यूपी – UP: उम्र को पीछे छोड़ नए कीर्तिमान गढ़ रही यह जोड़ी, सिडनी मैराथन में भाग लेकर रच दिया इतिहास – INA
शौक कब आपको नई राह की ओर ले जाए, पता ही नहीं चल पाता। कुछ ऐसा ही कर गुजरने को बेताब हैं 65 साल के रिटायर्ड कर्नल बजरंग सिंह और 58 साल की उनकी पत्नी आशा सिंह। बीते रविवार इस जोड़ी ने सिडनी में एज ग्रुप वर्ल्ड मैराथन में भाग लेकर नया कीर्तिमान रच दिया।
मैराथन में जहां आशा ने महिलाओं की 55-60 आयुवर्ग में भाग लिया तो वहीं बजरंग 60-65 आयुवर्ग की मैराथन का हिस्सा बने। बतौर दंपति यह उनकी छठी वर्ल्ड मैराथन हैं। इससे पहले वे बोस्टन (17 अप्रैल 2023), न्यूयार्क (छह नवंबर 2022), शिकागो (नौ अक्तूबर 2022), लंदन (दो अक्तूबर 2022) और बर्लिन (24 सितंबर 2023) में आयोजित मैराथन में भाग ले चुके हैं। बजरंग और आशा सफलता के इस सिलसिले को जारी रखना चाहते हैं। उनका अगला लक्ष्य अगले साल पांच मार्च को होने वाली एशिया की सबसे बड़ी टोक्यो वर्ल्ड मैराथन में भाग लेना है।
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बुखार के बावजूद आशा ने नहीं हारी हिम्मत
प्रदर्शन की बात करें तो आशा अपने पति बजरंग से हमेशा दो कदम . रहीं। हालांकि उनकी इस सफलता में बजरंग ने कोच की भूमिका का निर्वहन करते हुए आशा को . बढ़ाया। सिडनी मैराथन के एक दिन पहले आशा को बुखार भी आ गया था, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और बजरंग के साथ कदम से कदम मिलाकर 42 किमी की दूरी तय की। सिडनी रवाना होने से पहले आशा ने बीती छह सितंबर को लद्दाख में हाई एल्टीट्यूट (अधिक ऊंचाई) खारदुंगला तक 72 किमी की रेस में भाग लिया और वेटरन वर्ग का स्वर्ण पदक अपने नाम किया। यहां उन्होंने 11 घंटे 27 मिनट का रिकॉर्ड समय निकालकर श्रेष्ठता साबित की।
फिटनेस के लिए शुरू किया था दौड़ना
तकरीबन सात साल पहले बजरंग ने आशा के साथ फिटनेस के लिए दौड़ना शुरू किया। शुरुआती दिनों की मेहनत के बाद यह शौक कब कॅरिअर में बदल गया, पता ही नहीं चला। बजरंग बताते हैं कि फौज में होने के कारण दौड़ना मेरी दिनचर्या में शामिल था, लेकिन परिवारिक जिम्मेदारियों के चलते आशा ने कभी इस ओर नहीं सोचा। जब हमारे बच्चों के भी बच्चे हो गए तो हमने खुद को
व्यस्त करने के लिए नियमित जॉगिंग की योजना बनाई।
उन्होंने कहा कि कुछ ही दिनों में आशा की क्षमता में तेजी से सुधार आया और दो साल के बीच 50 किमी तक दौड़ना शुरू कर दिया। देखते ही देखते उन्हें वेटरन अल्ट्रा रनर (50 किमी से अधिक) का खिताब मिल गया। आशा की सफलता का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ। 100 किमी भी उनकी पहुंच में आया गया। उम्मीद है कि आशा भविष्य में और भी बड़ी उपलब्धियां हासिल करेंगी। एक कोच के तौर पर मैं उनके प्रदर्शन से अभीभूत हूं और उनके उज्ज्व्ल भविष्य की कामना करता हूं।