यूपी – मिट गया नामोनिशां: ढह गई 500 वर्ष पुरानी लोदी कालीन मस्जिद, बाबरी की तरह दिखती थी; नमाज अदा करने पर रही रोक – INA

उत्तर प्रदेश के आगरा में 500 साल पुरानी लोदी कालीन मस्जिद का नामोनिशान बारिश ने मिटा दिया। तीन दिन तक लगातार हुई बारिश में सिकंदरा में होली पब्लिक स्कूल के सामने बनी तीन गुंबदों वाली मस्जिद ढह गई। तीन में से दो गुंबद गिर गए हैं। तीसरा भी गिरने के कगार पर है। यह मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से संरक्षित नहीं थी, लेकिन इसे एडॉप्ट हेरिटेज स्कीम के तहत संरक्षण के लिए चुना गया था।

शनिवार को मस्जिद ढही। इस मस्जिद को आठ फीट ऊंचे फाउंडेशन पर बनाया गया था। इसमें तीन गुंबद थे। बीच का गुंबद बड़ा और किनारे के दो गुंबद छोटे आकार के थे। इसकी दीवारों पर लाइम पनिंग की गई थी, जबकि छत पर डायमंड कट प्लास्टर और डिजाइन बना हुआ था। बारिश के कारण ककैया ईंटों और चूने की यह इमारत गिर गई। इसके आसपास कई ठेल और स्टॉल लगने लगे थे, जिनमें एक खोखा क्षतिग्रस्त हो गया।


लोदी काल की चुनिंदा इमारतों में थी एक

वर्ष 1504 में सुल्तान सिकंदर लोदी ने आगरा में सिकंदरा को अपनी राजधानी बनाया था। सिकंदरा के आसपास लोदी काल की कई इमारतें नजर आती हैं। इनमें से एक थी नेशनल हाईवे के नजदीक लोदी कालीन मस्जिद, जो दूर से देखने में बाबरी मस्जिद की तरह नजर आती थी। 
 


साल 2002 में एएसआई के तत्कालीन अधीक्षण पुरातत्वविद केके मुहम्मद ने इसकी मरम्मत के लिए अडॉप्ट हेरिटेज स्कीम में रखा था। लेकिन, उनके तबादले के बाद इसका संरक्षण ही नहीं किया गया। 22 साल पहले यहां तत्कालीन संरक्षण सहायक डॉ. आरके दीक्षित ने निरीक्षण किया था। उन्होंने इसके संरक्षण के लिए होने वाले काम का ब्योरा भी दिया था।
 


नमाज के लिए हुआ था विवाद

इस मस्जिद में साल 2010 में तीन दिन तक जबरदस्त विवाद हुआ। कुछ लोगों ने यहां नमाज पढ़ने का प्रयास किया, जिस पर तत्कालीन जनप्रतिनिधियों के नेतृत्व में दूसरे पक्ष ने विरोध किया। इस पर यहां नमाज अदा करने से लोगों को रोक दिया गया। इसके बाद से इस मस्जिद में बंजारे ही रह रहे थे।
 


विरासत सहेजने की है जरूरत

एएसआई के पूर्व पुरातत्वविद डॉ. आरके दीक्षित के मुताबिक धरोहरों को सहेजने की जरूरत है। बेशक यह इमारत संरक्षित नहीं थी, लेकिन लोदी काल की वास्तुकला को समझने और मुगल काल में हुए बदलाव को जानने के लिए जरूरी थी। आगरा अप्रूव्ड गाइड एसोसिएशन अध्यक्ष शमशुद्दीन के मुताबिक लोदी काल की मस्जिद का गिरना बेहद चिंताजनक है। नई पीढ़ी को इतिहास, वास्तुकला समझने के लिए ऐसी धरोहरों की जरूरत है।


Credit By Amar Ujala

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