खबर शहर , UP News: जेल से रिहाई से ठीक पहले सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल की मौत, पोस्टमार्टम में नहीं खुला माैत का राज – INA

आगरा जिला जेल में निरुद्ध धोखाधड़ी के आरोपी सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल विजय तोमर की माैत का राज पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी नहीं खुल सका। डाॅक्टरों ने विसरा सुरक्षित रखा है। अब जेल प्रशासन कठघरे में है। परिजन का आरोप है कि झूठे मुकदमे में जेल भिजवाने के बाद भी साजिश कर हत्या की गई। 7 सितंबर को अपर पुलिस आयुक्त से शिकायत कर पहले ही जान का खतरा जता दिया था।

 


बुधवार को 3 डाक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया। वीडियोग्राफी भी की गई। प्रभारी एसीपी हरीपर्वत डॉ. सुकन्या शर्मा ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में माैत का कारण साफ नहीं हो सका है। विसरा की जांच विधि विज्ञान प्रयोगशाला में कराई जाएगी। रिपोर्ट आने पर स्थिति साफ होगी। उधर, मृतक की पत्नी डाॅ. अलका सिंह ने थाना हरीपर्वत में तहरीर दी है। इसमें साजिश के तहत हत्या का आरोप लगाया है। जेल प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। पुलिस जांच कर रही है।

 


व्यापारिक मामले में गलत आरोप लगाए
विजय तोमर के रिश्तेदार पूर्व डीआईजी सीआरपीएफ प्रताप सिंह ने बताया कि जिस कंपनी ने आरोप लगाया। उनसे उनकी कंपनी ने जूते लेकर सिक्किम पुलिस और अफ्रीकन देश घाना में सेना को सप्लाई किए थे। मगर, माल में कमी थी। इस कारण माल वापस हो गया। सिक्किम पुलिस की ओर से 70 लाख का भुगतान कर दिया गया। कंपनी को रकम दी गई। मगर, घाना का माल वेयर हाउस में पड़ा है। इसकी बिक्री की जानी है। इसके बाद ही भुगतान होता। फिर भी व्यापारिक मामले में गलत तरीके से मुकदमा दर्ज कराया गया।

 


पत्नी ने पहले ही जताया था खतरा
उधर, डाॅ. अलका सिंह ने 7 सितंबर को अपर पुलिस आयुक्त को प्रार्थनापत्र दिया था। इसमें कहा था कि पति और परिवार के सदस्यों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट में केस दर्ज करने की साजिश की जा रही है। उनके परिवार के जीवन पर खतरा है। थाना सिकंदरा में पति के खिलाफ दर्ज कराया केस उन्हें मजबूर करने के लिए दायर कराया, जबकि उन्होंने पहले ही एमएसएमई परिषद के समक्ष सिविल केस और नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंटस एक्ट की धारा 138 के तहत मामला दायर किया था, जो लंबित है। उन्होंने अपने प्रार्थना में कहा था कि अगर, उनके परिवार को कुछ होता है तो विपक्षी जिम्मेदार होंगे।
 


Credit By Amar Ujala

Back to top button