देश – दिल्ली में करने होंगे ये 7 उपाय, 500 से 50 पर आ जाएगा AQI…. बन जाएगा सबसे साफ शहर- #INA

दिल्ली में जहरीली हुई हवा.Image Credit source: PTI

राजधानी दिल्ली इन दिनों प्रदूषण (Delhi-NCR Pollution) की मार झेल रही है. आलम ये है कि दो दिन तक को AQI लेवल 500 पार रहा. बुधवार को AQI 421 है. दिल्ली सरकार प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तमाम कोशिशें कर रही है. ऑनलाइन क्लास से लेकर वर्क फ्रॉम की सुविधा तक दे दी गई है. कृत्रिम बारिश तक करवाने की बात की जा रही है. इस बीच डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन फिर से चर्चा में आई है. क्योंकि यह दुनिया का सबसे साफ शहर है. हम 7 प्वाइंट में कोपेनहेगन से सीख सकते हैं कि दिल्ली को साफ कैसे रखा जा सकता है.

अगर हम चाहते हैं कि हमारी दिल्ली भी प्रदूषण रहित हो तो कुछ काम सरकार तो कुछ हमें खुद भी करने होंगे. तभी प्रदूषण को रोका जा सकता है. ऐसा नहीं है कि सफाई और प्रदूषण के लिए हम पूरी तरह बस सरकार पर ही निर्भर हो जाएं. तो चलिए 7 प्लाइंट में जानते हैं कि हमें ऐसा क्या करना चाहिए जो रूल कोपेनहेगन में फॉलो किए जाते हैं…

1. कोपेनहेगन को ‘साइकिल फ्रेंडली कैपिटल’ कहा जाता है. यहां पर 50% से ज्यादा लोग साइकिल का प्रयोग करते हैं. यहां पर 400 किलोमीटर से ज्यादा लंबी साइकिल लेन हैं. इसके अलावा साइकिल पार्किंग की व्यवस्था है. इससे ट्रैफिक और प्रदूषण दोनों ही कम होता है. अगर दिल्ली में भी लोग साइकिल का प्रयोग करें तो काफी हद तक पॉल्यूशन कम होगा.

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2. कोपेनहेगन में बिजली पवन और सौर ऊर्जा से आती है. इसके अलावा यहां पर पवन ऊर्जा और जैव ऊर्जा का बड़े पैमाने पर प्रयोग होता है. यहां पर अधिकांश बिजली उत्पादन पवन चक्कियों और बायोमास प्लांट्स से होता है. लेकिन दिल्ली में अभी भी कई लोग कोयले और पेट्रोलियम पर निर्भर है.

3. कोपेनहेगन में ‘कचरे से ऊर्जा’ नीति लागू है. अमेगर बके नामक प्लांट कचरे को जलाकर स्वच्छ ऊर्जा में बदलता है. इससे 400,000 घरों को बिजली और गर्म पानी मिलता है. 90% कचरे का रिसाइकिलिंग या पुन: उपयोग करता है. दिल्ली में कचरा प्रबंधन की क्या व्यवस्था है, ये तो किसी से भी नहीं छुपा है. आपको सड़कों से लेकर गली मोहल्लों में कचरा ही कचरा देखने को मिल जाएगा.

4. कोपेनहेगन में 20% से ज्यादा हरित क्षेत्र हैं. यहां पर छोटे-छोटे पार्क बनाए गए हैं. नई इमारतों में हरी छत और गार्डन लगाना अनिवार्य हैं. लेकिन दिल्ली में लोग इस बात पर ध्यान नहीं देते. कई घरों में तो आपको बालकनी दिखेगी ही नहीं, जहां पौधे आदि रखने की व्यवस्था हो.

5. कोपेनहेगन में वो सभी उद्योग शहर के बाहर हैं, जो प्रदूषण फैलाते हैं. उद्योगों को आधुनिक तकनीकों का उपयोग करने के लिए बाध्य किया जाता है. जबकि, दिल्ली-एनसीआर में भारी उद्योग और ईंट भट्ठे प्रदूषण शहर में ही हैं.

6. कोपेनहेगन में किसान कृषि कचरे को बायोगैस या खाद में बदलने के लिए आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करते हैं. जबकि, दिल्ली में प्रदूषण का सबसे सबसे बड़ा कारण पराली जलाना है.

7. कोपेनहेगन में हवा और पानी पर लगातार नजर रखी जाती है. यहां पर शहर के हर कोने में एयर और वॉटर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम है. यहां पर कल निकासी की भी अच्छी व्यवस्था है. जबकि, दिल्ली में मॉनिटरिंग स्टेशन सीमित हैं.

क्या बोले मौसम वैज्ञानिक?

स्काईमेट वेदर में मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने कहा कि जब तक हवा की गति नहीं बढ़ती, एक्यूआई में सुधार होने की संभावना नहीं है. उन्होंने कहा कि हवा और बारिश शायद अगले दो से तीन दिनों में प्रदूषण के स्तर को कम करने में मदद कर सकती है. अलीपुर, आनंद विहार, अशोक विहार, बवाना, द्वारका सेक्टर 8, इहबास, दिलशाद गार्डन, जहांगीरपुरी, मेजर ध्यानचंद स्टेडियम, मंदिर मार्ग, मुंडका, नजफगढ़, नरेला, नेहरू नगर, पटपड़गंज, पंजाबी बाग, रोहिणी, सिरी फोर्ट और वजीरपुर जैसे क्षेत्रों में एक्यूआई का स्तर बेहद गंभीर श्रेणी में है.

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