खबर शहर , Agra News: जच्चा-बच्चा के लिए नहीं मिली एंबुलेंस, परेशान रहे परिजन – INA
मैनपुरी। एक साल तक नवजात की देखभाल के लिए 102 सेवा के तहत निशुल्क एंबुलेंस की सुविधा का शासनादेश है। जिले में इसका पालन नहीं हो पा रहा है। बुधवार को जच्चा-बच्चा को एंबुलेंस नहीं मिल सकी। पीडि़त परिवार को टेम्पो से जच्चा-बच्चा को अस्पताल ले जाना पड़ा। लौटते समय भी से शिकायत की बात कहने के बाद एंबुलेंस मिल सकी।
नगर के कीरतपुर कालोनी निवासी सोनू कुमार की पत्नी सोनी ने पिछले सप्ताह पुत्र को जन्म दिया था। बुधवार को समस्या होने पर सौ शैय्या अस्पताल ले जाने के लिए स्वजन ने दोपहर 12 बजे 102 एंबुलेंस पर काल की तो उन्हें 15 मिनट में एंबुलेंस घर पहुंचने की बात बताई गई। आधा घंटा इंतजार करने के बाद जब एंबुलेंस नहीं पहुंची तो सोनू ने दोबारा काल की तो फिर 15 मिनट में एंबुलेंस आने को कहा। परंतु एक घंटा बीतने के बाद जब एंबुलेंस नहीं आई तो स्वजन ऑटो में बैठाकर सोनी को अस्पताल लेकर गए। यहां डाक्टर से इलाज दिलाने के बाद घर जाने के लिए फिर 102 पर काल की तो फिर वही जवाब दे दिया गया।
20 मिनट तक इंतजार के बाद जब एंबुलेंस नहीं आई तो स्वजन द्वारा अस्पताल में संचालित 102 हेल्प डेस्क पर जाकर कर्मचारियों से एंबुलेंस उपलब्ध कराने की मांग की, लेकिन कर्मचारी ने एंबुलेंस उपलब्ध न होने की बात कहते हुए टाल मटोल करने लगे। जबकि अस्पताल परिसर में उस समय तीन 102 और एक एएलएस एंबुलेंस खड़ी थीं। जब पीड़ित द्वारा मामले की शिकायत सीएमओ से करने की बात कही गई तो वहां मौजूद एक कर्मचारी ने एंबुलेंस से उन्हें घर भेज दिया। वहीं 102 एंबुलेंस कर्मियों द्वारा बरती जा रही लापरवाही के आए दिन कई मामले सामने आते रहते हैं। लोगों ने उच्चाधिकारियों से एंबुलेंस के रिस्पांस टाइम और कर्मचारियों द्वारा की जा रही मनमानी में सुधार कराने की मांग की है।
वर्जन
102 हेल्पलाइन पर काल करने के 15 मिनट के अंदर प्रसूता को एंबुलेंस उपलब्ध कराने के निर्देश हैं। अस्पताल में हेल्प डेस्क पर मौजूद कर्मचारियों द्वारा एंबुलेंस उपलब्ध कराने में लापरवाही बरती है तो ये गलत बात है। इसकी जांच कराई जाएगी।
-सचिन गंगवार, जिला प्रभारी 102 एंबुलेंस।