यूपी- पत्नी जज, भाई IAS और पिता रिटायर्ड अफसर… बेटे की जान की कीमत लगी 10 हजार, डिप्टी डायरेक्टर के डूबने की पूरी कहानी – INA
अगर आपसे पूछा जाए कि आपकी जान की कीमत क्या है तो शायद आपको जवाब सोचने के लिए सैकड़ों साल भी कम पड़ जाएंगे. लेकिन, अगर आपसे कहा जाए कि किसी की जान की कीमत महज 10 हजार रुपये है तो आप क्या कहेंगे. अरे, रुकिए कुछ सोचने से पहले आपको बता दें कि जिसकी जान की कीमत बताई जा रही है वह स्वास्थ्य विभाग में डिप्टी डायरेक्टर थे, उनकी पत्नी जज हैं, उनके चचेरे भाई आईएएस हैं, उनके पिता बड़े सरकारी पद से रिटायर हो चुके हैं और उनकी बहन ऑस्ट्रेलिया में रहती हैं. इसके बाद भी उनकी जान की कीमत महज 10 हजार रुपये. अब आप भी सोच में पड़ गए हैं न कि मामला हद से ज्यादा संगीन है.
जी हां, बात है शनिवार सुबह की जब वाराणसी में स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर आदित्य वर्धन सिंह अपने दोस्तों के साथ कानपुर जिले के नानामऊ गंगा घाट पर सुबह का अर्घ्य देने के लिए पहुंचे थे. पुलिस के मुताबिक डिप्टी डायरेक्टर अर्घ्य देते हुए फोटो क्लिक करवाना चाहते थे. डिप्टी डायरेक्टर एक अच्छे तैराक थे जिसकी वजह से वह सेफ्टी निशान को पार करके और गहरे पानी में चले गए. पानी में जाते ही उन्हें गंगा नदी की लहरों में बने स्ट्रॉन्ग करेंट ने जकड़ लिया जिसे वह संभाल नहीं पाए और बह गए. गंगा नदी में ढूंढने के लिए अभी भी रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है जिसमें तीन दिन बाद भी प्रशासन के हाथ खाली हैं.
गोताखोरों ने रख दीं शर्तें
इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा सवाल उन जिम्मेदारों पर उठ रहे हैं जिन्हें देखकर हमारे देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में लोग पानी से डरते नहीं हैं. नदी का किनारा हो या समंदर की लहरें, सभी जगह पर लाइफ गार्ड्स की एक अहम भूमिका है. लाइफ गार्डस चाहे सरकारी हों या प्राइवेट उनका पहला काम लोगों की जान बचाना है क्योंकि उससे कीमती और कुछ नहीं. हॉलीवुड की मूवी ‘बेवॉच’ भी यही मैसेज देती है. लेकिन नानामऊ घाट पर मौजूद लाइफ गार्ड्स या यूं कहें प्राइवेट गोताखोरों के लिए यह सब किसी सौदे की तरह है. सौदा भी ऐसा जिसमें बिना एडवांस के कोई काम नहीं होता. एडवांस वो भी कैश. डिप्टी डायरेक्टर जब डूब रहे थे तो उनके दोस्त पास में मौजूद गोताखोरों के पास पहुंचे. उन्होंने डिप्टी डायरेक्टर को बचाने के लिए मिन्नतें की. बार-बार उनकी जान बचाने के लिए कहते रहे लेकिन गोताखोरों ने अपनी तरफ से डील बता दी और शर्तें भी.
दोस्त को बचाना है तो लाओ 10 हजार
गोताखोरों की डील ये थी कि उन्हें डिप्टी डायरेक्टर आदित्य वर्धन सिंह को बचाने के लिए 10 हजार रुपये चाहिए. 10 हजार रुपये वो भी कैश. उनके दोस्तों ने कहा कि 10 हजार उनके पास कैश नहीं है लेकिन उन्हें मिल जाएंगे. लेकिन, गोताखोर नहीं माने. आखिर में उनमें से ही एक गोताखोर ने ऑफर की शर्त बदली और कहा कि परचून की दुकान पर ऑनलाइन पे कर दीजिए. दोस्तों ने तुरंत परचून की दुकान पर ऑनलाइन 10 हजार रुपये ट्रांसफर किए. हालांकि तब तक बहुत देर हो चुकी थी. गोताखोरों ने गंगा के खूब चक्कर लगाए लेकिन वह डिप्टी डायरेक्टर को नहीं ढूंढ पाए.
बच सकती थी जान
हो सकता है कि अगर समय रहते सब कुछ तय हो जाता और जरूरी कदम उठा लिए जाते तो आदित्य वर्धन सिंह की जान बचाई जा सकती थी. आदित्य वर्धन सिंह के दोस्तों ने गोताखोरों पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. इस वाद-विवाद से आदित्य वर्धन सिंह की जान वापस नहीं आ सकती. इसलिए इन बातों के मायने उनके परिवार के लिए फिलहाल नहीं है. हालांकि इस मामले में पुलिस की ओर से कहा गया है कि गोताखोरों ने स्टीमर में फ्यूल डलवाने के लिए पैसे मांगे थे. आदित्य वर्धन सिंह के दोस्तों ने जो आरोप लगाए उनकी जांच की जाएगी और कोई दोषी निकलता है तो उस पर कार्रवाई होगी.
पिता बड़े अफसर रह चुके, भाई IAS
शनिवार सुबह से लेकर सोमवार शाम तक डिप्टी डायरेक्टर आदित्य वर्धन सिंह का पता नहीं चल सका है. उनके दोस्तों के मुताबिक वह गंगा की लहरों में ही गुम हो गए थे. वह धार्मिक थे इस वजह से दोस्तों के साथ सुबह का अर्घ्य देने का प्लान बनाया था. उनके परिवार की बात करें तो आदित्य वर्धन सिंह उर्फ गौरव एक प्रतिष्ठित परिवार से हैं. उनका परिवार लखनऊ के इंदिरानगर में रहता है और उनके पिता रमेशचंद्र सिंचाई विभाग में बड़े पद से रिटायर हुए हैं. रिटायर होने के बाद ही लखनऊ में उन्होंने मकान बनवाया था. आदित्य की पत्नी श्रेया महाराष्ट्र में जज हैं और उनके चचेरे भाई आईएएस बताए जा रहे हैं. आदित्य वर्धन सिंह की बहन प्रज्ञा ऑस्ट्रेलिया में सेटल हैं और उन्हीं के साथ आदित्य वर्धन के माता-पिता रहते हैं.
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