देश – दिल्ली: प्रदूषण नियंत्रण मुहिम पर जुटी सरकार, गोपाल राय ने वजीरपुर हॉट-स्पाट पर कराई ड्रोन मैपिंग- #INA

ड्रोन तकनीक की जानकारी लेते मंत्री गोपाल राय

दिल्ली में हॉटस्पॉट ज़ोन के प्रदूषण की वजहों की पहचान के लिए पहली बार पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ड्रोन से मॉनिटरिंग कराई गई. दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि राजधानी के 13 हॉट-स्पाट पर प्रदूषण का स्तर सामान्य से ज्यादा होता है. इन हॉट-स्पाट पर प्रदूषण के कारकों को प्रभावी ढंग से कम करने के लिए शुक्रवार सर्वे ऑफ इंडिया की एक सूचीबद्ध एजेंसी द्वारा वजीरपुर हॉट-स्पाट पर ड्रोन मैपिंग की गई. उन्होंने कहा कि यह पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा तो हम अन्य हॉट-स्पाट पर भी इसे लागू करेंगे.

दिल्ली सरकार के मंत्री ने आगे कहा कि हमारा मकसद टेक्नोलॉजी के आधुनिकीकरण का ज्यादा-से-ज्यादा उपयोग करके प्रदूषण कम करना है. फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तहत वजीरपुर हॉट-स्पॉट पर ड्रोन मैपिंग कारवाई है. यह ड्रोन 120 मीटर की ऊचाई से 200 मीटर की रेडियस में प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों की जानकारी पर्यावरण विभाग और डीपीसीसी को भेजेगा. पर्यावरण और डीपीसीसी के इंजीनियर इसका विश्लेषण करके रिर्पोट हमें सौपेंगे. उस आधार पर और ज्यादा प्रभावी कदम उठाए जाएंगे.

दिल्ली में 13 हॉटस्पॉट चिन्हित

गोपाल राय ने कहा कि सर्दियों में होने वाले प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए 25 सितंबर को 21 विंदुओं के साथ विंटर एक्शन प्लान की घोषणा की गई थी. इसके तहत प्रमुख पहल में से एक ड्रोन तकनीक का उपयोग करके हॉटस्पॉट पर प्रदूषण की निगरानी करना है. हमने दिल्ली में 13 हॉटस्पॉट चिन्हित किए हैं, जहां अधिक प्रदूषण होता है.

गोपाल राय ने बताया कि शहर में वायु प्रदूषण स्रोतों की पहचान करने में ड्रोन मैपिंग तकनीक महत्वपूर्ण उपकरण है. उन्नत सेंसर से लैस ड्रोन भीड़भाड़ वाले शहरी क्षेत्रों, औद्योगिक क्षेत्रों और उन क्षेत्रों तक पहुंचने में सक्षम हैं, जहां पारंपरिक तरीकों से निगरानी करना मुश्किल है. ड्रोन की तैनाती प्रदूषकों के फैलाव को बेहतर ढंग से समझने और नियमों का उल्लंघन करने वाले अनधिकृत औद्योगिक संचालन या निर्माण स्थलों मसलन हॉटस्पॉट की पहचान करने में सक्षम बनाती है.

प्रदूषण के स्रोतों की तुरंत जानकारी

गोपाल राय ने बताया कि प्रदूषण के स्रोतों जैसे खुले में आग जलाने, अनियमित निर्माण गतिविधियों, यातायात भीड़ आदि का तुरंत पता लगा सकती हैं और जिससे एजेंसी सुधारात्मक उपाय लागू कर सकती हैं. ड्रोन मैपिंग के माध्यम से एकत्रित डेटा प्रभावी प्रदूषण नियंत्रण नीतियों के निर्माण में अहम् भूमिका निभाएगी. इस व्यापक पहल का उद्देश्य ड्रोन-आधारित प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग के माध्यम से वायु गुणवत्ता निगरानी और प्रबंधन में सुधार करना है.

वर्तमान में ड्रोन मैपिंग की उन्नत तकनीक के लाभ और प्रभावशीलता को जानने के लिए आज डेमोंस्ट्रेशन के रूप में वजीरपुर में ड्रोन मैपिंग किया गया है.अगर यह सफल रहता है तो हम अन्य हॉट-स्पाट पर भी इसे लागू करेंगे.

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