यूपी – खेल दिवसः छिपकर दौड़ी… एक साल में जीते पांच एथलेटिक्स खिताब, चार में पहला नंबर; सचिन तेंदुलकर ने भी सराहा – INA

2016 में घर से चोरी छिपे दौड़ने जाती एथलेटिक्स खिलाड़ी तामसी सिंह (ज्योति) 2023 में पांच में से चार बड़ी प्रतियोगिताओं में पहला स्थान जीतकर देश का मान बढ़ा रही हैं। तामसी ने 2023 में रांची में हुई कोल इंडिया मैराथन में 21 किलोमीटर दौड़ में प्रथम स्थान हासिल किया। इसमें दो लाख रुपये का पुरस्कार मिला। 

इसी साल अगस्त में हैदराबाद में 42 किलोमीटर में पहले स्थान पर आईं। इसमें 2.5 लाख रुपये का पुरस्कार मिला। बंगलूरू में हुई प्रतियोगिता में प्रथम स्थान मिला। साथ ही पौने तीन लाख रुपये मिले। सितंबर में असम में 10 किलोमीटर दौड़ की विजेता बनी। फिर एक लाख रुपये मिले। 

कोलकाता मैराथन में 21 किमी की दौड़ भी जीत चुकी हैं। वहीं, बनारस में उत्कर्ष मैराथन में प्रथम आईं, यहां भी डेढ़ लाख रुपये मिले। 2019 में दिल्ली के नेहरू स्टेडियम में 21 किलोमीटर दौड़कर प्रथम स्थान हासिल किया। 50 हजार रुपये, मेडल मिला। खास बात रही कि सचिन तेंदुलकर ने सम्मानित किया। उनके साथ सेल्फी भी ली।


तैरकर पार कर लेती हैं गंगा नदी
मूलरूप से सीखड़, मिर्जापुर की रहने वाली तामसी का सफर खेतों में दौड़ने से शुरू हुआ। बताया कि रात में दो बजे दौड़ने निकल जाती थी और सुबह होने से पहले वापस आकर सो जाती थी। किसी तरह परिवार वालों को मनाकर 2017 में घर से बाहर खेलने निकली। 

स्कूल, ब्लॉक, मंडल तक प्रथम स्थान मिला। हालांकि, लखनऊ में हुई राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में अंतिम पायदान पर रही। खूब हताशा हुई और गुस्सा भी आया, लेकिन जीत का जुनून सवार हो गया। दोपहर में ही दौड़ने निकल जाती थी। पैर दर्द करने पर गर्म पानी से सेकाई करती थी। तैरकर गंगा पार कर लेती थी। उस पार रेती पर जाकर तरबूज खाती थी। 

बताया कि उन्हें चना बहुत पसंद है। जब भी गांव जाती थीं चना लेकर आती थीं। वाराणसी आने पर पहली बार सिगरा स्टेडियम देखा। एक फुटबॉल खिलाड़ी से मिली तो उन्होंने एथलेटिक्स कोच चंद्रभान यादव से मिलवाया, उन्होंने काफी मदद की। स्टेडियम के बाहर एक दुकान से रोज दो केले और जूस का प्रबंध किया। इसके बाद जूनियर होने के बावजूद सीनियर वर्ग में प्रतिभाग करने लगी। पता चला कि मैराथन खेलने पर पैसे मिलते हैं।


जीत के पैसों से खरीदे जूते, घर वालों के लिए कपड़े
तामसी ने बताया कि नेहरू स्टेडियम में जीत के बाद पैसे मिले तो खुद के लिए जूते और घर वालों के लिए कपड़े खरीदे। एक सप्ताह बाद रांची में 21 किलोमीटर दौड़ में दूसरा स्थान हासिल किया। फिर एक लाख रुपये मिले। इसके बाद रानीखेत आ गई। टाटा नगर में 10 किलोमीटर में पहला स्थान मिला। 

51 हजार रुपये और 50 हजार का गिफ्ट बाउचर मिला। पता नहीं था कि बाउचर क्या होता है। ऐसे में जानने वाले सामान लेकर उन्हें पैसे दे देते थे। गुजरात में सीनियर वर्ग में नेशनल खेला। जीतने पर एक लाख ग्यारह हजार रुपये मिले। 2020 में लॉकडाउन लग गया। 

उत्तराखंड में बाहर रहना और खाना महंगा था। वाराणसी लौट आई। एथलीट रानी यादव के साथ बरेका में अभ्यास करने लगी। पुलिस से बचते बचाते सुबह चार बजे दौड़ने जाती थी।

2017 में जीती साइकिल, डर से घर नहीं लाई
तामसी ने बताया कि 2017 में बरेका में दौड़ प्रतियोगिता में पहला स्थान जीता था। इनाम में एक साइकिल और 1500 रुपये मिले थे। घर वालों की डर से साइकिल घर लेकर नहीं ले गई। सहेली को साइकिल और 500 रुपये भी दिए। तीन दिन तक किसी को नहीं बताया, बाद में नहीं रहा गया तो परिजनों को बताया। घर वाले नाराज हुए, लेकिन बाद में मान गए। साथ ही साइकिल घर लाने की अनुमति दी। हमेशा प्रतियोगिताओं में बेस्ट थ्री में ही रहती थी।


Credit By Amar Ujala

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