यूपी- क्या फर्जी OBC सर्टिफिकेट पर बेटे का करवाया एडमिशन? सवालों के घेरे में गोरखपुर एम्स के डायरेक्टर – INA

मरीज के बेहतर इलाज के लिए गोरखपुर जिला मुख्यालय में स्थित एम्स का विवादों से नाता नहीं टूट रहा है. पटना एम्स के निदेशक डॉ. जीके को यहां का दायित्व सौंपा गया था. आरोप है कि उन्होंने अपने बेटे को ओबीसी कोटे में पीजी कोर्स के लिए दाखिला दिलवा दिया, लेकिन जैसे ही मामला सोशल मीडिया पर तूल पकड़ने लगा तो उन्होंने आनन-फानन में बेटे का प्रवेश रद्द करवा दिया. मामला अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा तक पहुंच गया है.

हालही में पूर्व कार्यकारी निदेशक डॉ. सुरेखा किशोर ने भी अपने दो बेटों को रेजिडेंट डॉक्टरों के पद पर नियुक्त कर दिया था. इसके बाद उनके ऊपर आरोप लगा कि उन्होंने बिना ड्यूटी कराए ही बेटों को सैलरी दी है. बीते जनवरी महीने में वो मामला तूल पकड़ने लगा तो उनको पद से हटा दिया गया. उनको पद से हटाने के बाद ही डॉ. जीके को पदभार दिया गया था, अब उनपर भी इसी तरह के आरोप लगे हैं.

90 लाख की आय को बताया 8 लाख

पटना एम्स के निदेशक डॉक्टर जीके पाल के पास गोरखपुर एम्स का भी प्रभार है. आरोप है कि उन्होंने अपने बेटे डॉक्टर औरव प्रकाश पाल का माइक्रोबायोलॉजी विभाग में पढ़ाई के लिए बतौर जूनियर रेजिडेंट पीजी कोर्स में प्रवेश दिलवाया था. साथ ही कोटे से दाखिले के लिए उन्होंने ओबीसी सर्टिफिकेट पटना से बनवाया. जानकारी सामने आई है कि सर्टिफिकेट को बनवाने में उन्होंने अपनी सालाना आय आठ लाख रुपए से कम दिखाई थी और खुद को क्रीमीलेयर से बाहर दिखाया था. डॉ. जीके पाल खुद दो एम्स के डायरेक्टर हैं और डॉक्टर औरव की मां भी पुदुचेरी में प्रोफेसर हैं. इस तरह औरव के माता-पिता की कुल आय करीब 90 लाख के आसपास पहुंच जाती है. बावजूद इसके उन्होंने क्रीमीलेयर से अपने आप को बाहर बताते हुए बेटे का दाखिला करवाया था.

अब उठ रहे हैं कई सवाल

जैसे ही इस मामले ने तूल पकड़ा तो डायरेक्टर जीके ने कहना शुरू कर दिया कि बेटे की माइक्रोबायोलॉजी विषय की पढ़ाई में कोई रुचि नहीं थी इसलिए नाते उन्होंने उसका दाखिला रद्द करवा लिया. लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर सबकुछ ठीक था तो दाखिले के दो दिनों के बाद ही क्यों उसे रद्द करवा दिया गया? इतनी हड़बड़ी में प्रवेश रद्द क्यों करवाया गया? साथ ही अब जो सीट खाली हुई हैं उस पर किसकी नियुक्ति की जाएगी? इसके पहले डॉक्टर सुरेखा किशोर गोरखपुर एम्स की डायरेक्टर थी. उन पर भी अपने दो बेटों की तैनाती को लेकर के गंभीर आरोप लगे थे.


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