यूपी- बागपत में थी परवेज मुशर्रफ की आखिरी निशानी, अब खत्म होगा नामोनिशान – INA

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का जल्द ही भारत की जमीन से पूरी तरह से नामोनिशान मिटने वाला है. परवेज के परिवार की जमीन अभी भी यूपी के बागपत जिले के एक गांव में मौजूद है जिसे प्रशासन ने पहले ही शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया था. अब जल्द ही उस जमीन की नीलामी की प्रक्रिया पूरी की जाएगी. फिलहाल नीलामी आधी जमीन की होगी इसके बाद बाकी जमीन को भी नीलाम किया जाएगा.

बागपत जिले के बड़ौत थाना क्षेत्र में कोताना गांव है, यह गांव मुशर्रफ का पुस्तैनी गांव है जहां पर उसके परिवार की जमीन आज भी मौजूद है. प्रशासन ने इस जमीन को काफी वक्त पहले ही शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया था. इसकी नीलामी की प्रोसेस शुरू कर दी गई है जिसमें 5 सितंबर तक पूरा कर लिया जाएगा. परवेज मुशर्रफ के पिता मुशर्रफुद्दीन और उनकी मां बेगम जरीन इसी कोताना गांव के रहने वाले थे. दोनों की शादी भी यहीं हुई थी. इसके बाद दोनों दिल्ली जाकर बस गए थे.

दिल्ली में रहने लगा परिवार

इसके बाद मुशर्रफुद्दीन और बेगम जरीन कोताना से दिल्ली जाकर रहने लगे थे. वहीं पर दोनों ने अचल संपत्ति खरीदी थी. 1943 में दिल्ली जाने के बाद परवेज मुशर्रफुद्दीन के यहां मुशर्रफ और उनके छोटे भाई जावेद का जन्म हुआ था. इसके बाद जब 1947 में भारत-पाकिस्तान का विभाजन हुआ था तो वह मुशर्रफुद्दीन का परिवार पाकिस्तान चला गया था. दिल्ली में उनकी हवेली के साथ-साथ कोताना भी उनकी जमीन मौजूद रही. परवेज मुशर्रफ के नाम की जमीन यहां पर पहले ही बेच दी गई थी. हालांकि परवेज के भाई जावेद मुशर्रफ और बाकी परिजनों की की सदस्यों 10 बीघा के आस-पास जमीन बच गई थी.

अब जमीन होगी दूसरे के नाम

वहीं कोताना में एक हवेली भी है जो कि उनके चचेरे भाई हुमायूं के नाम हो गई. प्रशासन ने परवेज मुशर्रफ के भाई जावेद और उनके परिजनों की जमीन को 15 साल पहले ही शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया था. अब जाकर नीलामी की कार्यवाही की जा रही है. परवेज के परिवार की जमीन बांगर और खादर में दर्ज की गई है. बांगर की जमीन वह जमीन होती है जो नदी तट से दूर होती है और बाढ़ की चपेट में नहीं आती जबकि खादर की जमीन वह होती है जो नदी के पास की होती है और बाढ़ की चपेट में आ सकती है. प्रशासन की ओर से पहले बांगर की जमीन की नीलामी शुरू की जा रही है. जो कि 5 सितंबर तक पूरी हो जाएगी. इसके लिए 37.5 लाख रुपये की मिनिमम बोली लगाई गई है. नीलामी के बाद रिकॉर्ड में संपत्ति को लेने वाले शख्स का नाम चढ़ाया जाएगा.


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