देश – जल संकट को लेकर मुश्किल में दिल्ली सरकार, हिमाचल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर किया हलफनामा- #INA
जल संकट को लेकर मुश्किल में दिल्ली सरकार. (सांकेतिक)
जल संकट से जूझ रही राजधानी दिल्ली को अपनी प्यास बुझाने के लिए अब कोई नया विकल्प तलाशना होगा. क्योंकि हिमाचल 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी को लेकर अब यू टर्न ले लिया है. हिमाचल की तरफ से जवाब दिया गया है कि उनके पास ज्यादा पानी नहीं है. ऐसे में दिल्ली सरकार बड़ी उम्मीद से हिमाचल पर आस लगाए बैठी थी कि उन्हें अतिरिक्त पानी मिलेगा. इसको लेकर दिल्ली सरकार ने अपर रिवर जल बोर्ड के अधिकारियों को यमुनानगर भेजा और वह तीन दिन तक हथिनीकुंड बैराज पर डेरा डाले बैठे रहे.
उनकी उम्मीद उस वक्त टूट गई जब हिमाचल ने भी अतिरिक्त पानी देने से मना कर दिया. बता दे दिल्ली जल संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा था जिसके बाद हिमाचल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल कर कहा कि हम दिल्ली को 137 क्यूसेक पानी देंगे. यमुनानगर सिंचाई विभाग के सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर आर.एस मित्तल ने बताया कि हमारे पास ताजा जानकारी है कि हिमाचल ने पानी देने से मना कर दिया है.
यूपी और हरियाणा जा रहा पानी
आर.एस मित्तल ने आगे बताया कि पानी ना देने की वजह हिमाचल सरकार ने पानी की कमी को बताया है. उन्होंने यह भी बताया कि हथिनीकुंड बैराज पर 2497 क्यूसेक पानी दर्ज किया गया है. इस पानी को यूपी और हरियाणा के लिए भेजा जा रहा है और कुछ पानी दिल्ली के लिए भी डायवर्ट किया गया है. इस मामले को लेकर आम आदमी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी पर गंदी राजनीति करें का आरोप लगाया है.
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‘आप’ का बीजेपी पर आरोप
इस पर सोमवार को आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर हरियाणा की भारतीय जनता पार्टी सरकार पर नकारात्मक राजनीति करने और यमुना नदी में पानी की आपूर्ति रोकने का आरोप लगाया है. पार्टी के प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने में दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हिमाचल प्रदेश द्वारा छोड़ा गया 137 क्यूसेक पानी अभी तक दिल्ली नहीं पहुंचा है.
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