देश – ‘संत भिंडरावाले के खिलाफ अनावश्यक टिप्पणी न करें कंगना रनौत’, भाजपा नेता ने ही दे डाली नसीहत – #INA
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने बुधवार को बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत को सिख समुदाय और खालिस्तानी जरनैल सिंह भिंडरावाले के खिलाफ “अनावश्यक टिप्पणियां” करने से बचने की सलाह दी। भाजपा नेता ने भिंडरावाले को संत बताया। यह बयान उस समय आया है जब मंडी से भाजपा की लोकसभा सांसद कंगना रनौत ने एक टेलीविजन इंटरव्यू के दौरान भिंडरावाले को “आतंकवादी” कहा था।
सोम प्रकाश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा, “कंगना रनौत को संत जरनैल सिंह और सिख समुदाय के खिलाफ अनावश्यक टिप्पणियां करने से बचना चाहिए। ऐसी टिप्पणियां सिख समुदाय की भावनाओं को आहत करती हैं। उन्हें अनुशासन में रहना चाहिए और पंजाब में शांति भंग नहीं होने देनी चाहिए।”
यह विवाद कंगना की आगामी फिल्म ‘इमरजेंसी’ के संदर्भ में शुरू हुआ, जब उन्होंने कहा कि पंजाब के 99 प्रतिशत लोग नहीं मानते कि जरनैल सिंह भिंडरावाले एक संत था। उन्होंने भिंडरावाले को आतंकवादी बताया और कहा, “अगर वह आतंकवादी है, तो मेरी फिल्म को रिलीज करने की अनुमति मिलनी चाहिए।”
‘इंडियन एक्सप्रेस’ से बात करते हुए सोम प्रकाश ने कहा, “मैंने सिर्फ यह कहा है कि किसी को भी राज्य की शांति और सद्भावना को आहत करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। जो कंगना कर रही हैं, वह सही नहीं है और पार्टी पहले ही उनके बयान से खुद को अलग कर चुकी है।”
इससे पहले, पंजाब विधानसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदवार रहे पूर्व आईएएस जगमोहन सिंह राजू ने केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव से अपील की थी कि कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ में ऐसा कोई भी कंटेंट न हो जो सिख भावनाओं को आहत कर सके। उन्होंने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) को भी सतर्क रहने की सलाह दी।
कौन था जरनैल सिंह भिंडरावाले?
जरनैल सिंह भिंडरावाले एक सिख धार्मिक नेता और खालिस्तान आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक था। उसका जन्म 1947 में पंजाब के रोड़े गांव में हुआ था। वह दमदमी टकसाल का मुखिया भी था। 1970 के दशक के अंत और 1980 के दशक की शुरुआत में भिंडरावाले ने पंजाब में खालिस्तान, यानी सिखों के लिए एक अलग राष्ट्र की मांग का समर्थन किया। उसकी गतिविधियां समय के साथ हिंसक रूप लेती गईं। वह भारतीय राज्य के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष का प्रतीक बन गया और उसके नेतृत्व में पंजाब में हिंसा और अस्थिरता फैल गई।
1984 में, भिंडरावाले और उसके समर्थकों ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर में शरण ले ली। भारतीय सेना ने इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ चलाया, जिसके तहत स्वर्ण मंदिर में घुसे आतंकवादियों को बाहर निकाला गया। इस ऑपरेशन में भिंडरावाले की मौत हो गई। भिंडरावाले को उसके समर्थक एक धार्मिक नेता और शहीद के रूप में देखते हैं, जबकि भारत उसे आतंकवादी मानता है, जिसने देश की अखंडता को चुनौती दी थी।
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