देश – अंतरिक्ष में कुछ बड़ा करने की तैयारी में मोदी सरकार! चंद्रयान-4 को दी मंजूरी, हैरान कर देने वाला है पूरा मिशन #INA

Chandrayaan-4 Mission: मोदी सरकार अंतरिक्ष में कुछ बड़ा तैयारी है. मोदी सरकार ने चंद्रयान-4 मिशन को हरी झंडी दे दी है. इसके लिए पूरा रोडमैप जारी किया गया है. यह पूरा मिशन हैरान कर देने वाला है. यह एक बड़ा ही अहम लूनर एक्सप्लोरेशन प्रोजेक्ट है, जिसका मकसद चंद्रयान-4 को चंद्रमा पर जाने और फिर वहां से मिट्टी और चट्टानों के साथ वापस धरती पर आना है. इस मिशन को मोदी कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी है. मोदी सरकार और भारतीय स्पेस एजेंसी ‘इसरो’ के इस प्रोजेक्ट को लेकर बड़ी उम्मीद हैं. 

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रखा गया 2 हजार करोड़ का बजट

मोदी सरकार ने इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए 2,104.06 करोड़ रुपये (लगभग 253 मिलियन डॉलर) बजट का ऐलान किया है. यह एक महत्वाकांक्षी मिशन होगा, जो देश के अतंरिक्ष में अन्वेषण लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा. भविष्य के चंद्र मिशनों के लिए जरूरी तकनीकों के विकास को इस मिशन के तहत ध्यान में रखा जाएगा. बता दें कि भारत ने चंद्रयान 3 की चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रचा दिया था. इस सफलता से पूरी दुनिया में अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत का काबिलियत का डंका बजा था.

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चंद्रयान-4 का ये है मिशन

चंद्रयान-4 मिशन का फोकस चंद्र कक्षा (Lunar Orbit) में डॉकिंग और अनडॉकिंग, धरती पर वापसी और चंद्रमा की सतह से इकट्ठा किए गए नमूनों का विश्लेषण करना शामिल है. भारत 2035 तक अंतरिक्ष में इंडियन स्पेस स्टेशन की स्थापना करेगा. इसके बाद भारत उन देशों के कतार में जाकर खड़ा हो जाएगा, जिनके पास अपना खुद का स्पेस स्टेशन है. ऐसा होते ही भारतीय अतंरक्षि यात्री कई दिन तक स्पेस में रह जाएंगे और शोध कर पाएंगे. वहीं 2040 तक भारत का चालक दल के साथ चंद्रमा पर उतरने का बड़ा लक्ष्य है. ऐसे में भारत का चंद्रयान-4 मिशन आगामी लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में एक अहम कदम होगा. 

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36 महीनों का लगेगा समय

कैबिनेट से तो चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी मिल गई है, लेकिन अभी इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में 36 महीनों का समय लग सकता है. भारतीय स्पेस एजेंसी इंडियन स्पेस रिपर्ट ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) चंद्रयान-4 अतंरिक्ष यान के विकास और प्रक्षेपण का नेतृत्व करेगा. अगर सब कुछ ठीक रहा और अगर चंद्रयान-4 मिशन सफल रहता तो अतंरिक्ष में भारत की एक बड़ी छलांग होगी. साथ ही चंद्रयान की मिट्टी और चट्टानों का रिसर्च कर भारतीय वैज्ञानिक पता लगा पाएंगे कि उसमें क्या-क्या अवयव हैं और वो कितने काम के हो सकते हैं. 

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