खबर शहर , Kaka Hathrasi: जन्म और अवसान हुआ एक ही दिन 18 सितंबर, हास्य ही नहीं संगीत विधा के थे माहिर काका जी – INA
काका हाथरसी द्वारा स्थापित संगीत कार्यालय संगीत क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। देश ही नहीं विदेशों में भी संगीत विद्यालयों, महाविद्यालयों व विवि में विद्यार्थी संगीत कार्यालय हाथरस की किताबों से संगीत साधना का पाठ पढ़ रहे हैं।
शहर की जैन गली मोहल्ला अग्रवाल परिवार में 18 सितंबर 1906 को जन्मे काका हाथरसी ने हिंदी हास्य कवि के रूप में ख्याति अर्जित की, साथ ही अपनी प्रतिभा से दुनियाभर में हिंदी के साथ-साथ संगीत की पताका भी फहराई व हाथरस का नाम विश्व पटल पर रोशन किया। काका कवि, चित्रकार, फिल्मकार, समाज सुधारक, युग दृष्टा, योग शास्त्री होने के साथ साहित्य संगीत और कला की अनेक विधाओं के ज्ञाता थे। वर्ष 1962 में उन्होंने संगीत की उन्नति के लिए गर्ग एंड कंपनी बनाई, जो संगीत कार्यालय के नाम से कार्य कर रही है। उन्होंने स्वयं म्यूजिक मास्टर के नाम से एक किताब लिखी जो हारमोनियम व बांसुरी वादन की बारीकियों की जानकारी देती है। संगीत कार्यालय से प्रकाशित पुस्तकें आज भी संगीत के क्षेत्र में शोध कार्य करने वाले शोधार्थियों के लिए ज्ञान का एक बड़ा स्त्रोत है व अध्ययन में इनकी अनिवार्यता बनी हुई हैं। हास्य, व्यंग काव्य व संगीत की इन विशिष्ट उपलब्धियों के चलते काका हाथरसी को भारत सरकार ने 1985 में पद्मश्री से अलंकृत किया गया।
गायन, वादन व नृत्य की किताबों की बढ़ रही मांग
शहर के मुरसान गेट स्थित गली गंगाधर में संचालित संगीत कार्यालय के प्रबंधक शरण गोपाल वर्ष 1986 से संगीत कार्यालय को संभाल रहे हैं। उन्होंने बताया कि संगीत कार्यालय से कक्षा एक से लेकर पीएचडी तक के लिए गायन, नृत्य, वादन की किताबों की मांग देश विदेश तक है। काका हाथरसी के साथ ही उनके पुत्र लक्ष्मी नारायण गर्ग द्वारा लिखित पुस्तकों को भी पीएचडी में शामिल किया जा रहा है।
यह हैं प्रसिद्ध संगीत पुस्तकें
विश्व पटल पर काका ने दिलाई हाथरस को पहचान: डॉ. जितेंद्र कुमार शर्मा
हर युग की यथार्थता का बोध कराती हैं काका की कविताएं