देश – भारत के सामरिक निवेश: ईरान में चाबहार और श्रीलंका में विस्तार के अलावा भारत ने स्ट्रेटेजिक इंपॉर्टेंस के पोर्ट डेवलपमेंट पर फोकस बढ़ाया #INA
(रिपोर्ट- मधुरेंद्र कुमार)
केंद्रीय बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने मंत्रालय द्वारा पहले 100 दिनों में हासिल की गई महत्वपूर्ण उपलब्धियों की विस्तृत जानकारी में नेबरहूड सहित ईरान में विकसित किए जा रहे चाबहार फोर्ट का खाका सामने रखा.
निवेश और रणनीतिक साझेदारी पर विशेष जोर
मंत्री ने भारत के ईरान और श्रीलंका में बढ़ते निवेश और रणनीतिक साझेदारी पर विशेष जोर दिया. चाबहार बंदरगाह में भारत की प्रमुख निवेश योजना का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि यह न केवल मध्य एशिया तक भारत की पहुंच को सुदृढ़ कर रहा है, बल्कि इससे व्यापारिक मार्गों में भी महत्वपूर्ण वृद्धि हो रही है. चाबहार के माध्यम से भारत, अफगानिस्तान और ईरान के बीच व्यापारिक संबंध और मजबूत हो रहे हैं, जो क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है.
नागपट्टिनम बंदरगाह के उन्नयन की योजना का भी विस्तार
इसके साथ ही, श्रीलंका के साथ क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए भारत द्वारा नागपट्टिनम बंदरगाह के उन्नयन की योजना का भी विस्तार से उल्लेख किया गया. इस परियोजना के तहत नागपट्टिनम (भारत) और कंकसंतुरई (श्रीलंका) के बीच एक यात्री नौका सेवा शुरू की जाएगी, जो व्यापार, पर्यटन और आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देगी. इससे न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती मिलेगी, बल्कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और व्यावसायिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा मिलेगा.
भारत स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी
भारत द्वारा समुद्री क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए महाराष्ट्र, केरल, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और गुजरात में जहाज निर्माण और मरम्मत के लिए समर्पित क्लस्टर विकसित किए जा रहे हैं. इसके अतिरिक्त, कांडला और वीओसी बंदरगाह में हाइड्रोजन निर्माण केंद्रों के विकास के लिए 3,900 एकड़ से अधिक भूमि आवंटित की जा रही है, जिससे भारत स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.
‘सागरमंथन: द ग्रेट ओशन कॉन्फ्रेंस’ की भी घोषणा
इस अवसर पर नवंबर 2024 में मुंबई में आयोजित होने वाले ‘सागरमंथन: द ग्रेट ओशन कॉन्फ्रेंस’ की भी घोषणा की गई, जो महासागर स्थिरता और नीली अर्थव्यवस्था के विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा. भारत के इस सम्मेलन में भाग लेने वाले विभिन्न देशों के प्रतिनिधि समुद्री सहयोग और पर्यावरणीय संतुलन पर चर्चा करेंगे.
क्षेत्रीय शांति और स्थिरता में भी महत्वपूर्ण योगदान
मंत्रालय की ओर से यह स्पष्ट किया गया कि भारत के ईरान और श्रीलंका में सामरिक निवेश से न केवल भारत की वैश्विक उपस्थिति और कनेक्टिविटी बढ़ेगी, बल्कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता में भी महत्वपूर्ण योगदान होगा.
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