Noida – केदारनाथ और मंदाकिनी की दशा सुधरेगी, एनजीटी ने भेजी टीम – #INA

Noida News :
नोएडा के एक समाजसेवी की पहल पर एनजीटी के आदेश के बाद दिल्ली और देहरादून की प्रदूषण विभाग की टीमों ने केदारनाथ का दौरा किया है। निरीक्षण में यह बात को देखा गया है कि वहां लिक्विड और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के साथ सीवरेज और अन्य प्रकार की गंदगी के निस्तारण की क्या व्यवस्था है। इसमें कितनी गंदगी मंदाकिनी नदी में गिर रही है। एनजीटी कर इस पहल के बाद दिल्ली और देहरादून के प्रदूषण विभाग द्वारा किए जा रहे सर्वे से मंदाकिनी नदी के साफ होने के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं।

लेने हैं मंदाकिनी नदी के पानी के नमूने 

एनजीटी ने अपने आर्डर में कहा था कि सभी व्यवस्थाओं की स्थलीय जानकारी के साथ यह भी देखा जाए कि गंदगी कितनी और कहां से मंदाकिनी नदी में गिर रही है। मंदाकिनी नदी के पानी के नमूने भी लिए जाएं। पानी के नमूनों की जांच करने के बाद आदेश के दस सप्ताह में इसकी रिपोर्ट भी एनजीटी के समक्ष प्रस्तुत की जाए।

चार अक्टूबर को फिर से हाेगी सुनवाई 

एनजीटी ने मामले की सुनवाई करते हुए आदेश दिए थे कि स्थलीय निरीक्षण किया जाए और पानी के नमूने लेकर इसकी रिपोर्ट तैयार की जाए। मामले में देहरादून और दिल्ली के प्रदूषण नियंत्रण विभाग की टीम द्वारा की गई कार्रवाई, निरीक्षण और लिए गए नमूने की रिपोर्ट दी जाएगी। इस मामले में चार अक्टूबर 2024 को फिर से सुनवाई होनी है।

नोएडा के समाजसेवी ने उठाया था मुद्दा 

नोएडा के समाजसेवी अभिष्ट कुसुम गुप्ता ने केदारनाथ में गंदगी के साथ मंदाकिनी नदी में गिरने वाले सीवरेज और अन्य प्रकार की गंदगी के मामले को एनजीटी में उठाया था। मामले में सुनवाई करते हुए 11 जुलाई 24 को दिए गए आदेश में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव, रुद्रप्रयाग के जिला मजिस्ट्रेट, क्षेत्रीय अधिकारी MOEF और CC देहरादून की एक ज्वाइंट कमेटी बनाई थी। कमेटी का नोडल अधिकारी रुद्रप्रयाग के जिला मजिस्ट्रेट को बनाया गया था।

इन पांच बिदुओं को मुख्य रूप से उठाया गया 

  1. केदारनाथ धाम में वर्तमान में सीवरेज के ट्रीटमेंट की कोई व्यवस्था नहीं है। यह बिना ट्रीट किए ही मंदाकिनी नदी में डाला जा रहा है। 
  2. बिना ट्रीट किया गया सीवर और ह्यूमन वेस्ट भी शौचालयों से सीधे मंदाकिनी में डाला जा रहा है, जिससे पानी प्रदूषित हो रहा है। 
  3. मंदाकिनी नदी गंगा नदी में मिलती है, ऐसे में मंदाकिनी के प्रदूषित होने से गंगा में भी प्रदूषण बढ़ रहा है।  
  4. केदारनाथ इको सेंसिटिव क्षेत्र है। इस तरह का प्रदूषण पर्यावरण और जलीय जीवों के लिए भी खतरनाक है। 
  5. STP की कमी के कारण होने वाला प्रदूषण स्थानीय लोगों के साथ वहां जाने वाले श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।

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सौजन्य से ट्रिक सिटी टुडे डॉट कॉम

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