देश – India China Disengagement: हवा हो गई ड्रैगन की हेकड़ी! इन 2 इलाकों से सेनाएं हटनी शुरू, जानिए कैसे माना चीन? #INA

India China Disengagement: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीतिक रणनीति का असर चीन सीमा पर दिख रहा है. लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर तनाव कम हो रहा है. दोनों देश की सेनाएं पीछे हट रही हैं. भारतीय सेना के सूत्र के हवाले से खबर है कि इंडियन आर्मी और चीनी सेना इस महीने की 28-29 अक्टूबर तक पूरी तरह से पीछे हट जाएंगी. बता दें कि हाल ही में भारत और चीन के बीच LAC बॉर्डर पेट्रोलिंग एग्रीमेंट हुआ है. ऐसे में सवाल ये है कि चीन आखिर इस समझौते के लिए कैसे राजी हुआ है. 

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देपसांग – डेमचोक की टेंशन खत्म

भारतीय सेना के सूत्र के हवाले से, नवीनत समझौता केवल देपसांग (Depsang) और डेमचोक (Demchok) के लिए ही लागू होंगे, अन्य जगहों के लिए नहीं. ये एग्रीमेंट चीन के साथ अन्य टकराव वाले इलाकों पर लागू नहीं होगे. इन दोनों इलाको में चीन और भारत की सेनाएं अप्रैल 2020 की स्थिति में वापस आ जाएंगी और वे उन्हीं क्षेत्रों में पेट्रोलिंग करेंगीं, जहां उन्होंने अप्रैल 2020 तक गश्त की थी. इसे भारत के लिए एक रणनीतिक उपलब्धि के रूप में देखा सकता है.

आगे बताया गया है कि, सीमा पर शांति बनी रहे और सैनिक अपने-अपने इलाकों में पेट्रोलिंग करें, इसके लिए नियमित ग्राउंड कमांडरों की बैठकें आयोजित की जाती रहेंगी. किसी भी गलतफहमी से बचने के लिए दोनों सेनाएं एक-दूसरे को सूचित करेंगी कि हम कब गश्त करने जा रहे हैं. शेड, टेंट या अन्य तरह के सभी अस्थायी सैन्य ढांचे हटाए जाएंगे. देपसांग और डेमचोक में पेट्रोलिंग प्वॉइंट वे बिंदु होंगे, जहां सैनाएं अप्रैल 2020 से पहले गश्त करती थीं.’

हवा हो गई ड्रैगन की हेकड़ी!

भारत की चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर लंबे समय से बातचीत चल रही थी. ये भारत की कूटनीतिक रणनीति का ही असर है कि चीन LAC बॉर्डर पेट्रोलिंग एग्रीमेंट के लिए राजी हुआ, वो भी भारत की उस शर्त पर की कि चीनी सेनाओं को अप्रैल 2020 की यथास्थिति पर वापस लौटना होगा. इस तरह कहा जा सकता है कि ड्रैगन की हेकड़ की हवा निकल गई है, क्योंकि वो पहले अप्रैल 2020 की यथास्थिति में लौटने को तैयार नहीं था.  

समझौते के लिए कैसे माना चीन?

टकराव की वजह से LAC पर भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने थीं. चीन के भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते भी हैं. टकराव के चलते आर्थिक मोर्चे पर उसे नुकसान हो रहा है. भारत भी इस असर से अछूता नहीं था. भारत हमेशा ही सीमा पर शांति और स्थिरता के पक्ष में रहा है. यही वजह है कि भारत ने चीन को दो टूक कहा कि व्यापार और वाणिज्य के स्तर रिश्ते तभी सुधर सकते हैं जब तक सीमा पर शांति और स्थिरता नहीं होगी.

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बीते कुछ वर्षों में चीन में निवेश करने को लेकर विदेशी कंपनी का भरोसा डावांडोल हुआ है. वे चीन से निकल कर भारत में निवेश कर रही हैं. आर्थिक मोर्चे पर भारत जबरदस्त प्रगति कर रहा है. नतीजतन, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में पांचवें नंबर पर है. चीन के लिए बढ़ते कद को नजरअंदाज कर पाना नामुमकिन है. 

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अमेरिका समेत अन्य पश्चिमी देशों के साथ भारत की दोस्ती मजबूत हुई है. रूस के साथ भी उसके रिश्ते सबसे मजबूत स्थिति में है. हिंद प्रशांत महासागर के ईर्द-गिर्द रणनीति नीतियां बनाने में क्वाड ग्रुप की अहम भूमिका रहती है. भारत इस ग्रुप का एक अहम सदस्य है. ऐसे में चीन जानता है कि अगर भारत के साथ रिश्ते बिगड़ते हैं, तो उसे आर्थिक मोर्चे पर नुकसान ही होगा. शायद यही वजह है कि वो LAC बॉर्डर पेट्रोलिंग एग्रीमेंट के लिए राजी हुआ है.

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