देश – संजौली मस्जिद विवाद में विरोध प्रदर्शन जारी, अब मौलाना मोहम्मद शफी कासमी ने दिया बड़ा बयान #INA

Shimla Sanjauli Masjid Case: हिमाचल प्रदेश के शिमला के संजौली में मस्जिद विवाद दिन-ब-दिन और बढ़ते ही जा रहा है, जिसके बाद अब ये मामला नगर निगम को सौंप दिया गया है. बता दें कि मस्जिद कमेटी ने इस मामले को लेकर गुरुवार को नगर निगम आयुक्त को ज्ञापन सौंपा है, इसलिए अब नगर निगम इस बढ़ते मुद्दे पर निर्णय लेगा कि मस्जिद के अवैध हिस्से को सील किया जाएगा या नहीं.

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मौलाना मोहम्मद शफी कासमी ने दी कड़ी प्रतिक्रिया 

वहीं इस मामले को लेकर अब शिमला की जामा मस्जिद के इमाम मौलाना मोहम्मद शफी कासमी ने एक बड़ा बयान दे दिया है, जिसके बाद हलचल और तेज हो गई है. उन्होंने कहा है कि, ”हमने नगर निगम को ज्ञापन में कहा है कि इस सीमावर्ती राज्य में भाईचारे (समुदायों के बीच) की बहुत आवश्यकता है. हम हमेशा से यहां सद्भावना के साथ रहते आए हैं, इसलिए इसे बनाए रखने के लिए… अगर मस्जिद का कोई हिस्सा अवैध है, तो हमें बताएं और हम खुद उसे हटाने के लिए तैयार हैं.” वहीं बता दें कि मुफ्ती मुहम्मद शफी कासमी के इस बयान से पूरे इलाके में हलचल मच गई है और उनका यह आरोप कि हिंदी और मुसलमानों के बीच भाईचारा खराब नहीं होना चाहिए, कई और सवालों को जन्म देता है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश जैसे सीमा राज्य में विभिन्न समुदायों के बीच भाईचारे की एक बड़ी आवश्यकता है, खासकर इस दौर में जब सांप्रदायिक सौहार्द्र को बनाए रखना बेहद जरूरी हो गया है.

आपको बता दें कि आगे मौलाना कासमी ने कहा, ”हमने अपने ज्ञापन में इस बात पर जोर दिया है कि इस क्षेत्र में हमेशा से भाईचारे की भावना से लोग साथ रहते आए हैं. इस सौहार्द्र को बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि सभी समुदाय आपस में मिल-जुल कर रहें और एक-दूसरे के धार्मिक स्थलों का सम्मान करें.”

जामा मस्जिद के हिस्सों पर उठ रहे सवाल 

उनके अनुसार, जामा मस्जिद की स्थिति और उसके कुछ हिस्सों पर सवाल उठाए जा रहे हैं, जिनमें से कुछ को अवैध बताया जा रहा है. इस संदर्भ में, मौलाना कासमी ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर मस्जिद का कोई हिस्सा अवैध पाया जाता है, तो वे खुद उसे हटाने के लिए तैयार हैं. उन्होंने अपने बयान में पारदर्शिता और सद्भावना की बात कही.

इसके अलावा आगे उन्होंने आगे कहा, ”अगर मस्जिद का कोई हिस्सा अवैध है, तो हमें सूचित करें। हम उसे खुद ही हटा देंगे. हमारा मकसद सिर्फ धार्मिक आस्थाओं को संरक्षित करना नहीं, बल्कि आपसी सौहार्द्र और भाईचारे को भी मजबूत करना है.”

आपको बता दें कि यह बयान ये दर्शाता है कि समुदाय के धार्मिक नेता, मौलाना कासमी, कानून के प्रति सम्मान रखते हैं और साथ ही शांति और सद्भाव को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं. उनका यह रुख यह संदेश देता है कि किसी भी तरह के विवाद का समाधान टकराव से नहीं, बल्कि बातचीत और सद्भाव से हो सकता है.



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