर ने कहा कि दावा किया जा रहा है, हड़ताल के कारण 23 लोगों की मौत हो गई. लेकिन, उचित रेफरेंस व्यवस्था के अभाव में प्रतिदिन कितने मरीजों को परेशान होना पड़ता है, कितने लोग इलाज के बिना मर जाते हैं, सरकार इसका हिसाब नहीं लगाती.

संदीप घोष के खिलाफ करें कड़ी कार्रवाई

उन्होंने कहा कि चारों तरफ सुपर स्पेशलिटी अस्पताल खोले जा रहे हैं. मेडिकल कॉलेज खोला जा रहा है, लेकिन चिकित्सा सेवा वही है. पर्याप्त डॉक्टर नहीं हैं, कोई स्थायी नर्स नहीं है. ज्यादातर जगहों पर सीनियर फैकल्टी सिर्फ नाम के हैं. डॉक्टरों ने कहा कि राज्य सरकार से मांग है कि संदीप घोष के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए.

घटना के 30 दिन बाद भी राज्य सरकार ने हमारी मूल मांग नहीं मानी है. सीबीआई सारा दोष जांच पर मढ़ना चाहती है. पुलिस की लापरवाही, भ्रष्टाचार की कोई जांच नहीं हुई है. संदीप घोष, विरुपाक्ष विश्वास और अभिक डे का निलंबन भी मछली को हरियाली से ढकने जैसा है. जब सीबीआई ने संदीप को गिरफ्तार किया तो उन्हें नाममात्र का शोकॉज दिया गया. अभिक और विरुपाक्ष को निलंबित कर दिया गया लेकिन कोई कारण नहीं बताया गया. यह सिर्फ दिखावा है.

सरकार और वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से बोला झूठ

उन्होंने 27 अगस्त को राजनीतिक कार्यक्रम के दौरान हुई हिंसा के लिए भी हमें जिम्मेदार ठहराया. हमने 26 अगस्त को ही स्पष्ट कर दिया था कि उक्त राजनीतिक कार्यक्रम से हमारा कोई लेना-देना नहीं है. हमने ऐसे किसी राजनीतिक कार्यक्रम का समर्थन नहीं किया है. मैं भविष्य में ऐसा नहीं करूंगा. हालांकि, जिस तरह से सरकार और वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से झूठ बोला, मैं उसका कड़ा विरोध करता हूं.

स्वास्थ्य व्यवस्था की खराब हालत

जूनियर डॉक्टर पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ नहीं हैं. हम ट्रेनी हैं और अगर सरकारी आंकड़े सही हैं यानी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है तो कहा जा सकता है कि सीनियर डॉक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्य कर्मियों की कमी है. यह राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की ख़राब हालत की ओर इशारा करता है. स्वास्थ्य विभाग और स्वास्थ्य मंत्री इसकी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते.

सुप्रीम कोर्ट में गलत बयानबाजी

डॉक्टरों ने कहा कि ममता सरकार झूठ बोल रही है. सुप्रीम कोर्ट में गलत बयानबाजी की जा रही है. आंदोलन को बदनाम किया जा रहा है. हमें लगता है कि यह आंदोलन के प्रति लोगों के भारी समर्थन को गुमराह करने का घृणित प्रयास है.’ हम सरकार के साथ-साथ स्वास्थ्य मंत्री और काउंसलर कपिल सिब्बल के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं.

राज्य में 245 सरकारी अस्पताल

राज्य में सरकारी अस्पतालों की कुल संख्या 245 है. जिनमें से 26 मेडिकल कॉलेज हैं. जूनियर डॉक्टरों की कुल संख्या 7 हजार 500 से ज्यादा नहीं है. पश्चिम बंगाल में रजिस्ट्रार डॉक्टरों की संख्या 93 हजार है. स्वास्थ्य सेवा कैसे बाधित हो रही है, क्योंकि केवल कुछ मेडिकल कॉलेज जहां वरिष्ठ सेवारत हैं, केवल जूनियर डॉक्टर ही हड़ताल पर हैं?

जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन से लोगों की मौत

हमने देखा कि राज्य सरकार और सुप्रीम कोर्ट में सरकारी वकील कपिल सिब्बल हमारे जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन और हड़ताल को रोकने में नापाक भूमिका निभा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन से लोगों की मौत हो रही है. हम स्पष्ट रूप से याद दिलाना चाहेंगे कि राज्य के हर मेडिकल कॉलेज में रोगी सेवाएं उपलब्ध हैं. वरिष्ठ डॉक्टर राज्य के लोगों की सेवा के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद हम निराश हैं. तिलोत्तमा कांड की जांच सीबीआई ने अपने हाथ में ले ली लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई. हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक, कलकत्ता पुलिस से लेकर सीबीआई तक जांच हाथ बदल रही है लेकिन न्याय नहीं मिल पा रहा है.

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