देश – पूर्व नियोजित था शेख हसीना के खिलाफ आंदोलन, मोहम्मद यूनुस का बड़ा खुलासा; मास्टरमाइंड भी बताया – #INA
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा है कि शेख हसीना की सरकार के खिलाफ हुआ देशव्यापी आंदोलन स्वत: नहीं था बल्कि पूर्व नियोजित था। मोहम्मद यूनुस ने इस आंदोलन के मास्टरमाइंड का भी खुलासा किया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा की 79वीं बैठक में भाग लेने गए मोहम्मद यूनुस ने अमेरिका के न्यूयॉर्क में क्लिंटन ग्लोबल इनिशिएटिव के एक कार्यक्रम में कहा कि शेख हसीना के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन का मास्टरमाइंड महफूज आलम था।
कार्यक्रम में महफूज आलम का परिचय कराते हुए मोहम्मद यूनुस ने कहा कि जब आप इनके बारे में जानेंगे और इनके काम करने के तरीके को जानेंगे तो हिल जाएंगे। मोहम्मद यूनुस ने ये भी कहा कि जब आप महफूज आलम को बोलते हुए सुनेंगे तो आप अचरज में पड़ जाएंगे। अंतरिम सरकार के सलाहकार ने कहा कि महफूज आलम ने अपने भाषणों और अपने समर्पण भाव से पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इसके बाद उन्होंने कहा कि अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन महफूज आलम के दिमाग की ही उपज थी।
बता दें कि मोहम्मद यूनुस ने महफूज आलम को अपना विशेष सहायक बना रखा है। जब वह आलम की शान में कसीदे पढ़ रहे थे, तब वह उनके साथ वहीं मंच पर बगल में खड़े थे। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। अपने संबोधन और तारीफ के दौरान मोहम्मद यूनुस आलम के कंधे पर हाथ रखे हुए हैं और उसी की तरफ मुखातिब हैं। इस दौरान महफूज आलम मुस्कुरा रहा है। मंच पर मोहम्मद यूनुस महफूज आलम समेत तीन लोगों को बिल क्लिंटन से भी मिलवाते हैं।
इससे आगे मोहम्मद यूनुस ने कहा कि पूरे आंदोलन के पीछे इन्हीं की दिमाग था लेकिन ये इससे बार-बार इनकार करते है। यह इनकी आदत है लेकिन हर प्लानिंग के पीछे इन्हीं का दिमाग था। मोहम्मद यूनुस ने कहा कि आंदोलन अचानक नहीं हुआ था बल्कि इसकी बहुत अच्छे तरीके से प्लानिंग और डिजायनिंग की गई थी। यहां तक कि उसका पैटर्न भी बिल्कुल नया था।
ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक, मोहम्मद यूनुस ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के साथ वैश्विक नेताओं से बात करते हुए छात्र प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पिछली सरकार की हिंसक कार्रवाइयों की कई सनसनीखेज कहानियां भी साझा कीं और बताया कि कैसे छात्रों ने साहसपूर्वक गोलियों का सामना किया और शेख हसीना सरकार को उखाड़ फेंका। बता दें कि आंदोलन की वजह से शेख हसीना को 5 अगस्त को बांग्लादेश से भागकर भारत आना पड़ा था। तब से वह भारत में ही शरण लिए हुई हैं।
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