Jeshoreshwari Mandir: नवरात्रि में इस शक्तिपीठ से चोरी हुआ मां काली का सोने–चांदी से बना मुकुट, PM मोदी ने किया था भेंट #INA
Jeshoreshwari Mandir: 51 शक्तिपीठों में शामिल जेशोरेश्वरी मंदिर (Jeshoreshwari Mandir) से मां काली का मुकुट चोरी हो गया है. मुकुट सोने और चांदी से बना हुआ था. बता दें, यह Shakti Peeth भारत में नहीं बल्कि भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में हैं. बांग्लादेश के सतखीरा शहर में मां काली का जेशोरेश्वरी मंदिर है. इसकी बहुत मान्यता है. खास बात है कि यह मुकुट पीएम मोदी ने भेंट किया था. नवरात्रि में मां काली का मुकुट चोरी होने से बांग्लादेश का हिंदू समुदाय आहत है.
क्या बोली पुलिस
मामले में स्थानीय पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मुकुट गुरुवार दोपहर को मंदिर से चोरी हुआ था. चोर की पहचान करने के लिए हम मंदिर के सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रहे हैं.
51 शक्तिपीठों में से एक है Jeshoreshwari Mandir
सदियों से मंदिर की देखभाल कर रहे परिवार के सदस्य ज्योति चट्टोपाध्याय ने मामले में बांग्लादेशी मीडिया से बात की. उन्होंने बताया कि मुकुट चांदी से बना हुआ था और उस पर सोने की परत चढ़ाई गई थी. चोरी हुआ मुकुट का भक्तों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है. ‘जेशोरेश्वरी’ नाम का अर्थ- ‘जेशोर की देवी’ होता है.
पीएम मोदी ने भेंट किया था मुकुट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मार्च 2021 में बांग्लादेश दौरे पर गए थे. बांग्लादेश यात्रा की दौरान, पीएम मोदी 27 मार्च 2021 को जेशोरेश्वरी मंदिर (Jeshoreshwari Temple) गए थे. यहां उन्होंने पूजा पाठ की थी और माता को सोने-चांदी से बना मुकुट भेंट किया था.
मंदिर में सामुदायिक हॉल का निर्माण करवाने वाले थे पीएम मोदी
बांग्लादेश यात्रा के वक्त पीएम मोदी ने ऐलान किया था कि मंदिर में एक बहुउद्देशीय सामुदायिक हॉल का निर्माण होगा, जो भारत कराएगा. पीएम मोदी ने इस हॉल का फायदा गिनाते हुए कहा था कि यह हॉल स्थानीय लोगों के सामाजिक, धार्मिक और शैक्षणिक आयोजनों के लिए उपयोगी होगा. इसके अलावा, अगर क्षेत्र में चक्रवात जैसी आपदा आती है तो हर समुदाय के लोग हॉल में आश्रय ले सकते हैं.
12वीं शताब्दी में हुआ था मंदिर का निर्माण
सतखीरा के ईश्रवीपुर में स्थित इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हुआ था. अनारी नाम के ब्राह्मण ने इस 100 दरवाजों वाला मंदिर बनवाया था. इसके बाद 13वीं शताब्दी में लक्ष्मण सेन ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था. 16वीं शताब्दी में राजा प्रतापादित्य मंदिर का पुननिर्माण करवाया था.
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