देश – Pradosh Vrat Katha: इस कथा के बिना अधूरा रह जाएगा प्रदोष व्रत, शिव जी को प्रसन्न करने के लिए जरूर पढ़ें #INA

Pradosh Vrat Katha:  हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित होता है. इस दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए श्रद्धालु उपवास रखते हैं और विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं.  मान्यता है कि प्रदोष व्रत के प्रभाव से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और कष्टों से मुक्ति मिलती है.  प्रदोष व्रत हर महीने दो बार आता है, एक बार शुक्ल पक्ष में और दूसरी बार कृष्ण पक्ष में. इस दिन सुबह से लेकर शाम तक व्रत रखा जाता है और शाम को भगवान शिव समेत उनके पूरे परिवार की विधि-विधान से पूजा की जाती है.  पूजा के बाद व्रत का पारण किया जाता है. अगर आप प्रदोष व्रत कर रहे हैं तो इस दिन आपको यह व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए. 

रवि प्रदोष व्रत की कथा (Pradosh Vrat Katha)

प्रदोष व्रत से जुड़ी एक कथा काफी प्रचलित है.  कहा जाता है कि एक गरीब ब्राह्मण परिवार था, जिसमें ब्राह्मण की पत्नी विधि-विधान से प्रदोष व्रत किया करती थी.  वह भगवान शिव की पूरी श्रद्धा से पूजा करती थी.  एक दिन उनका बेटा गांव से बाहर किसी अन्य स्थान की यात्रा पर गया.  कुछ दूर चलने के बाद उसे चोरों ने घेर लिया और उसका सारा सामान छीन लिया. चोरों ने उससे कहा कि उनके घर का गुप्त धन कहां छुपा है, इसका पता बताओ. लड़के ने बताया कि उसके पास केवल एक पोटली में रोटी है और उसके परिवार के पास कोई गुप्त धन नहीं है, क्योंकि वे बहुत गरीब हैं.  चोरों ने उसकी बात सुनकर उसे छोड़ दिया और चले गए. 

लड़का वहां से आगे बढ़कर एक नगर में पहुंचा और एक बरगद के पेड़ के नीचे सो गया.  तभी राजा के कुछ सिपाही वहां आए, जो चोरों की तलाश में थे.  सिपाहियों ने उस लड़के को चोर समझकर गिरफ्तार कर लिया और जेल में डाल दिया.  जब लड़का घर नहीं पहुंचा, तो उसके माता-पिता बहुत परेशान हो गए.  उस दिन प्रदोष व्रत था और उसकी मां भगवान शिव से अपने बेटे की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करने लगी. 

मां की श्रद्धापूर्ण प्रार्थना भगवान शिव ने सुन ली.  उस रात राजा के सपने में भगवान शिव प्रकट हुए और उसे बताया कि जो लड़का जेल में बंद है, वह निर्दोष है. अगर उसे मुक्त नहीं किया गया तो राजा का सारा वैभव समाप्त हो जाएगा. 

अगले दिन राजा ने लड़के को जेल से रिहा करने का आदेश दिया.  जब लड़का दरबार में लाया गया, तो उसने पूरी घटना सुनाई.  उसके माता-पिता भी दरबार में पहुंचे थे.  राजा ने उन्हें उनका बेटा सौंप दिया और आभार स्वरूप पांच गांव दान कर दिए ताकि उनका जीवन सुखपूर्वक व्यतीत हो सके. इस प्रकार, भगवान शिव की कृपा से उस ब्राह्मण परिवार का जीवन सुखमय हो गया. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)


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