देश – Maha Kumbh 2025: महाकुंभ 2025 में जूना अखाड़े का भव्य आगाज, जानें इसका इतिहास और नगर प्रवेश की झलक #INA

Maha Kumbh 2025: महाकुंभ 2025 के लिए सनातन धर्म के सबसे बड़े अखाड़ों में से एक, जूना अखाड़े (Juna Akhara) ने प्रयागराज में अपना नगर प्रवेश भव्यता के साथ किया. संत संन्यासियों का यह समूह पूरे वैभव और शौर्य के साथ प्रयागराज पहुंचा. उनके आते ही पूरा वातावरण धार्मिक आस्था और उत्साह से भर उठा. नगर प्रवेश की यह यात्रा हनुमानगंज के रामापुर पटेल नगर स्थित रोकड़िया हनुमान मंदिर से यमुना नदी के तट पर मौज गिरि मंदिर तक निकाली गई. इस दौरान संन्यासियों ने सनातन धर्म की ध्वजा को महाकुंभ की पावन धरती पर ऊंचा किया.

Juna Akhara in Maha Kumbh 2025

इस यात्रा का नेतृत्व अखाड़े के संरक्षक और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि ने किया. इस शोभायात्रा में अखाड़े के सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरि, काशी सुमेरु पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती और कई अन्य संत, महंत शामिल थे. संन्यासियों ने अपने विशेष परिधानों, तिलक, भभूत और रुद्राक्ष के साथ नगर में धर्म की शान बढ़ाई. यात्रा का दृश्य बेहद अद्भुत था जिसमें संन्यासी अपने पारंपरिक परिधानों, त्रिशूल, तलवार और अन्य धार्मिक प्रतीकों के साथ नजर आए. 

जूना अखाड़े का इतिहास

जूना अखाड़ा भारत के सबसे बड़े और प्रमुख अखाड़ों में से एक है. इसकी स्थापना 12वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने की थी, जब उन्होंने सनातन धर्म के सिद्धांतों की रक्षा और प्रचार के लिए संन्यासियों को संगठित किया. जूना अखाड़ा (Juna Akhara) शैव संप्रदाय के अंतर्गत आता है और इसका मुख्य उद्देश्य धर्म, संस्कृति और समाज की रक्षा करना है. जूना अखाड़ा नाथ संप्रदाय से संबंधित है और इसका मूल मंत्र ही समाज और धर्म की रक्षा के लिए संघर्ष करना है.

Juna Akhara in Maha Kumbh 2025

अखाड़े का शौर्य और बलिदान का इतिहास बेहद पुराना है जिसमें इसके संन्यासियों ने कई धार्मिक और सांस्कृतिक संघर्षों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. यह अखाड़ा (Juna Akhara) हर कुंभ और महाकुंभ में विशेष रूप से शामिल होता है.

महाकुंभ 2025 (Maha Kumbh 2025) में जूना अखाड़े का नगर प्रवेश एक धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन था, जिसने प्रयागराज में सनातन धर्म की शक्ति और भव्यता को दर्शाया. जूना अखाड़े का यह आयोजन न केवल महाकुंभ का आकर्षण बना, बल्कि इसने सनातन धर्म के अनुयायियों को उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर से जोड़ा. संतों के नगर प्रवेश का दृश्य आस्था और भक्ति का अद्भुत संगम था.

Juna Akhara

पूरे मार्ग में लोग संतों का स्वागत करते रहे. भक्त हाथ जोड़कर संतों का आशीर्वाद लेते हुए दिखाई दिए और फूलों की वर्षा से संन्यासियों का अभिनंदन किया. यात्रा के दौरान (Maha Kumbh 2025) संतों के स्वरूप की बात करें तो उन्होने गले में रुद्राक्ष, मस्तक पर भभूत, हाथों में त्रिशूल और तलवार लिए सनातन धर्म के गौरव और उसकी महिमा का खूब बखान किया. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)


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