यूपी – यूपी में पौधरोपण के रिकॉर्ड पर CAG की चोट, सूख गए 11 में से 8 करोड़ से ज्यादा पौधे, कीमत पर भी सवाल – #INA
उत्तर प्रदेश का हरित आवरण बढ़ाने के लिए एक ओर बड़े पैमाने पर पौधरोपण कर रिकॉर्ड बनाया जा रहा है। दूसरी ओर दो तिहाई पौधे सूखकर मर गए। नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने अपनी रिपोर्ट में तमाम गड़बड़ियों का खुलासा किया है। वर्ष 2016-17 से 2021-22 के दौरान प्रदेश में 101.35 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य था जबकि इस अवधि में 103.78 करोड़ पौधे लगाए गए। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में अधिक दरों पर पौधे खरीद का खुलासा किया है। इसके साथ ही ग्राम्य विकास विभाग में लगाए गए 11 करोड़ से अधिक पौधों में से सिर्फ 28 फीसदी ही जीवित बचे यानि 88 करोड़ से अधिक खर्च करके भी आठ करोड़ पौधे मर गए।
नियंत्रक महालेखापरीक्षक का वनीकरण एवं सामाजिक वानिकी कार्यक्रम पर रिपोर्ट गुरुवार को विधानसभा के पटल पर रखी गई। इस रिपोर्ट में वन विभाग और ग्राम्य विकास विभाग द्वारा कराए गए वृक्षारोपण की जांच की गई। इस रिपोर्ट में लेखा परीक्षा ने ग्राम्य विकास विभाग द्वारा किए गए पौधरोपण की नमूना जांच में पाया कि 2016-17 से 2021-22 के दौरान 11 करोड़ 2 लाख 49 हजार 486 पौधे रोपे गए।
इन जिलों में केवल 3 करोड़ 13 लाख 63 हजार 80 पौधे ही जीवित बचे। जो कुल पौधरोपण का सिर्फ 28.45 फीसदी था। रिपोर्ट में इसका कारण पौधों के रखरखाव में कमी को बताया गया है। जैसे खाद व कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया गया। उन्हें संरक्षित नहीं किया गया व सिंचाई भी ठीक से नहीं की गई। इस अवधि में इन जिलों में वृक्षारोपण पर विभाग ने 88.77 करोड़ रुपये खर्च किए। मगर बड़ी संख्या में पौधों के जीवित न बचने के कारण वृक्षारोपण असफल रहा।
ग्राम्य विकास बोला वन विभाग ने दिए खराब पौधे
खास बात यह है कि ग्राम्य विकास विभाग ने अप्रैल 2023 में सीएजी के साथ हुई एक्जिट कांफ्रेंस में लेखा परीक्षा की आपत्ति को स्वीकार किया। साथ ही विभाग ने कहा कि वन विभाग द्वारा कम गुणवत्ता वाले पौधों की आपूर्ति और रखरखाव की कमी के कारण वृक्षारोपण की मृत्यु दर प्रभावित हुई। सीएजी ने कहा कि यदि वन विभाग द्वारा कम गुणवत्ता वाले पौधों की आपूर्ति की गई थी तो ग्राम्य विकास विभाग को इसे वन विभाग के साथ उठाया जाना चाहिए था मगर ऐसा नहीं किया गया। ग्राम्य विकास विभाग को बिना कार्ययोजना बनाए ही वृक्षारोपण किए जाने के लिए भी लेखा परीक्षा में सवाल उठाए गए हैं।
तय दरों से ज्यादा पर खरीदे पौधे
लेखा परीक्षा में वन विभाग के कई वन प्रभागों द्वारा स्वीकृत दरों से अधिक भुगतान का मामला भी उठाया गया है। लेखा परीक्षा ने देखा कि सात वन प्रभागों के 37 प्रकरणों में अधिक दर पर भुगतान किया गया। इसके परिणाम स्वरूप 27.58 लाख रुपये के अधिक भुगतान की बात कही गई है। विभाग के अधिक दर पर भुगतान न करने के जवाब को लेखा परीक्षा द्वारा खारिज करते हुए ठेकेदारों को अधिक भुगतान करने की बात कही गई है।
वन क्षेत्र के अंदर घटा 100 वर्ग किमी. वनावरण
भारत राज्य वन रिपोर्ट-2021 के मुताबिक यूपी में 14817.89 वर्ग किलोमीटर का वन आवरण था। यह राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 6.15 फीसदी था। सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 से 2021 के बीच प्रदेश में 139 वर्ग किलोमीटर वनावरण में वृद्धि हुई। लेखा परीक्षा के मुताबिक 2017 में वन क्षेत्र के अंदर वनावरण 9243 वर्ग किलोमीटर था। वर्ष 2021 में यह घटकर 9143 वर्ग किलोमीटर रह गया। यानि इस अवधि में वन क्षेत्र के अंदर वनावरण में 100 वर्ग किलोमीटर की कमी आई। इसके विपरीत वन क्षेत्र के बाहर वनावरण में 239 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि दर्ज की गई। ऐसे में रिपोर्ट में वन विभाग की कार्यक्षमता पर सवाल उठाए गए हैं।
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