झांसी हादसे के बाद का लखनऊ के केजीएमयू का रियलिटी चेक, जानें क्या हैं यहां पर बचने के तरीके #INA
केजीएमयू राजधानी लखनऊ का न सिर्फ सबसे बड़ा मेडिकल कॉलेज है बल्कि आसपास के जिलों के मरीज भी यहां सबसे ज्यादा आते हैं. यहां का जो महिला अस्पताल है जिसे क्वीन मैरी अस्पताल कहा जाता है जो मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत आता है. इसमें प्रतिदिन हजार के करीब ओपीडी है. डिलीवरी से लेकर के बच्चों को जो नवजात शिशु हैं उनको एडमिट करने की क्षमता लगभग 300 के करीब है जो की 100 प्रतिशत भरा रहता है. एक तौर पर सबसे बड़ा अस्पताल है. नवजात शिशु का और नेटवर्क की टीम सबसे पहले पहुंचती है यहां पर फायर फाइटिंग सिस्टम या फिर आग लगने के बाद किस तरीके के उपकरण हैं, कैसी व्यवस्था है और अगर झांसी जैसा हादसा होता है तो बचने का क्या तरीका है.
राहत इस बात की मिली की राजधानी लखनऊ में मरीज के दबाव के बीच भी सिस्टम सुचारू ढंग से काम करते दिखाई पड़ा. बिना बताए जब हम फायर फाइटिंग सिस्टम के कर्मचारियों से मिले तो उन्होंने पूरी जानकारी दी उन्होंने रजिस्टर को दिखाया कि किस तरह से वाटर प्रेशर को लेकर के रिकॉर्ड मेंटेन किया जाता है.
किस तरीके से अलार्म का रिकॉर्ड बनाया जाता है
पैनल अलग-अलग पूरे इस अस्पताल में 17 पैनल लगे हैं. इसमें दो बड़े पैनल हैं. इन्हें मास्टर पैनल कहा जाता है और हर पैनल का इंडिकेटर है ना सिर्फ अनाउंस करने का अलर्ट करने के लिए माइक है बल्कि कहीं पर भी आग लग जाए तो सायरन भी है. हमने माइक और सायरन सभी का मुआयना करके भी देखा सब काम करते नजर आए. कहीं पर किसी तरीके की अगर धुआं या आग लगने का संकेत मिलता है तो सिस्टम काम करता नजर आया.
यह भी अपने आप में एक राहत की खबर थी क्योंकि झांसी के हादसे के बाद आंख खोल देने वाली चीज यही है कि सिस्टम बना दिया जाता है. उसका कागजों पर पालन करता हुआ भी दिखाई पड़ता है लेकिन सच्चाई कहीं झांसी के हादसे की तरह ना रहे. कम से कम केजीएमयू राजधानी के हिसाब से मेडिकल कॉलेज में सिस्टम दुरुस्त नजर आया.
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