यूपी – Kanpur: आपके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा दर्ज है… झांसे में लेकर एनआरआई डॉक्टर से 80 लाख ठगे – INA

कानपुर में काकादेव के देवकी नगर में रहने वाले 85 वर्षीय एनआरआई डॉ. रमेशचंद्र टंडन से 80.86 लाख रुपये की ठगी हो गई। साइबर ठगों ने मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा दर्ज होने का झांसा देकर उन्हें अपने झांसे में ले लिया और आठ दिनों तक अलग-अलग समय में डिजिटल अरेस्ट रखा। व्हाट्सएप पर सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन, भारत सरकार के नाम से एक पत्र भी भेजा। इसमें ऑफिस इंचार्ज के रूप में राहुल यादव (आईपीएस) और इन्वेस्टिगेशन यूनिट में विराज कुमार के हस्ताक्षर थे। इससे दहशत में डॉ. टंडन ने रुपये ट्रांसफर कर दिए थे। ठगों ने जब अमेरिका के सिटी बैंक में जमा धनराशि भी कानपुर के एसबीआई खाते में ट्रांसफर करा लेने की बात कही, तब उन्हें ठगी का एहसास हुआ। इसके बाद उन्होंने शनिवार को साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई।

भतीजे डॉ. संजय टंडन ने बताया कि उनके चाचा अमेरिका में डॉक्टर थे। कुछ समय से उनके पास ही हैं। भतीजे के मुताबिक 25 अगस्त को उनके चाचा के मोबाइल पर व्हाट्सएप कॉल आई। सामने वाले ने खुद को अजय कुमार बंसल बताते हुए कहा कि आपके खिलाफ भारत सरकार की ओर से इंटरनेशनल मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज हुआ है। इसकी जानकारी देने के लिए उसे अधिकृत किया गया है। पुष्टि के लिए उसने सीबीआई की एक पीडीएफ भी भेजी। इससे दहशत में आए डॉ. रमेशचंद्र टंडन ने बताए गए खाते में कई बार में 80.86 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।

आरबीआई गवर्नर बनकर ठगी करने की कोशिश


आरबीआई गवर्नर शशिकांत दास बोल रहा हूं… मिस्टर यादव के निर्देशों का पालन नहीं करोगे तो संपत्ति जब्त कर लेंगे

भतीजे डॉ. संजय टंडन ने बताया कि जालसाजों ने चाचा से अमेरिका की सिटी बैंक में जमा धनराशि भी ट्रांसफर करने को कही। ऐसा न करने पर चाचा के फोन पर दोबारा कॉल आई। तब सामने वाले ने खुद को आरबीआई गवर्नर शशिकांत दास बताते हुए कहा कि आप मिस्टर यादव के दिए गए निर्देशों का पालन नहीं करेंगे, तो आपकी संपूर्ण चल-अचल संपत्ति सीबीआई जब्त कर लेगी। डॉ. संजय ने बताया कि अमेरिका की सिटी बैंक में जमा धनराशि एसबीआई कानपुर में ट्रांसफर करने की कोई प्रक्रिया नहीं है। इस पर उन्हें संदेह हुआ। इसी बीच दोबारा राहुल यादव ने फोन कर 50 प्रतिशत धनराशि की ट्रांसफर कर लेने का दबाव बनाया तो उन्हें ठगी का पता चला। इसके बाद पुलिस कमिश्नर से मुलाकात की। उनके आदेश पर रिपोर्ट दर्ज की गई है।
 

ठगों और चाचा-भतीजे से बातचीत के अंश


26 अगस्त : आपका खाता वेरिफाई किया जाना है, बैंक जाना होगा
25 के बाद 26 अगस्त को डॉ. रमेश के मोबाइल पर दोबारा व्हाट्सएप कॉल आई। कॉल करने वाले शख्स ने कहा कि आपका बैंक एकाउंट वेरिफाई किया जाना है। इस संबंध में आपको बैंक जाना होगा। इस पर उन्होंने कहा कि मैं चलने-फिरने में असमर्थ हूं। मेरे भतीजे डॉ. संजय टंडन का ज्वाइंट अकाउंट है। बैंक का सारा कामकाज वही देखते हैं। इसके बाद जालसाजों डॉ. संजय टंडन का नंबर ले लिया।

27 अगस्त : फोन मत काटना, बैंक पहुंचो… ट्रांसफर करा लिए 25.43 लाख
जालसाज ने भतीजे डॉ. संजय टंडन को कॉल कर कहा कि फोन मत काटना और बैंक पहुंचो। इस दौरान आरबीआई का भी एक पत्र भेजा। कहा कि जब तक जांच होगी, यह रकम सरकार की अंडर टेकिंग में रहेगी। इसके बाद जमा धनराशि का 30 प्रतिशत 25 लाख 43 हजार रुपये विन पाॅवर एनर्जी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड में चेक से जमा कराया।


28 अगस्त : अशोक की लाट लगा लेटर भेजकर फिर ट्रांसफर कराए रुपये
28 अगस्त को फिर से भतीजे को कॉल की। भारत सरकार यानी अशोक की लाट लगा लेटर जारी करके फिर से जमा धनराशि का 30 प्रतिशत 25 लाख 43 हजार रुपये फ्रोजेनमन वेयर हाउसिंग एंड लॉजिस्टिक के चालू खाते में जमा कराया।

29 अगस्त : सीबीआई और एफबीआई के नाम का भेजा पत्र
फिर से भतीजे को कॉल कर 30 लाख रुपये चेक से ट्रांसफर कराए। इसके बाद 30 अगस्त को सीबीआई और एफबीआई के नाम पर जांच पत्र जारी किया। ठगों ने विश्वास जमाने के लिए 80.86 लाख में से 2.70 लाख रुपये मेडिकल अलाउंस के नाम पर वापस भी किए।

तीन सितंबर : अमेरिका की बैंक में जमा धन का 50 प्रतिशत मांगा
संजय टंडन ने बताया कि तीन सितंबर को फिर से ठगों की व्हाट्सएप कॉल आई। कॉल करने वाले ने अमेरिका सिटी बैंक में जमा 50 प्रतिशत धन मंगाने का प्रयास किया। धमकाते हुए कहा कि ऐसा नहीं करने पर आपके 80 लाख रुपये आरबीआई जब्त कर लेगी।


क्या होता है डिजिटल अरेस्ट
साइबर ठग पीड़ित को झांसे में लेकर उससे लगातार वीडियो या व्हाट्सएप कॉल से जुड़े रहते हैं। इस दौरान पीड़ित को कमरे में बंद रखने, किसी से बात न करने के लिए रजामंद कर लेते हैं। इससे पीड़ित कहीं शिकायत नहीं कर पाता।

बचाव के लिए क्या करें
– कोई फोन कर इस तरह ठगने का प्रयास करे तो कॉल काटकर तत्काल स्थानीय थाने में शिकायत करें।
– कॉल करने वाले नंबरों के कंट्री कोड अवश्य चेक करें कि कहीं वे भारत से बाहर के तो नहीं।
– किसी भी अनजान व्यक्ति द्वारा बताए गए या भेजे गए किसी भी एप या लिंक पर क्लिक करने से बचें।
– साइबर अपराध की स्थिति में डायल 112, 1930 या फिर नेशनल क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराएं।


Credit By Amar Ujala

Back to top button