खबर शहर , हाईकोर्ट ने पूछा : मृतक के खिलाफ पुलिस ने कैसे दर्ज किया डकैती का मुकदमा – INA

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माॅब लिंचिंग (भीड़ हिंसा) में मारे गए फरीद उर्फ औरंगजेब के भाई मो.जकी की गिरफ्तार रोक लगा दी है। साथ ही सरकार से पूछा है कि घटना के 11 दिन बाद मृतक के खिलाफ पुलिस ने डकैती का मुकदमा का कैसे दर्ज किया। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने फरीद के भाई माे.जकी याचिका पर अधिवक्ता तनीषा जहांगीर मुनीर को सुनकर दिया।

मामला अलीगढ़ के गांधी पार्क थाना क्षेत्र के मामू-भांजा कॉलोनी की चर्चित मॉब लिंचिंग की घटना का है। 18 जून की रात भीड़ हिंसा में मारे गए फरीद के परिवार ने पहले मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप लगाया गया था कि मोहम्मद फरीद 18 जून को काम से घर लौट रहा था। मामू-भांजा इलाके में चोरी के संदेह में कुछ लोगों ने घेरकर उसकी पिटाई कर दी।

पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन फरीद गंभीर रूप से घायल हो चुका था। उसे मलखान सिंह अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। इसके बाद घटना के वायरल वीडियो व सीसीटीवी फुटेज के आधार पर भाजपा नेता अकिंत वार्ष्णेय समेत कई अन्य को आरोपी बनाया गया। इस पर बाजार में जमकर बवाल हुआ था।


11 दिन बाद मृतक समेत नौ पर दर्ज हुआ मुकदमा
 

घटना के 11 दिन बाद माॅब लिंचिंग के आरोपियों के परिवार की लक्ष्मी मित्तल ने पलटवार करते हुए मृतक मो.फरीद उर्फ औरंगजेब समेत नौ के खिलाफ महिलाओं से छेड़छाड़ और डकैती की धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराई। आरोप लगाया है कि 18 जून की रात को फरीद (35) ने उसके घर में घुसकर छेड़छाड़ करने की कोशिश की। साथ ही उसने घर से कीमती सामान भी लूट लिया। लक्ष्मी मित्तल ने इस शिकायत में मो.फरीद,उसके भाई मोहम्मद जकी और छह अन्य का भी नाम लिया है।
 
कहा कि जब उसके परिवार के सदस्य उसे बचाने के लिए दौड़े तो उन्होंने आरोपियों को वहां से भगाया। इसी दौरान फरीद का संतुलन बिगड़ गया और वह सीढ़ियों से नीचे गिर गया, जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस ने इस शिकायत के आधार पर मो. फरीद, उसके भाई मो.जकी और अन्य आरोपियों के खिलाफ छेड़छाड़-डकैती की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। इसके खिलाफ मो.जकी ने एफआईआर रद्द कराने और गिराफ्तारी पर रोक लगाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।


वकील की दलील…जवाबी कार्रवाई में पीड़ितों पर दर्ज किया गया मुकदमा

याची की अधिवक्ता तनीषा जहांगीर मुनीर ने दलील दी कि यह जवाबी कार्रवाई का मामला है। हत्यारोपियों को बचाने के लिए मृतक व उसके परिजनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। 11 दिन बाद मुकदमा दर्ज करते वक्त पुलिस ने यह भी ध्यान नहीं दिया कि फरीद उर्फ औरंगजेब की मॉब लिंचिंग में मौत हो चुकी है। कोर्ट ने मामले को विचारणीय मानते हुए याची की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। साथ ही हैरानी के साथ सरकार से पूछा कि 11 दिन पहले मारे जा चुके फरीद के खिलाफ डकैती का मुकदमा कैसे दर्ज किया गया।


Credit By Amar Ujala

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