खबर शहर , AMU: 28 साल पहले, एएमयू प्रोफेसर के नेतृत्व में शुरू हुआ था ऑपरेशन भेड़िया, 10 खूंखार भेड़ियों को मारा गया – INA

28 साल पहले भी बहराइच और पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी भेड़ियों का आतंक था और 130 से ज्यादा बच्चों को शिकार बना लिया था। लोगों में भारी गुस्सा था, जिसे देख सरकार ने ऑपरेशन भेड़िया शुरू किया। इसकी अगुवाई एएमयू के वन्य जीव विज्ञान के प्रो सतीश कुमार ने की थी। इस दौरान 10 खूंखार भेड़ियों को मारा गया था।

प्रो. सतीश कुमार ने बताया कि वर्ष 1992-1995 तक महाराष्ट्र के सोलापुर में भेड़ियों के रहन-सहन, खान-पान से लेकर प्रजनन पर शोध किया था। इसके लिए यूजीसी से अनुदान मिला था। उन्होंने कहा कि शोध में पाया गया कि भेड़ियों की संख्या में गिरावट आ रही है। काला हिरन, चिंकारा और जंगली खरगोश का शिकार कर भेड़िये अपना पेट भरते हैं। कंक्रीट जंगल बनने से भेड़िये आबादी में रुख करते हैं, क्योंकि उनके पास न तो रहने के लिए जंगल और न ही खाने के लिए हिरन या खरगोश होते हैं। वर्ष 1940 में भेड़ियों की संख्या हजारों में थी, लेकिन खेती-बाड़ी बढ़ने से वह कम होने लगे। गंगा के किनारे बड़ी घास में जिसे वह गुफा बनाकर रहते थे वह धीरे-धीरे खत्म हो गया। जिसके वजह से भेड़ियों की संख्या कम हुई।

भेड़ियों को पकड़ने वाली टीम में थे प्रो. सतीश

प्रो. सतीश ने बताया कि वर्ष 1996-2022 तक जौनपुर, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, बहराइच सहित अन्य जिलों में भेड़ियों ने 130 से ज्यादा बच्चों को शिकार बनाया था। लोगों का गुस्सा सातवें आसमां पर था। उनके वाहन पर भी लोगों ने हमला किया था, क्योंकि वन विभाग की टीम ने भेड़ियों को पकड़ने की टीम में उन्हें शामिल किया था। उस दौरान पांच खूंखार भेड़िये मारे गए थे। इसी तरह 2006 बहराइच में भेड़िये का आतंक था, जिसमें उनकी सलाह पर दो भेड़िये पकड़े गए थे।

बालों से होती है पहचान


प्रो. सतीश ने बताया कि जब कोई जानवर किसी पर हमला करता है तो उसके बाल शरीर पर चिपक जाते हैं। उसी से माइक्रोस्कोप के जरिये पता लगाया जाता है कि हमलावर कौन सा जानवर था।

वुल्फ डॉग का वजूद
प्रो. सतीश ने बताया कि बात वर्ष 2002 की है, जब जालौन और गाजीपुर में लोगों ने नर भेड़िये को पिंजड़े में कैद रखा था। जानकारी पर वह संबंधित इलाके पहुंचे तो लोगों ने बताया कि नर भेड़िया और कुतिया से क्रॉस ब्रीडिंग कराते हैं, तो वुल्फ डॉग का वजूद सामने आता है। इससे खेत की रखवाली कराते थे, क्योंकि वह बहुत ही आक्रामक होता है। मालिक से छूटने के बाद यह तबाही मचा देता है।

पुनर्वास का इंतजाम हो
प्रो. सतीश ने बताया कि भेड़िये लुप्त हो रहे हैं। इनके पुनर्वास के लिए सरकार की तरफ से व्यवस्था होनी चाहिए। कंक्रीट जंगल का दखल वनों के जंगल की तरफ नहीं होना चाहिए।

मध्यप्रदेश से आते हैं यूपी में भेड़िये
प्रो. सतीश ने बताया कि यूपी में इस समय भेड़ियों की संख्या 8-10 हो सकती है। ये भेड़िये मध्यप्रदेश के रीवा से आ जाते हैं, क्योंकि वहां भेड़ियों की संख्या ज्यादा है।


Credit By Amar Ujala

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