यूपी – मुश्किल में सफर: कोच नए… रिजर्वेशन का सिस्टम पुराना, बुजुर्ग यात्रियों को नहीं मिल रही लोअर बर्थ – INA

रेलवे ट्रेनों में पुराने कोच हटाकर नए कोच लगा रहा है, लेकिन कई ट्रेनों के नए कोच रिजर्वेशन सिस्टम पर अपडेट न होने का खामियाजा बुजुर्ग यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। बुजुर्ग यात्री लोअर बर्थ की मांग करते हैं। रेलवे की प्राथमिकता में भी बुजुर्गों को लोअर बर्थ आवंटन है, लेकिन कोचों में बर्थ की संख्या कम-ज्यादा होने के कारण सीटों का आवंटन गड़बड़ा रहा है।

लंबी दूरी की ट्रेनों में कन्फर्म टिकट के लिए मारामारी रहती है। रेलवे ने ज्यादातर ट्रेनों में आईसीएफ के स्थान पर एलएचबी रैक लगा दी है। एलएचबी कोच में आईसीएफ के मुकाबले सीटों की संख्या ज्यादा होती है। यात्रियों का दबाव बढ़ने पर ट्रेनों में अतिरिक्त कोच भी जोड़े जा रहे हैं। किसी कोच में सीटों की संख्या 42 तो किसी में 46 से 48 तक होती है। इन कोचों को भी रिजर्वेशन सिस्टम पर अपटेड नहीं किया जा रहा। इस कारण रिजर्वेशन सिस्टम के तहत यात्रियों को लोअर की जगह अपर बर्थ मिल रही है।

नए कोचों में सीटों की संख्या ज्यादा होने के कारण बर्थ नंबर ऊपर-नीचे हो जाते हैं। जैसे किसी यात्री को 21 नंबर बर्थ आवंटित हुई है। पुराने कोच में यह लोअर बर्थ होती है, लेकिन नए कोच में अपर बर्थ हो जाती है।


ये है कारण
नए कोच में बर्थ प्लान आठ कूपे के एसी-3 से एकदम अलग है। कई ट्रेनों में रिजर्वेशन सिस्टम में पुराने के थ्री टायर कूपे के अनुसार ही बर्थ आवंटन कर रहा है। नए कोच में 10 कूपे होते हैं। इस कारण इसमें सीटों की संख्या बढ़कर 80 हो जाती है। इससे आवंटन के समय बर्थ कई बार नीचे की ऊपर और ऊपर की नीचे होती है। 

यात्रियों की बात
सुनील कुमार सिंह ने बताया कि पिछले दिनों बरेली से ट्रेन से वाराणसी गए थे। लोअर बर्थ आवंटित हुई, लेकिन ट्रेन में पहुंचने के बाद पता लगा कि वह लोअर नहीं अपर बर्थ है। टीटीई ने बताया कि कोच बदलने के कारण ऐसा हुआ है।

मुन्नी देवी ने कहा कि बरेली से दिल्ली की यात्रा के लिए दो महीने पहले रिजर्वेशन करा दिया था। कन्फर्म टिकट भी मिल गया। ट्रेन रात में थी। यात्रा के दौरान अपर बर्थ पर चढ़ने में समस्या होने पर एक यात्री से बर्थ बदलनी पड़ी। 
 


क्यों होता है ऐसा 
मुख्य वाणिज्य निरीक्षक राजेश सिंह ने बताया कि जहां ट्रेन का प्राइमरी मेंटीनेंस स्टेशन होता है और ट्रेन ओरिजनेट होती है वहां से बर्थ को लेकर इस तरह की बात सामने आती हैं। कई बार ट्रेनों में 42 के स्थान पर 46 या 46 के स्थान पर 42 बर्थ और 72 के स्थान पर 80 बर्थ का कोच लगाए जाने से ऐसे मामले सामने आते हैं। शिकायत मिलने पर इसे दूर कर लिया जाता है। 


Credit By Amar Ujala

Back to top button