Maa Shailputri: नवरात्रि के पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा, जानें कथा और उसका महत्व #INA

Maa Shailputri: नवरात्रि पर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है और मां शैलपुत्री देवी दुर्गा का पहला स्वरूप मानी जाती हैं. उनकी उपासना से व्यक्ति को जीवन की बुराइयों से मुक्ति मिलती है और वह शक्ति व साहस के साथ आगे बढ़ता है. उनका नाम शैलपुत्री इसलिए पड़ा क्योंकि वे पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मी थीं. मां शैलपुत्री का स्वरूप अत्यंत शांत, शुद्ध और दिव्य है. वे वृषभ (बैल) की सवारी करती हैं इसलिए उन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है. उनके एक हाथ में त्रिशूल है और दूसरे हाथ में कमल का फूल. उनके माथे पर अर्धचंद्र का आभूषण है जो उनके अद्वितीय सौंदर्य और दिव्यता का प्रतीक है. मां शैलपुत्री का यह रूप स्थिरता, शक्ति और साहस का प्रतीक है. मां शैलपुत्री के स्वरूप की पूजा करने से साधक को सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है और जीवन की कठिनाइयों को पार करने की शक्ति मिलती है. उनकी कृपा से व्यक्ति का मानसिक और शारीरिक संतुलन बना रहता है.

मां शैलपुत्री की कथा (Story of Maa Shailputri)

मां शैलपुत्री की पौराणिक कथा बहुत ही प्रेरणादायक और रोचक है. वे पूर्वजन्म में राजा दक्ष की पुत्री सती के रूप में जन्मी थीं. सती ने भगवान शिव से विवाह किया था, लेकिन जब उनके पिता दक्ष ने यज्ञ में भगवान शिव का अपमान किया, तो सती ने अपने पिता के इस कृत्य से दुखी होकर यज्ञ कुण्ड में आत्मदाह कर लिया. इसके बाद, सती ने अपने अगले जन्म में पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया और इस जन्म में वे शैलपुत्री के नाम से जानी गईं. इसी कारण उन्हें शैलराज की पुत्री, यानी शैलपुत्री के नाम से पुकारा गया. इस जन्म में भी उन्होंने कठोर तपस्या करके भगवान शिव को दोबारा अपने पति के रूप में पाया. मां शैलपुत्री का यह जन्म संघर्ष, त्याग और धैर्य का प्रतीक है. उनके जीवन की यह कथा हमें यह सिखाती है कि कर्तव्य, धर्म और समर्पण का पालन करते हुए कैसे जीवन की कठिनाइयों का सामना किया जा सकता है.

मां शैलपुत्री का महत्व (Importance of Maa Shailputri)

मां शैलपुत्री की पूजा से साधक के मन में दृढ़ संकल्प, साहस और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. वे हमें सिखाती हैं कि चाहे कितनी भी कठिनाई हो अगर हमारे मन में दृढ़ निश्चय और आत्मविश्वास है, तो हम हर बाधा को पार कर सकते हैं. मां शैलपुत्री की उपासना करने से व्यक्ति को मानसिक शांति और धैर्य की प्राप्ति होती है. जीवन की जटिलताओं और संघर्षों में मां की आराधना से साधक को मार्गदर्शन मिलता है. वे साधक को सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं और जीवन की नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करती हैं. उनकी उपासना से व्यक्ति को सांसारिक और आध्यात्मिक उन्नति दोनों की प्राप्ति होती है. मां शैलपुत्री का आशीर्वाद जीवन के सभी पहलुओं में सकारात्मक बदलाव लाता है चाहे वह पारिवारिक जीवन हो या कार्यक्षेत्र हो या फिर व्यक्तिगत उन्नति.

यह भी पढ़ें: Sharadiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि कब से शुरू हो रहे हैं, जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और तिथि

Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)


#INA #INA_NEWS #INANEWSAGENCY
डिस्क्लेमरः यह न्यूज़स्टेट डॉट कॉम न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ आई एन ए टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज़स्टेट डॉट कॉम की ही होगी.

Back to top button